स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। सर्वशिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने की शिक्षा विभाग और शिक्षकों की कवायद रंग नहीं ला सकी। शनिवार को ‘स्कूल चलो अभियान’ का आखिरी दिन था, लेकिन इस बार भी ज्यादातर स्कूलों में 10 से 20 बच्चों का ही नामांकन करवाया जा सका। बता दें कि यह अभियान 1 जुलाई को शुरू हुआ था।
जिला मुख्यालय लखनऊ से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित काकोरी ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय गोहरामऊ की इंचार्ज अंबर फातिमा कहती हैं, “सारे प्रयास करने के बावजूद इस सत्र में कुल नौ बच्चों का नामांकन स्कूल में हो सका है। हमसे कहा जाता है कि स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाइए, रैली निकालिए, मुख्यमंत्री योगी जी ने भी रैली निकाली, हम सबने गाँव-गाँव जाकर अभिभावकों को प्रेरित किया कि वे अपने बच्चों का दाखिला करवाएं। ज्यादातर अभिभावकों ने हां में हां मिलाई लेकिन बच्चों का नामांकन नहीं करवाया।” फातिमा कहती हैं, “ज्यादातर अभिभावकों को लगता है कि उनका बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ेगा तो उनकी इमेज डाउन होगी।”
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प्रदेश में 1.98 लाख प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने तमाम विज्ञापनों के जरिए मुहिम चलाई। रैलियों और कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, लेकिन इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या निजी स्कूलों के मुकाबले एक चौथाई भी नहीं बढ़ रही है। रायबरेली जिला मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर दूर स्थित हरचंदपुर ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय उसरापुर में पढ़ाने वाले शिक्षक संतोष मिश्रा कहते हैं, “मेरे ब्लॉक में ज्यादातर लोग अवैध शराब का कारोबार करते हैं। वे अपने बच्चों को भी इसी गोरखधंधे में लगाए हुए हैं। पुलिस से बचने के लिए वे बच्चों के हाथ शराब सप्लाई करवाते हैं।” वह आगे बताते हैं, “ऐसे में लोगों को यह समझाने में बहुत परेशानी होती है कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजें, ताकि उनका भविष्य संवर सके। फिर भी मेरे स्कूल में सिर्फ 18 नए दाखिले हुए हैं।”
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काफी प्रयासों के बाद भी स्कूलों में इतने कम नामांकन क्यों हो रहे हैं? इस पर बेसिक सहायक शिक्षा निदेशक, मंडलीय, महेन्द्र सिंह राणा का कहना है, “अभी हमारे पास कोई डाटा नहीं आया है कि इस शैक्षिक सत्र में कितने नए नामांकन स्कूलों में हुए हैं। अभी जुलाई का आधा महीना बाकी है और शिक्षक नए दाखिले के लिए प्रयासरत हैं। हमें उम्मीद है कि अभी बच्चों की संख्या स्कूलों में और बढ़ेगी।
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