ओपी सिंह परिहार, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
इलाहाबाद। अच्छी पैदावार के बाद आलू में नुकसान उठा चुके किसान का टमाटर की खेती में भी यही हाल हो रहा है। बिचौलियों के हाथों अपनी पैदावार बेचने के लिए मजबूर किसान औने-पौने दामों में टमाटर बेच रहे हैं। जबकि बिचौलिया टमाटर को महंगे दाम में बेच रहा है।
किसानों का कहना है कि जब गाड़ी का किराया भी नही मिल पायेगा तो टमाटर बेचने से क्या फायदा। दांडी गाँव के किसान सुमिरन (48 वर्ष) बताते हैं, “25 किलो कैरेट का 40 रुपए मिल रहे हैं तो बेचने से क्या फायदा। इससे अच्छा तो खेत में नष्ट करना ही है। कम से कम टमाटर खाद के रूप में काम आए। इसीलिए हम टमाटर की तुड़ाई भी नहीं करा रहे हैं।”
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किसानों का ये हाल तो पूरे जिले में है, लेकिन मऊआइमा ब्लॉक में बड़े स्तर पर किसान अपने खेतों में टमाटर को नष्ट कर रहे हैं। सराय सुल्तान गाँव के किसान किशन लाल (52 वर्ष) का कहना है की आलू के बाद टमाटर की अच्छी कीमत नहीं मिलने की वजह से घर खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। अगली खेती करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं।
खेतों से टमाटर हटाने के लिए भी लग रहा पैसा
खेतों में लगे टमाटर को खेत से बाज़ार तक भेजने के लिए किसानों को अपने पास से पैसे लगाने पड़ रहे है। टमाटर तुड़वाने के लिए मज़दूरों को 20 रुपए प्रति कैरेट देने पड़ रहे हैं। इस वजह से किसान टमाटर के फसल पर ट्रैक्टर चलाना ही मुनासिब समझ रहे हैं।
कोल्ड स्टोरेज की कमी महसूस कर रहे किसान
टमाटर को लंबे समय तक रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज की कमी क्षेत्र के किसान महसूस कर रहे हैं। महेवा गाँव में टमाटर की खेती करने वाले रमेश लाल (56 वर्ष) कहते हैं, “क्षेत्र में एक भी टमाटर के लिए कोल्ड स्टोरेज नहीं है, इस वजह से बिचौलियों की चांदी है। किसान मजबूर हैं सस्ते दरों पर टमाटर बेचने के लिए।”
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