लखनऊ। भारत की ओर से ओलंपिक के एकलौते गोल्ड मेडलिस्ट (व्यक्तिगत) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गठित ओलंपिक टास्क फोर्स के सदस्य अभिनव बिंद्रा ने खेल मंत्री विजय गोयल से एक हेल्पलाइन नंबर जारी करने की मांग की है। ये ऐसा नंबर हो जिसपर देश से बाहर खेलने गए खिलाड़ी सीधे संपर्क कर सकें।
जाने-माने भारतीय शूटर ने अपने टि्वटर पेज पर ये मांग कंचनमाला पांडे के साथ हुई घटना के दो दिन बाद की है। उन्होंने खेल मंत्री को राय दी कि वैश्विक स्तर के खेल टूर्नामेंट के समय तो ऐसे हेल्पलाइन जरूर जारी किए जाने चाहिए। शुक्रवार को अपने ओपन लेटर में अभिनव ने लिखा है कि पैरालंपिक एथलेटिक कंचनमाला पांडे के साथ जो हुआ वो एथलेटिक मैनेजमेंट पर कई सवाल खड़े करती है।
A suggestion submitted to the honourable minister @VijayGoelBJP pic.twitter.com/GJ4wbcqrkV
— Abhinav Bindra (@Abhinav_Bindra) July 15, 2017
बर्लिन में मांगना पड़ा था उधार
भारतीय पैरा एथलीट कंचनमाला पांडे इस साल होने वाली वर्ल्ड पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की एकमात्र महिला एथलीट हैं। कंचन अब भारत लौट चुकी हैं। लेकिन जर्मनी में आयोजित हुए जिस टूर्नामेंट में कंचनमाला ने विश्व चैंपियनशिप के लिए क्वॉलिफाई किया उसमें भाग लेने के लिए उन्हें जिन तकलीफों और मुश्किल परिस्थितियों से गुजरना पड़ा वह भारतीय खेल संघों की अपने एथलीटों के प्रति दिखाए जाने वाले लापरवाह रवैये की पोल खोलता है।
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डेली मेल की एक रिपोर्ट के मुताबिक कंचनमाला और पांच अन्य भारतीय पैरा एथलीटों ने जर्मनी के बर्लिन में 3-9 जुलाई तक आयोजित हुई पैरा स्विमिंग चैंपियनशिप में भाग लिया। कंचनमाला पूरी तरह से दृष्टिहीन हैं और इस चैंपियनशिप के S11 कैटिगरी में तैरती हैं, लेकिन पैरालंपिक कमिटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की लापरवाही की वजह से उनके पास सरकार द्वारा इस दौरे के लिए उपलब्ध कराई गई धनराशि नहीं पहुंच सकी और एक वक्त तो ऐसा आ गया कि कंचनमाला के पास खाने तक के पैसे नहीं बचे और उन्हें एक अनजाने मुल्क में इसके लिए लोगों से मदद मांगनी पड़ी और उधार तक लेना पड़ा।
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कंचनमाला अपनी सुरक्षा में शामिल जयमाला पाण्डेय के साथ सरकार द्वारा दी गई मदद के बाद बर्लिन दौरे पर गई थीं, लेकिन पैरालंपिक कमिटी ऑफ इंडिया, स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया द्वारा पास की गई धनराशि को कंचनमाला तक पहुंचाने में नाकाम रहा और उनके पास होटल और खाने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे में उनके पास अपना खर्च खुद उठाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा।
वह कहती हैं, ‘इस टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए मुझे 5 लाख रुपए का लोन लेना पड़ा।’ इन तमाम मुश्किलों के बावजूद कंचनमाला ने दूसरी बार वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए क्वॉलिफाई करने का अपना सपना पूरा कर लिया। वह तमाम मुश्किलों को भुलाकर सितंबर में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतना चाहती हैं।
मामले की होगी जांच
भारतीय स्पोर्ट्स प्रशासन की गलतियों का खामियाजा देश की एक दृष्टिहीन पैरा एथलीट स्विमर को भुगतना पड़ा। नागपुर की कंचनमाला एस11 कैटिगरी में स्विमिंग करती हैं, लेकिन बर्लिन दौरे के वक्त पैरालिंपिक कमिटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की गलती की वजह से उन्हें बेहद गरीबी के दिनों से गुजरना पड़ा। खेलमंत्री विजय गोयल ने शनिवार को कहा पैरा-एथलीट कंचनमाला पांडे के बर्लिन में भीख मांगने के मामले में जांच की जाएगी।