दीप कृष्ण शुक्ला, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
उन्नाव। विकास के नाम पर आने वाला धन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है। कुछ ऐसा ही मामला बीघापुर विकास खण्ड की मगरायर ग्राम पंचायत में उजागर हुआ है। ग्रामीणों द्वारा जिलाधिकारी से की गयी शिकायत पर जांच करने पहुंची टीम ने अपनी पड़ताल में 2 लाख 42 हजार रुपए का घोटाला पकड़ा। ग्राम प्रधान, सचिव व तकनीकी सहायक केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा से कराये गये कार्यों में गड़बड़ी के दोषी पाए गये हैं।
बीघापुर विकास खण्ड की ग्राम सभा मगरायर के रहने वाले संजीव कुमार मिश्र, सर्वेश कुमार, सिद्ध किशोर, बब्लू पाण्डे आदि ने 19 मई को जिलाधिकारी अदिति सिंह को प्रार्थना पत्र सौंपते हुए गाँव में कराए गये विकास कार्यों में घपलेबाजी होने की शिकायत की थी। ग्रामीणों की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी संजीव सिंह को मामले की जांच कराने के निर्देश दिए थे।
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सीडीओ ने मामले की जांच के लिए उपायुक्त मनरेगा शेषमणि सिंह व एई डीआरडीए इनायत करीम को जांच की जिम्मेदारी सौंपी थी। ग्रामीणों के शिकायती पत्र में जिन कार्यों में गड़बड़ी की आशंका जाहिर की गयी थी उनकी जांच की गयी। जिसमें यह बात सामने आयी कि तालाब खोदाई और सुंदरीकरण के नाम पर निकाली गयी 3 लाख 95 हजार रुपए की धनराशि में मात्र 1 लाख 96 हजार रुपए ही खर्च हुए।
इसके अलावा एक नाले की सफाई पर खर्च हुई धनराशि से 76 हजार रुपए अधिक निकाल लिए गए। जांच अधिकारियों को अपनी जांच में कुल 2 लाख 42 हजार रुपए की घपलेबाजी मिली है। जिसकी जांच रिपोर्ट अग्रिम कार्रवाई के लिए मुख्य विकास अधिकारी को भेज दी गयी है। जांच रिपोर्ट में इस ढाई लाख के घोटाले में ग्राम प्रधान, सचिव व तकनीकी सहायक तीनों को दोषी बताते हुए गबन की गयी धनराशि की बाराबर बराबर वसूली तीनों से करने की संस्तुति की है।
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