दिल्ली के बाद अब मेरठ में भी लगातार बढ़ रही धुंध, स्कूलों में अलर्ट

Smog

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। शहर की आबो-हवा में घुलती जहरीली धुंध के कारण प्ले व प्राइमरी स्कूलों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। सभी बच्चों को मास्क पहनकर स्कूल आने को कहा गया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य दिनों की अपेक्षा शहर और गाँव दोनों में पांच गुना ज्यादा प्रदूषण बढ़ गया है। जो सेहत के लिए खतरा पैदा कर रहा है। धुंध का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों के वार्ड फुल हैं। साथ ही मेडिकल कालेज में भी ओपीडी 3000 के पार पहुंच गई है।

मेरठ में पिछले दो दिनों से भयंकर धुंध छाई हुई है। धुंध के चलते जहां वाहनों की रफ्तार थम गई है। वहीं रोजमर्रा की जिंदगी पर काफी प्रभाव पड़ा है। इस धुंध से सबसे ज्यादा स्कूली बच्चे प्रभावित हुए हैं। प्राथमिक स्कूल व पब्लिक स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे बीमार होने लगे हैं। जिसके चलते स्कूल प्रशासन की और मास्क पहनकर आने के लिए कहा गया है। ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके।

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डॉ. मधु वत्स बताती हैं, “वातावरण में छाए सल्फर और प्रदूषण के कण बच्चों के लिए बेहद घातक हैं। बच्चों के फेफड़ों और दिमाग पर इसका सीधा असर होता है। इससे बच्चों की याददाश्त की कमी के अलावा न्यूरो और कैंसर की बीमारी का खतरा बढ़ गया है।” वो आगे बताती हैं, “बच्चा अगर ज्यादा समय तक धुंध के संपर्क में रहे तो उसका विकास भी प्रभावित होगा।”

कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि इस धुंध का असर बच्चे के डीएनए पर भी पड़ेगा। हाल ही में सेंटर फॉर साइंस ने जनपद की आबोहवा की जांच की तो यहां पर्टिकुलर मैटर का स्तर मानक से कहीं अधिक पाया गया। यूनिसेफ से जारी सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भी मेरठ को 16 नंबर पर रखा गया था।

धुंध में घुले कण बहुत खतरनाक हैं। यह सांस की नलियों में सिकुड़न और फेफड़ों में पहुंचकर उन्हे डमेज करते हैं। ये इतने महीन होते हैं कि आसानी से पहुंच जाते हैं। ऐसे मौसम में गुनगुने पानी से गरारे करने चाहिए।

डॉ. वीरोत्तम तोमर, पूर्व अध्यक्ष आईएमए 

कोहरे और धुंध ने ओपीडी बढ़ा दी है। अचानक बुखार के साथ सांस के मरीज आने शुरू हो गए हैं। जागरूक रहकर ही इससे बचा जा सकता है।

डॉ. राजकुमार चौधरी, सीएमओ 

अम्लीय वर्षा जैसे हालात

मेडिकल कालेज के सीएमएस डॉ. अजीत चौधरी बताते हैं, “वाहनों से निकलने वाले धुएं में कॉर्बन मोनो ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड व हाइड्रो कार्बन होते हैं। साथ ही कारखानों की चिमिनियों से सल्फर डाइऑक्साइड और नाईट्रोजन निकलती है। यही गैसे वातावरण में पानी की भाप से मिलकर सांद्र एसिड बनाते हैं। इससे अम्लीय वर्षा तक हो सकती है।”

बच्चों के डीएनए और दिमाग पर असर

श्वास रोग विषेशज्ञ डॉ. वीएन त्यागी बताते हैं, “स्मॉग में वीओसी वॉल्टाइल ऑर्गेनिक कंपाउंड होते हैं। यह बच्चों में पेट की दिक्कत, व्यवाहर में बदलाव, याददाश्त में कमजोरी और फेफड़ों आदि पर असर डालता है। यहां तक की बच्चों का डीएनए भी सल्फर और बैंजीन, क्रोमियम से प्रभावित हो सकता है। बच्चों को इससे बचने की जरूरत है।”

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खतरे में सांस

बाल रोग विषेशज्ञ डॉ. राजीव तेवतिया बताते हैं, “बच्चों की सांस की नली बेहद नाजुक होती है। आरएसपीएम दो प्वाइंट पांच के कण नाक के जरिये बच्चों के फेफड़ों की झिल्लियों तक आसानी से पहुंच जाते हैं। कण झिल्ली से चिपके रहने के कारण अंदर ही अंदर सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने लगते हैं। इससे बच्चों के सांस की नलियां गलने लगती है।

कैंसर का भी डर

विशेषज्ञ डॉ. अनुराग बताते हैं, “धुंध के बारीक कण सीधे सांस के जरिये शरीर में पहुंचते हैं। अंदर जाकर ये कण सेल्स से चिपककर खून में ऑक्सीजन के प्रवाह को बाधित कर देते हैं। इस कारण कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। चूंकि बच्चों की नाक में बाल नहीं होते तो ये कण बच्चों के शरीर में जल्दी पहुंचते हैं।”

मास्क की बिक्री बढ़ी

जिला ड्रगिस्ट एंड केमिस्ट के महामंत्री रजनीश कौशल बताते हैं, “सर्जिकल की दुकानों पर सुबह से ही मास्क खरीदने वालों की भीड़ लगनी शुरू हो रही है। पैरेंट्स काफी संख्या में मास्क ले जा रहे हैं।” सर्जिकल स्टोर संचालक मनोज बताते हैं, “उन्होने बुधवार को तीन हजार के आस-पास मास्क बेच दिए।”

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बारिश से मिलेगी राहत

मौसम वैज्ञानिक एन सुभाष बताते हैं, “सुबह के समय नमी अधिक होने के कारण कोहरा जैसा बन रहा है, लेकिन स्माग का असर 24 घंटे बना हुआ है। दिनभर धूलभरे कण आसमान में तैर रहे हैं। जिस कारण आंखों में जलन भी महसूस की जा रही है। जब तक बारिश नहीं पड़ेगी और तेज हवा नहीं चलेगी राहत मिलने के आसार बहुत कम हैं।”

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