स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। चुनावी साल में गन्ना और ज्यादा मीठा हो जाता है। यह कुछ लोगों को अटपटा जरूर लग सकता है, लेकिन गन्ने का भाव बढ़ने का ट्रेंड तो सिर्फ इसी ओर संकेत करता है। जब-जब चुनाव होते हैं, तब-तब सरकारें गन्ने का अच्छा-खासा दाम बढ़ाती हैं। इसी के चलते माना जा रहा है कि इस बार कोई चुनाव न होने के चलते गन्ने के रेट में खास इजाफा होने का आसार नहीं है। ऐसे में कोल्हू संचालकों की जमकर चांदी हो रही है। संचालकों ने 200 रुपए प्रति कुंतल गन्ना खरीद शुरू कर दी है। जरूरतमंद किसान इसी रेट में गन्ना कोल्हुओं पर डाल रहे हैं। हां, गुंजाइश वाले किसानों को अभी भी सरकारी रेट का इंतजार है।
यूपी में 50 लाख किसानों के परिवार सीधे तौर पर सिर्फ गन्ने की खेती पर टिके हैं। गन्ना वेस्ट यूपी में इस वजह से सियासत का केन्द्र रहा है, क्योंकि गन्ने के लिए हुए आन्दोलन यहां चुनावी फिजा बदलते रहे हैं। वर्ष 2015 में गेहूं की फसल को ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ, लेकिन चुनावी मुद्दा नहीं बन सका, जबकि गन्ने की फसल के साथ समीकरण इसके उलट हैं। पिछले चुनावी वर्षों की बात करें तो हर चुनावी साल में गन्ने के भाव में भारी इजाफा हुआ है।
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इसी माह जनपद की ज्यादातर मिलें चल जाएंगी, साथ ही आगामी कैबिनेट मीटिंग में गन्ने का रेट भी तय होने की पूरी संभावना है।
हरपाल सिंह, गन्ना उपायुक्त
गन्ना किसान किसी भी सूरत में 370 रुपए प्रति कुंतल से कम रेट बर्दाश्त नहीं करेगा। यदि सरकार ने भाव बढ़ाने में जरा भी आनाकानी की तो भारतीय किसान यूनियन आन्दोलन के लिए तैयार है।
नरेश टिकैत, राष्ट्रीय अध्यक्ष, भाकियू
किसानों का दर्द
मवाना ब्लाक के गाँव नासरपुर निवासी रामफल सिंह (उम्र 45 वर्ष) बताते हैं, “घर में दो शादियां हैं। इसलिए कोल्हुओं पर गन्ना डालना मजबूरी है, क्योंकि शुगर मिल कब चलेगी, और कब पेमेंट मिलेगा, इसका कोई अता-पता नहीं है। इसलिए फिलहाल तो एक-दो खेत कोल्हुओं पर ही डालना पड़ेगा, ताकि कुछ पैसा आ जाए और गेहूं की फसल की समय से बुवाई हो सके।”
बगल के गाँव कूड़ी कमालपुर निवासी राहुल वर्मा (30 वर्ष) बताते हैं, “पैसे की जरूरत में सस्ता गन्ना बेचने को मजबूर होना पड़ रहा है, क्योंकि मिल ने तो अभी पुराना पेमेंट ही नहीं किया।” गाँव मटौरा निवासी हरीश यादव बताते हैं, “कोल्हुओं पर इस वक्त 200 से 230 तक भाव है। इसलिए कुछ पैसे आ जाएंगे, पता नहीं अभी सरकारी भाव कब घोषित हो।”
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कॉम्पेक्ट केन नीति के खिलाफ फूटा किसानों का गुस्सा
अरुण कुमार, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
मेरठ। कॉम्पेक्ट केन एरिया नीति के खिलाफ किसानों का गुस्सा आखिर फूट ही पड़ा। किसानों ने गन्ना भवन पहुंचकर अधिकारियों का घेराव किया। साथ ही सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बामुश्किल अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों से बात कर मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया, इसके बाद ही किसान शांत हो सके। किसान नेता मुंशी लाल ने कहा कि यह नीति गन्ना किसानों की दुश्मन है, इसके किसान कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। गन्ना उपायुक्त हरपाल सिंह ने बताया कि किसानों की बात सरकार तक पहुंचा दी जाएगी।
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