स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गाजियाबाद। जनपद में अधिकारियों की मिलीभगत से तालाब पर कब्जे का एक और मामला सामने आया है। हम बात कर रहे हैं गाजियाबाद के नगर निगम वार्ड 42 के गाँव बम्हेटा की । जैसे जैसे एनसीआर का फैलाव हो रहा है और जमीनों के दाम आसमान छू रहे हैं, वैसे ही बम्हेटा की जमीन के भाव भी बढ़ रहे है। दिल्ली के करीब होने से जनपद की जमीन की कीमत लगातार बढ़ रही है।
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गाँव में सरकारी जमीनों पर कब्जे की बात लगातार सुनाई दे रही थी ,लेकिन भू-माफिया के डर से कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। प्रदेश मेंइस बार नई सरकार बनने और एनजीटी , सुप्रीम कोर्ट और शासन- प्र्र्र्रशासन की सख्ती ने गाँव के लोगों को भी हौसला दिया और ग्रामीणों की शिकायत के बाद शासन की नींद टूटी। जब इस पूरे मामले की जांच कराई गई तो गांव के राजस्व दस्तावेजों में तकरीबन 0.43 हेक्टेयर यानी 4300 वर्गमीटर जमीन तालाब के रूप में दर्ज थी। आज इसकी कीमत करोड़ों रुपए में है।
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14 मई 1980 को राजस्वकर्मियों ने मिलीभगत कर तालाब की जमीन का पट्टा गाँव के सुखबीर सिंह के नाम काट दिया। तब से गांव के तालाब कीजमीन पर सुखबीर सिंह का कब्जा था। गाँव के कुछ लोगों ने तालाब पर अवैध कब्जे की शिकायत जिलाअधिकारी और अपर जिलाधिकारी ज्ञानेंद्रसिंह से की। और जब पूरी जांच कराई गई तो आरोप सही मिले। एडीएम ज्ञानेंद्र सिंह ने तत्काल प्रभाव से पट्टे को निरस्त कर तालाब के रूप मेंअमलदरामद कर कब्जा हटाने के आदेश दिए। इस मामले में एडीएम ने बताया,“ जमीन को तालाब के रूप में दर्ज कर वहां बहुत जल्द खुदाई कराई जाएगी। तालाबों पर जिन्होंने कब्जा किया है उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।”