मेरठ। अमेरिका की प्रमुख फसलों में से एक ड्रैगन फ्रूट अब जल्द ही उत्तर प्रदेश के खेतों में भी उगाया जाएगा। मोदीपुरम स्थित भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान में ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन को लेकर दो साल से चल रहा शोध फाइनल लेवल पर पहुंच चुका है। इस फसल के उत्पादन से किसानों को जहां विश्व स्तर पर पहचान मिलेगी, वहीं उनकी आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा।
आईआईएफएसआर के वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत मिश्रा बताते हैं, दो वर्ष से चल रही रिसर्च के परिणाम बेहतर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के कई जिलों की जलवायु पूरी तरह से इस फसल के लिए उपयोगी है। फिलहाल देश के महाराष्ट्र और कर्नाटक में इसकी बागवानी की जा रही है। रिसर्च सेंटर पर लगे पौधों पर दो बार फूल आ चुके हैं, जल्द ही इन पर फल भी लगने लगेगा। छोटे किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती बहुत लाभकारी है।
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खास बात ये है कि इस फ्रूट का पौधा बहु वर्षीय होता है। साथ ही इसकी टहनियां काटकर नए पौधे बनाए जाए सकते हैं। आमतौर पर 40 से 45 दिनों में पुष्प से फल तैयार हो जाता है। शुरूआती दौर में एक पौधे पर छह से 10 तक फल लगते हैं, बाद में इसकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ जाती है।
क्या है ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हायलेसिरस अनडेटस है। मेक्सिको सिटी में इस फल का उत्पादन बहुतायात में किया जाता है, लेकिन मध्य अमेरिका, दक्षिणी एशिया के कई देशों थाइलैंड, वियतनाम, मलेशिया में भी इसका बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है। इसे पिथाया फल के नाम से भी जाना जाता है। कई देशों में इसे अन्य स्थानीय नामों से भी जाना जाता है।
यह है खासियत
- अपने औषधीय गुणों के कारण इस फल की इंटरनेशनल लेवल पर काफी मांग है
- इसके पुष्प सफेद रंग के और बड़े आकार में होते हैं, जो अक्सर रात में खिलते हैं
- पुष्प को फल बनने में 40 से 45 दिन लगते हैं
- एक फल का औसत वजन 200 से 250 ग्राम तक होता है
- पूरी तरह पकने पर ही इस फल का रंग लाल होता है
औषधीय गुणों से भरपूर
ड्रैगन फ्रूट डायबिटीज, अस्थमा, कोलेस्ट्राल आदि मरीजों के लिए रामबाण औषधि है। अधिक चर्बी वाले लोग भी इसका सेवन करके मोटापा कम कर सकते हैं। यह फल हार्ट को मजबूत करने के साथ ही आंखों की रोशनी भी बढ़ाता है। इसके बीजों में पॉली अनसेचुरेटेड फेट ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फेटी एसिड पाए जाते हैं। इसलिए इसे आसानी से चबाकर खाया जा सकता है। विषेशज्ञों के अनुसार वास्तव में यह एक नॉन क्लाइमेटिक फल है। इसमें विटामिन बी और सी के साथ कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही इसके सेवन से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं।
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“प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की खेती को बढ़ावा देने के लिए संस्थान में शोध के परिणाम सकारात्मक है। किसानों को इसकी खेती से जोड़ने के लिए प्रयास किए जाएंगे। ताकि किसानों की आर्थिक स्थिति सुधर सके।”
डॉ. आजाद सिंह पवार, निदेशक आईआईएफएसआर मोदीपुरम
मौसम से बेअसर रहेगी फसल
शोध में पता चला है कि मेरठ में अक्टूबर माह में इन फलों का टीएसएस लेवल 18 बी पाया गया है। जो कि सामान्य से बहुत अच्छा माना जाता है। डॉ. दुष्यंत मिश्रा का कहना है कि मेरठ में सर्दी और गर्मी के मौसम में इस फसल पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।
किसानों को किया जाएगा जागरूक
शोधकर्ता डॉ. दुष्यंत मिश्रा बताते हैं, “किसानों को फसल उत्पादन के प्रति जागरूक किया जाएगा। इसके लिए विशेष कार्यशाला, गाँव में जाकर चौपाल और कृषि विभाग की मदद लेकर किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खासियत बताई जाएगी, साथ ही इसे उगाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।”
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