प्रियांशु तोमर/स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
पीलीभीत। वर्ष 2010-11 में तत्कालीन केन्द्र सरकार ने जनपद में प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर विद्यालय खोलने की योजना बनाई थी। इसी के तहत चार नए मॉडल स्कूल वर्ष 2014-15 में बनकर तैयार हो गए। तभी केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो जाने के कारण योजना खटाई में पड़ गई और इन स्कूलों का संचालन नहीं हो सका। अब केंद्रीय विद्यालय संगठन की टीम ने इस स्कूलों का सर्वे किया है। अब माना जा रहा है कि जल्द ही जनपद को चार और नए केंद्रीय विद्यालय मिलने की संभावना है।
जनपद में अमरिया ब्लॉक के बड़ेपुरा गाँव, ललौरीखेड़ा ब्लॉक के खमरिया पुल, बरखेड़ा के ग्राम रामनगर जगत और बिलसंडा ब्लॉक के मरौरी ख़ास में तीन करोड़ दो लाख रुपए खर्चकर चार मॉडल स्कूल बनवाए गए। जो वर्ष 2014-15 में बनकर तैयार हो गए। इसी बीच केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो जाने के कारण इन स्कूलों का संचालन नहीं हो सका।
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पहले सरकार ने इनको पब्लिक गवर्नमेंट पार्टनरशिप में चलाने का फैसला किया था, लेकिन फिर इसको बदल दिया गया। फिर वर्तमान केंद्र सरकार ने इसको दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण विद्यालय के रूप में संचालित करने का फैसला लिया, लेकिन यह योजना भी कारगर सिद्ध नहीं हो पाई। अब केंद्र सरकार ने इन विद्यालयों को केंद्रीय विद्यालय संगठन की तर्ज पर चलाने का फैसला लिया है। इस बारे में जब जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक राजेश कुमार वर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया, “यह चारों स्कूल केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा संचालित किए जाएंगे, जिसमें अध्यापन कार्य सीबीएसई पैटर्न पर कराया जाएगा।
इन विद्यालयों को जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित किया जाएगा, जिसकी बिल्डिंग बनकर तैयार हो चुकी है। इन विद्यालयों में केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा कम फीस निर्धारित की जाएगी, जिससे गरीब किसानों के बच्चों को भी उत्तम शिक्षा मिल सके।” इस बारे में जब खमरिया पुल क्षेत्र के ग्राम ऐमी निवासी देशराज सिंह से पूछा गया कि आपके गाँव के पास एक केंद्रीय विद्यालय खुल रहा है, यह सुनकर आपको कैसा लग रहा है? तो उन्होंने कहा, “सरकार का यह निर्णय अच्छा निर्णय है। हमारे गाँव के पास ही खमरिया पुल में यह मॉडल स्कूल बना है, जिसमें सीबीएसई बोर्ड की तरह इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई कराई जाएगी। जिससे ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।सुना है क्योंकि इनमें सरकार द्वारा फीस भी कम रखी जाएगी जिससे कि गरीब परिवारों के बच्चे भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे।”
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