स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
लखनऊ। इस समय किसानों ने गन्ना की बुवाई शुरू कर दी है, अधिक मुनाफे के लिए किसान गन्ने के साथ ही दूसरी फसलें लगाकर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं। गन्ने की बुवाई के साथ ही सहफसली का उत्पादन कर आय बढ़ा सकते हैं। इसमें सरसों, सब्जी, गेहूं उगाया जा सकता है। कई किसानों ने सहफसली गन्ने की बुवाई कर लाभ कमाया है।
मध्यप्रदेश के एक किसान ने अपने चार एकड़ खेत में गन्ने और गेहूं की सहफसली खेती की शुरुआत की और उससे काफी अच्छे मुनाफे की उम्मीद जता रहे हैं। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले के बेलखेड़ी के किसान प्रमेन्द्र घोषी (52 वर्ष) अपने क्षेत्र के काफी प्रसिद्ध किसान हैं। वह फल और सब्जी की खेती करते हैं। प्रमेंद्र घोषी गन्ना के साथ ही दूसरी फसलें भी लगाते हैं।
वह आगे बताते हैं,”खेत में हर पांच फुट के अंतर पर नालियां निकालते हैं। 10 फुट के अंतर पर गन्ना लगाते हैं, गन्ने से गन्ने की नाली की बीच दूरी 10 फुट की है। इसमें जो बीच में जगह है उसमें पांच लाइन में गेहूं लगाते हैं। गेहूं के पौधों के बीच में नौ इंच की दूरी होती है। गन्ने में एक एकड़ के लिए लगभग आठ कुंतल बीज का प्रयोग किया है। गेहूं के लिए लगभग 13 किलो प्रति एकड़ बीज का प्रयोग करते हैं। गेहूं और गन्ना में एक जैसे पानी की जरूरत होती है। इसके साथ पत्ता गोभी, चना, आलू, मटर जैसी दूसरी फसलें भी ले सकते हैं। गन्ना साल-डेढ़ साल की फसल है इतने दिनों तक खेत को गन्ने के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए।”
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बरेली जिले से 45 किलोमीटर दूर मीरगंज तहसील से पश्चिम दिशा में करनपुर गाँव हैं। 1200 की आबादी वाले इस गाँव में सैकड़ों हेक्टेयर में गन्ना की खेती की जा रही हैं। गेहूं और गन्ना यहां की मुख्य फसल हैं। साथ ही कई किसान उड़द, मूंग, प्याज, आलू, मक्का, सरसों, आलू और मूंगफली को सहफसली के रुप में गन्ने के साथ उगाते हैं, जिसे देखने के लिए यूपी के साथ पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड समेत कई प्रदेशों से लोग आते हैं।इन बातों का रखें ध्यान
इन बातों का रखें ध्यान
एक एकड़ गन्ने की फसल में 50 ग्राम वाव्सटीन,क्लोरो पाइरीपास दो एमएल 100-125 लीटर पानी में 20 से 30 मिनट तक पानी में गन्ने के टुकड़ों को दाल देते हैं। जब ये बीज शोधित हो जाता है इसके बाद इसे खेत में बनी नाली में छह इंच से आठ इंच की दूरी पर सीढ़ीनुमा लगाते हैं। एक फिट गन्ने को मिट्टी में ढककर एक से दो इंच तक मिट्टी डाल देते हैं। गन्ना बोने के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करनी होती है। गन्ना की फसल वर्ष में दो बार बोई जाती है। पहला फरवरी-मार्च दूसरा सितम्बर-अक्टूबर माह में। पहले साल किसान इनमें सह फसल भी ले सकते हैं, जैसे आलू, मूंग आदि।
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