मूंग में लगा पीला मोजेक रोग, किसान परेशान 

Swayam Project

अमित यादव, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

औरैया। खेतों में खड़ी मूंग की फसल के लिए बरसात नुकसानदायक साबित हो रही है। बरसात से फसल में पीला मोजेक रोग लग गया है जो कि सफेद मक्खी से फैलता है। इससे फसल उत्पादन में गिरावट आ सकती है।

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर हाइवे के किनारे दक्षिण दिशा में बसे गाँव बसंतपुर में किसान मूंग की फसल अधिक करते हैं। मूंग की अच्छी फसल देख किसानों के चेहरों पर खुशी दिखाई दे रही थी वहीं बरसात के बाद चेहरे की रौनक गायब हो गई हैं। बरसात होने से मूंग की फसल में पीला मोजेक रोग लग गया है जो कि सफेद मक्खी के द्वारा होता है। सफेद मक्खी जिस पौधे पर बैठेगी उसमें रोग लग जाएगा।

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गाँव बसंतपुर निवासी किसान मोहर सिंह (45 वर्ष) का कहते हैं, “बरसात के बाद से फसल में रोग लग गया है जिससे फसल उत्पादन में कमी आएगी। पीला मोजेक होने से फलियां भी नहीं लग पा रही हैं।”

पीला मोजेक से जहां फसल उत्पादन में गिरावट आएगी वहीं बरसात से फूल झड़ जाने से भी नुकसान हुआ है। मूंग की फसल से किसानों को जहां अधिक आय की संभावना थी वहीं अब लागत भी निकलना मुश्किल दिखाई दे रहा है।

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देखते ही देखते पीला मोजेक रोग ने फसल को अपनी चपेट में ले लिया है। जिस पौधे में ये रोग हो जाता है न उसमें फूल आता है और न ही फल। बचाव के लिए किसान कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। जिन पौधों में पीला मोजेक हो गया हो उसे खेत से उखाड़ दें। एक पौधे से ही बढ़ता हुआ पूरे खेत में फैल जाता है।

क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. एसके सिंह बताते हैं, “पीला मोजेक एक ऐसा रोग है जो एक पौधे में हो तो वह तीन दिन के अंदर 40 पौधों में हो जाता है। इसके अलावा मक्खी के जगह-जगह बैठने पर यह रोग बहुत जल्दी फसल पर प्रभावकारी होता है। अगर समय रहते न ध्यान दिया जाए तो ये पूरी फसल को चौपट करके रख देता है। इसलिए मूंग की फसल की प्रत्येक दूसरे दिन देख-रेख की जानी चाहिए है।”

डॉ. एसके सिंह बचाव के तरीकों के बारे में कहते हैं, “पीला मोजेक रोग सफेद मक्खी से होता है, इसके बचाव के लिए किसान काइपर मैकलीन प्रति लीटर पानी में डेढ़ एमएल मिलाए, इसके अलावा ओटीन को प्रति लीटर पानी में ढाई एमएल मिलाकर छिड़काव करें, अगर खेत में कम पौधे हो तो उन्हें उखाड़ कर बाहर फेंक दें।”

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