स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। चित्रकूट के बरगढ़ क्षेत्र के पतेरी गाँव की रहने वाली रेखा (30 वर्ष) जब तक मायके में रहीं तब तक उसे अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा मिला। और जब ससुराल आयी तो अनुसूचित जाति (एससी) का दर्जा मिल गया, जबकि उनकी शादी एक ही वर्ग यानी कोल समुदाय में हुई थी।
दरअसल, यह स्थिति सिर्फ रेखा की ही नहीं चित्रकूट में रहने वाली सैकड़ों महिलाओं की है। ये महिलाएं कोल समुदाय से सम्बन्ध रखने वाली हैं। कोल समुदाय को मध्य प्रदेश में एसटी का दर्जा मिला हुआ है, वहीं यूपी में इन्हें एससी का दर्जा प्राप्त है। अकेले चित्रकूट में ही कोल समुदाय की आबादी 70 हज़ार से ज्यादा है। इलाहाबाद, सोनभद्र, मिर्ज़ापुर और बंदा में भी काफी संख्या में कोल समुदाय के लोग रहते हैं।
चित्रकूट के मऊ ब्लॉक के सेमरा पंचायत के प्रधान राम शिरोमणि कोल समुदाय से हैं। राम शिरोमणि बताते हैं, “हमने कोल समुदाय को एसटी का दर्जा देने के लिए आन्दोलन, धरना प्रदर्शन किया, लेकिन हमें कुछ भी नहीं मिला। अगर हमें एसटी का दर्जा मिल जाए तो हमारी स्थिति सुधर जाए। अभी हमें एससी का दर्जा मिला है। ”
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कोल समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाने के लिए पिछले 20 साल से लड़ाई लड़ने वाले डॉक्टर सत्यनरायण बताते हैं, ‘हम इसके लिए लम्बी लड़ाई लड़ चुके हैं। यूपी को छोड़ कर देश के हर राज्य में कोल समुदाय जो एसटी का दर्जा मिला हुआ है। हमारे यहां पता नहीं सरकार क्यों नहीं एसटी का दर्जा दे रही है। पिछली सरकार ने सर्वें करके भेज दिया था। अब केंद्र सरकार जब चाहे हमें एसटी का दर्जा दे सकती है। अगर एसटी का दर्जा मिल जाता तो यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा और जीवन बेहतर हो पायेगा।’
आधे से ज्यादा पुरुष कर चुके हैं पलायन
चित्रकूट के बरगढ़ क्षेत्र के अधिकाश लोगों का परिवार इलाहाबाद के शंकरगढ़ में चल रहे खनन में काम करके चलता था। जब से खनन का काम रुका है ज्यादातर पुरुष दिल्ली, पंजाब, सुरत और राजकोट कमाने चले गए हैं। लगभग हर घर के पुरुष अन्य प्रदेशों में जा चुके हैं। गाँव में सिर्फ महिलाएं और बच्चे ही नजर आते हैं।
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चित्रकूट में शिक्षा, आजीविका और ग्रामीण हकदारी को लेकर काम करने वाले अखिल भारतीय समाज सेवा संस्थान से जुड़े देशराज बताते हैं, ‘पिछले साल आए सूखे के कारण यहां की स्थिति बेहद खराब हो गयी थी। अब स्थिति तो ठीक है, लेकिन गरीबी जस की तस बनी हुई है। अगर इन लोगों को एसटी का दर्जा मिल जाता है, तो इनकी स्थिति में सुधार आ जाती। चित्रकूट के कोल समुदाय का ही एक लड़का मध्य प्रदेश में जाकर एसटी का दर्जा हासिल कर पुलिस में अधिकारी बन चुका है ।”
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इलाहाबाद के सांसद श्यामाचरण गुप्त ने कोल समुदाय को एसटी का दर्जा दिलाने के लिए लोकसभा में आवाज़ भी उठा चुके हैं। श्यामाचरण गुप्त बताते हैं, “इलाहाबाद से लेकर रेनुकूट तक के कोल समुदाय के लोगों की भलाई के लिए मैंने सांसद बनने के एक साल के अंदर लोकसभा में न सिर्फ सवाल, बल्कि उसके लिए समय-समय पर आवाज़ बुलंद करता रहता हूं।”
वो आगे कहते हैं, “कोल समुदाय में बहुत गरीबी है। अगर उन्हें एसटी का दर्जा मिल जाएगा, तो उनकी ज़िन्दगी बेहतर हो जाएगी। अभी उनको आरक्षण का बेहतर लाभ नहीं मिल पाता है। अब दर्जा देने का अधिकार तो सरकार को है।”
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