स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। राज्य सरकार ने गेहूं खरीद में बिचौलियों की भूमिका खत्म करने के लिए अपनी प्रणाली को दुरुस्त किया है, जिससे इस बार किसानों ने गेहूं क्रय केंद्रों पर रिकॉर्ड गेहूं बेचा है। सरकार का दावा है कि उसने तुरंत भुगतान और समर्थन मूल्य को सुनिश्चित किया है, जिसके चलते किसानों ने इस साल चार गुना ज्यादा गेहूं सीधे क्रय केंद्रों पर बेचा है। यह बात अलग है कि उत्तर प्रदेश इस बार तय किए गए खरीद लक्ष्य का महज 40 फीसदी हिस्सा ही पूरा कर पाया है।
उत्तर प्रदेश खाद्य एवं रसद विभाग के खाद्यायुक्त अजय चौहान ने बताया, ‘’अगर बीते वर्षों की बात की जाए तो इस वर्ष चार गुना अधिक किसानों ने गेहूं क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचा है, लेकिन प्रदेश में अभी भी ऐसे किसानों की संख्या बहुत ज़्यादा है, जो गेहूं क्रय केंद्रों पर न लाकर साहूकारों को बेचते हैं या फिर अपने घर भंडारण करते हैं।”
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वह कहते हैं, “साहूकारों-बिचौलियों के जाल में फंसने वाले किसानों को जागरूक करने की जरूरत है, तभी हम लक्ष्य को हासिल कर सकते हैं।’’ केंद्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वर्ष की कुल 2.2 करोड़ टन गेहूं खरीद की तुलना में चालू रबी विपणन सत्र 2017-18 में गेहूं खरीद का आंकड़ा तीन करोड़ टन के पार पहुंच गया है। इस वर्ष उत्तर प्रदेश में बड़े स्तर पर गेहूं खरीदने के लिए राज्य सरकार ने कुल पांच हजार क्रय केंद्र स्थापित किए हैं।
कृषि विभाग के अनुसार, प्रदेश में कुल 3.4 करोड़ टन गेहूं का उत्पादन हुआ है, लेकिन सरकार अच्छे उत्पादन के बावजूद 30 लाख टन गेहूं ही खरीद पाई है।अजय चौहान ने बताया कि गेहूं की खरीद 15 जून तक चलेगी, लेकिन प्रदेश में पिछले दस दिनों में क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचने आ रहे किसानों की संख्या लगातार घट रही है। इससे यह साफ है कि हम निर्धारित लक्ष्य इस बार नहीं प्राप्त कर पाएंगे।’’
हालांकि लखनऊ के सरोजनीनगर ब्लॉक के सोहावा में कृषक सेवा केंद्र पर इस बार किसानों ने पिछले साल के मुकाबले दोगुना ज्यादा गेहूं बेचा है। इस केंद्र पर आसपास के 50 से अधिक गाँवों के किसान खरीददारी व कृषि सलाह भी लेने आते हैं। केंद्र के प्रभारी वहीद अहमद (45 वर्ष) बताते हैं, ‘’इस वर्ष गेहूं क्रय केंद्र पर अभी तक 218 किसानों से 10,427 कुंतल गेहूं खरीदा जा चुका है। पिछले साल पांच हजार कुंतल गेहूं की खरीद हो पाई थी।’’
लखनऊ के सोहावा गाँव के सरकारी गेहूं क्रय केंद्र का यह आंकड़ा भले ही यूपी के कुल गेहूं खरीद को लक्ष्य से पिछड़ने की बात को नकार रहा हो, लेकिन इस वर्ष अच्छी खरीद के बावजूद राज्य में मौजूदा समय तक 30 लाख टन ही गेहूं खरीदा गया है। यह लक्ष्य (80 लाख टन) का मात्र 40 फीसदी ही है।
गेहूं खरीद प्रणाली व क्रय केंद्रों पर सरकार की मुस्तैदी को गेहूं खरीद के लिए अहम मानते हुए संयुक्त कृषि निदेशक, लखनऊ आनंद त्रिपाठी ने बताया, “इस वर्ष लखनऊ मंडलीय जिलों में क्रय क्रेंद्रों पर गेहूं खरीद के लिए किसानों में प्रचार-प्रसार बड़े स्तर पर हुआ है। इसके अलावा हमारी कोशिश यह रही है कि किसानों को गेहूं खरीद का पैसा तीन दिन के अंदर उनके खाते में पहुंचा दिया जाए। अभी जून के अंत तक गेहूं खरीद जारी रहेगी, इससे हमें लक्ष्य के और करीब पहुंचने में मदद मिलेगी।’’
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पंजाब ने बनाया रिकॉर्ड, उत्तर प्रदेश चौथे नंबर पर
देश में इस बार गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। लिहाजा, सरकार ने वर्ष 2017-18 में 3.3 करोड़ टन गेहूं खरीद करने का लक्ष्य रखा है। सरकारी क्रय केंद्रों के जरिए मौजूदा समय में 3.1 करोड़ टन गेहूं की खरीद हो चुकी है। इसमें सबसे अधिक पंजाब से 1.17 करोड़ टन गेहूं खरीद हुई है। हरियाणा से 74.2 लाख टन, मध्य प्रदेश से 67 लाख टन, उत्तर प्रदेश से 30 लाख टन और राजस्थान से 11.7 लाख टन गेहूं सीधे किसानों से खरीदा गया है। इस तरह गेहूं खरीद में शीर्ष पांच राज्यों में शामिल होने के बावजूद उत्तर प्रदेश लक्ष्य से कोसों दूर है।
खाद्य एवं रसद के विभाग खाद्य आयुक्त अजय चौहान ने बताया, “बीते वर्षों की बात की जाए तो इस वर्ष चार गुना अधिक किसानों ने गेहूं क्रय केंद्रों पर गेहूं बेचा है, लेकिन प्रदेश में अभी भी ऐसे किसानों की संख्या बहुत ज़्यादा है, जो गेहूं क्रय केंद्रों पर न लाकर साहूकारों को बेचते हैं या फिर अपने घर भंडारण करते हैं।”
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