लखनऊ। लिंग संबंधी मामले में जीत दर्ज करके अंतरराष्ट्रीय सर्किट में वापसी करनी वाली फर्राटा धाविका दुती चंद एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लेने जा रही हैं। तमाम विवादों को पीछे छोड़कर दुती एक बार फिर ट्रैक पर फर्राटा भरने को तैयार हैं। दुती की सफलता के पीछे संघर्ष की एक लंबी गाथा है। दुती का खेल जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। गांव के धूल भरे कच्चे रास्तों से निकल सिंथेटिक रेस ट्रैक तक पहुंचने के लिए दुती चंद को काफी संघर्ष करना पड़ा है।
दुती को गरीबी के कारण अच्छी ट्रेनिंग करने का मौका भी नहीं मिला। इसके अलावा दुती राजनीति की शिकार हुईं, लेकिन तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी दुती ने अपना हिम्मत नहीं हारी और आज वो फर्राटा पीटी उषा के बाद भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। अात दुती भारत की सबसे तेज दाैड़ने वाली महिला हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (आइएएएफ) ने भारतीय फर्राटा धाविका दुती चंद के खिलाफ जेंडर विवाद को खोलकर फिर से खेल पंचाट जाने का फैसला किया है।
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दुती का गांव कनेक्शन
ओडिसा की एथलीट दुती चंद बहुत ही गरीब परिवार से हैं। उनका जन्म 3 फरवरी 1996 को ओडिशा के चाका गोपालपुर गांव में हुआ था। गरीबी दुती के जज्बे को कभी कम नहीं कर पाया। गांव से दुती ने एथलीट बनने के सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए एक कठिन सफर पर निकल पड़ीं। सफर के दौरान उनके सामने कई रूकावटे भी आईं लेकिन वो थमी नहीं।
उनके पिता एक गरीब बुनकर थे, जिनकी आय 500 से हजार रुपए थी। दुती के परिवार में 9 कुल लोग हैं। जिसमें एक भाई और 6 बहने हैं। दुती बताती है कि खेल की वजह से बहुत कुछ मेरे जीवन में बदलाव आया। खेल ने मुझे बहुत कुछ दिया है। काफी गरीबी से हमारा परिवार जूझ रहा था। गरीबी के कारण मेरी बहनों की पढ़ाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन खेल में आने के बाद मेरे परिवार में काफी कुछ बदलाव आया और अब सबकुछ सामान्य चल रहा है।
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एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप जहां हो रहा वहां से दुती का गांव मात्र दो घंटे की दूरी पर है। दुती के गांव में जश्न सा माहौल है। दुती का गांव बाढ़ आने से मुख्य धार से कट जाता है। लेकिन दुती के कारण गांव की चर्चा हमेशा होती रहती है। दुती के पिता चक्रधर चंद अपनी बेटी का खेल देखने नहीं जा पाएंगे। इंडियन एक्सप्रेस को उन्होंने बताया कि दुती की बहनें मैच देखने जाएंगी। उन्होंने कहा कि घरमें गायें हैं, उनकी देखभाल करने के लिए उन्हें गांव में ही रुकना पड़ेगा।
दुती ने तोड़ा खुद का रिकॉर्ड
कजाखिस्तान के अलमाटी में 26वें जे कोसनोव मेमोरियल मीट में उन्होंने ओलंपिक में जगह बनाने के साथ खुद के राष्ट्रीय रिकॉर्ड में भी सुधार किया। रियो ओलंपिक के लिए क्वालीफाईंग मार्क 11.32 सेकेंड था। दुती ने 11.33 सेकेंड का खुद का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा, जो उन्होंने फेडरेशन कप राष्ट्रीय चैंपियनशिप में बनाया था।
ओलिंपिक में हिस्सा लेने वाली दुती ने कहा, ‘कलिंगा स्टेडियम से मेरा लगाव काफी लंबा है। जुलाई-2006 से मैंने यहां कई इंटरनेशनल टूर्नमेंट्स खेले हैं। चूंकि मैं यहीं की रहने वाली हूं, तो मुझे समर्थन भी अच्छा मिलेगा।’ वह इस चैंपियनशिप में 100 मीटर, 200 मीटर और 4 गुणा 100 मीटर रिले में हिस्सा ले रही हैं। दुती 2012 में अंडर-18 वर्ग में नेशनल चैंपियन बनी थीं। दुती ने 100 मीटर कर दूरी को 11.8 सेकेंड में पूरा किया था। 2012 में ही पुणे में खेले गए एशिनय चैम्पियनशिप में कांस जीता था। 2013 में दुती ग्लोबल की 100 मीटर रेस में फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं। इसी साल 100 और 200 मीटर वर्ग में दुती नेशनल चैंपियन बनीं।
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दुती ने कहा, ‘मैं इस समय आत्मविश्वास से भरी हूं। 2013 में मैंने पहली बार एशियन चैंपियनशिप में कदम रखा था। इसके बाद मैंने कई टूर्नमेंट खेले हैं, जिसमें ओलिंपिक खेल भी शामिल हैं।’ दुती ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि मैं इस बार भी पदक जीतूंगी। अन्य देशों में हमें मौसम के साथ सामंजस्य बिठाने में समय लगता है, लेकिन यह मेरा घरेलू राज्य है और मैं यहां के मौसम से भलीभांती वाकिफ हूं।’ दुती को अब जर्मनी के कोच राल्फ ईक्कट का मार्गदर्शन भी मिल रहा है, जिन्हें इंटरनैशनल एथलेटिक्स महासंघ ने एशियाई देशों के लिए नियुक्त किया है।