गोरखपुर। जानकी देवी जब 13 साल में शादी होकर आई तो उन्हें इसका मतलब यही समझ आया कि पति की मार खाना और सास के ताने सुनना। लेकिन आज दूसरों के घरों में होने वाली हिंसा को रोकना उनकी ज़िंदगी का मकसद बन गया है।
अपने पल्लू से आंखों के आंसू पोछते हुए जानकी देवी (65 वर्ष) ने कहा, “जब 45 साल की उम्र में पहली बार मैंने विरोध किया तो उन्होंने मुझे घर से निकल दिया और कहा अगर घर लौट कर आई तो जला देंगे।”
गोरखपुर जिला मुख्यालय से 26 किलोमीटर दूर भटहट ब्लॉक से उत्तर में ताज पिपरा गाँव में रहने वाली बुजुर्ग जानकी देवी को अगर कहीं से भी पता चल जाए कि किसी के साथ घरेलू हिंसा हो रही है तो वह तुरंत पहुंचती हैं। उनके इसके लिए नोबेल पुरस्कार के लिए भी नामित किया जा चुका है।
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जानकी देवी को जब पति ने घर से निकाल दिया तो उन्हें महिला समाख्या के आफिस में जगह मिली। उसके बाद वह चोरी से इस केन्द्र में पढ़ने आने लगीं।महिलाओं को साक्षर करने के लिए महिला समाख्या द्वारा प्रदेश के 16 जिलों में 2,000 से ज्यादा महिला साक्षरता केंद्र खोले गये, जिसमें प्रदेश की हजारों महिलाओं ने पढ़-लिख कर अपनी बात कहना सीखा।
जानकी कहती हैं, “मीटिंग में दीदी ने कहा महिलाओं को पढने के लिए एक साक्षरता केंद्र खोला जा रहा है, उसमे कोई भी महिला अपने घर का पूरा काम करके मुफ्त में पढ़ाई कर सकती है।” जानकी देवी नारी अदालत की सदस्य है और हजारों महिलाओं के साथ हो रही घरेलू हिंसा को रोक चुकी हैं।
गोरखपुर जिले की महिला समाख्या की जिला कार्यक्रम समन्यवक नीरू मिश्रा बताती हैं, “महिला साक्षरता केंद्र से पहले इन महिलाओं को साक्षर किया जाता है फिर ये कोशिश रहती है कि प्रदेश की हर महिला न सिर्फ साक्षर हो बल्कि सवाल करना भी सीखे, लगातार मीटिंग बैठक होने से ये महिलाएं इतनी सशक्त हो जाती हैं कि दूसरों के साथ हो रही घरेलू हिंसा को रोकने लगती हैं।”
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