लखनऊ। आरसीबी और मुंबई इंडियंस के बीच गुरुवार को हुए मैच के बाद मुंबई इंडियंस की जीत से ज्यादा नो बॉल की चर्चा हो रही है। कहा जा रहा हैं कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर खराब अंपायरिंग की वजह से मैच हार गयी। लेकिन छह साल पहले ipl का एक मैच ऐसा भी था जब विराट कोहली की टीम आरसीबी अच्छी अंपायरिंग के कारण मैच हार भी गयी थी।
इंडियन प्रीमियर लीग 2019 (आईपीएल) के सातवें मैच में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली और उप कप्तान रोहित शर्मा की टीमें आमने-सामने थीं। सितारों से सजी ये दोनों टीमों की जब भी भिड़ंत होती तो क्रिकेट प्रमियों को रोमांचक मैच देखने को मिलता है। गुरुवार को बेंगलुरु में भी यही हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए मुंबई इंडियंस ने निर्धारित 20 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 187 रनों का स्कोर खड़ा किया। कप्तान रोहित ने सबसे ज्यादा 48 रनों की पारी खेली। आखिरी में टीम इंडिया के फिनिशर हार्दिक पांड्या ने 14 गेंदों पर 32 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली।
जवाब में आरसीबी की शुरुआत अच्छी नहीं रही और 67 रन तक दोनों सलामी बल्लेबाज पार्थिव पटेल और मोइन अली पवेलियन लौट चुके थे। लेकिन जीवनदान का फायदा उठाकर एबी डिविलियर्स (70) और विराट कोहली ने (46) अच्छा पारियां खेली।
लेकिन असली खेल तो हुआ मैच के आखिरी ओवर में। आरसीबी को जीत के लिए 17 रन बनाने थे, क्रीज पर थे अपना दूसरा मैच खेल रहे शिवम दूबे और डिविलियर्स। गेंद लंबे समय बाद वासपी कर रहे लसिथ मलिंगा के हाथ में थी। शिवम दूबे ने पहली ही गेंद पर छक्का जड़ दिया। लेकिन उसके बाद मलिंग ने वापसी की और मैच आखिरी गेंद पर पहुंचा तब आरसीबी को जीत के लिए एक गेंद पर 7 रन चाहिए थे। इस गेंद पर शिवम दूबे एक रन ही बना पाये और कोहली की टीम मैच 6 रन से हार गयी।
लेकिन खेल यहीं नहीं रुका। जैसे ही खिलाड़ी मैदान के बाहर पहुंचे तो टीवी रीप्ले से पता चला कि मलिंगा की आखिरी गेंद नो बॉल थी। वे लाइन क्रॉस कर चुके थे। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैच के ठीक के बाद प्रेजेंटेशन में कोहली अंपायरों पर बरस पड़े। उन्होंने कहा कि ऐसे मैच में ऐसी खराब अंपायरिंग नहीं की जा सकती। हम क्लब क्रिकेट नहीं खेल रहे हैं। अंपायरों को अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए। यह बहुत बड़ी लापरवाही है।
इसके बाद ट्वीटर पर #Noball ट्रेंड करने लगा। अंपायरों को लोगों ने खूब खरी-खेटी सुनाई। लेकिन आपको एक किस्सा बताता हूं 2013 के आईपीएल सत्र की। जब कोहली की यही टीम थी, वे तब भी कप्तान थे लेकिन उस उस समय अच्छी अंपायरिंग की वजह से उनकी टीम आरसीबी जीता हुआ मैच हार गयी थी।
यह मैच 13 अप्रैल 2013 को खेला गया था। तब आरसीबी के सामने चेन्नई सुपर किंग्स की टीम थी। आरसीबी ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 6 विकेट के नुकसान पर 165 रन बनाये थे। उस मैच में भी डिविलियर्स और कोहली ने कमाल की बल्लेबाजी की थी। डिविलियर्स ने 64 और कोहली ने 58 रन बनाए थे।
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जवाब में सीएसके की तरफ से रविंद्र जडेजा ने सबसे ज्यादा 38 रन बनाए। आखिरी ओवर में सीएसके को जीत के लिए 16 रन चाहिए थे। बॉलिंग कर रहे थे आरपी सिंह। तब आरपी सिंह टी-20 के अच्छे गेंदबाज माने जाते थे। क्रीज पर साउथ अफ्रीका के क्रिस मॉरिस और रविंद्र जडेजा थी। उनकी पहली दो गेंदों पर जडेजा ने चौका और छक्का जड़ दिया। उसके बाद क्रमश: एक, दो और एक रन बने। अब जीत के लिए आखिरी के गेंद पर सीएसके को दो रन बनाने थे।
स्ट्राइक पर जडेजा थे। आरपी सिंह की बाहर जाती उस गेंद को जडेजा ने थर्डमैन की ओर उछाल दिया। वहां खड़े खिलाड़ी कैच ले लिया, कोहली खुशी से झूम उठे लेकिन उनकी वो खुशी कुछ देर तक के लिए ही थी। अंपायर का हाथ उठ चुका था, वो नो बॉल का इशारा कर रहे थे। आरपी सिंह सीमा रेखा क्रॉस कर चुके थे। और सीएसके ने मैच एक गेंद शेष रहते ही जीत लिया था। मतलब तब, सीन कुछ ऐसा था, लेकिन फर्क बस यह था कि तब कोहली की टीम अच्छी अंपायरिंग से मैच हारी थी और अब खराब अंपायरिंग से।