लखनऊ। कमलावती देवी गन्ने के खेत में मजदूरी करती थी लेकिन अब वो मजदूरी करना छोड़ चुकी हैं क्योंकि घंटों झुककर वजनी गड़ासे से गन्ना काटने के कारण उन्हें कई बीमारियां हो गई थीं।
गन्ने की कटाई में इस्तेमाल होने वाले भारी औजार और एक ही अवस्था में झुककर घंटों खेत में काम करने के कारण इन महिलाओं को मांसपेशियों में दर्द के साथ ही हड्डियों की बीमार हो रही है। अधिक झुककर रहने के कारण इनके गर्भाशय पर भी असर पड़ रहा है और इससे संबंधित बीमारियां भी इन्हें हो रही है।
डा. आभा सिंह, कृषि वैज्ञानिक, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद
श्रम मंत्रालय के अनुसार यूपी में सर्वाधिक महिला मजदूर गन्ने की खेती में काम करती हैं। नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय फैजाबाद के परिवार, मानव संसाधन और गृह विज्ञान विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक गन्ने की खेती में बुवाई, सिंचाई, कीट नियंत्रण, गुड़ाई और कटाई के कामों में पुरुषों के मुकाबले महिला मजदूरों की संख्या अधिक है।
ठंड का महीना शुरू होने के साथ ही हमारे गाँव में गन्ना की कटाई होकर इसको मिल में भेजने का काम शुरू हो जाता है। कई वर्षों तक मैं सुबह 6 बजे से ही गन्ना की कटाई करने काश्तकार के खेत में जाती थी। घंटों झुककर काफी वजनी गड़ासा से गन्ना काटना पड़ता था, जिस कारण हड्डी और मांसपेशियों में दर्द होने लगा। इसके बाद मैंने गन्ना के खेत में काम करना बंद कर दिया।
कमलावती देवी (45 वर्ष), डांगीपार गाँव (गोरखपुर)
गन्ने की खेत में काम करने वाली महिलाएं एक ही अवस्था में खेत में घंटों झुककर काम करती हैं। इससे वो हड्डी और गर्भाशय से संबंधित बीमारियों की शिकार हो रही हैं।
आकुपेशनल हेल्थ एंड सेफ्टी आफ फीमेल फार्म वर्कस इनवाल्व इन शुगरकेन कल्टीवेशन नामक इस रिपोर्ट को नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की तीन कृषि वैज्ञानिक डा. आभा सिंह, डा. पूनम सिंह और डा. प्रज्ञा ओझा ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में गन्ना खेती के काम में लगी महिलाओं के बीच जाकर तैयार किया है। डॉ. आभा सिंह ने बताया ‘’ नवंबर से लेकर दिसंबर 2016 के बीच गन्ना की खेती करने वाले विभिन्न गाँवों में जाकर हमारी टीम ने खेतों में काम करने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा की जानकरी ली। इससे पता चला कि गन्ना की खेती में पुरुषों के मुकाबले महिला मजदूर अधिक अधिक घंटे काम कर रही हैं।’’ उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में लगभग 1500 गन्ना महिला मजदूरों पर अध्ययन किया गया। इसमें पता चला कि गन्ना की बुवाई से पहले खेत की सफाई से लेकर गन्ना की बुवाई, गुड़ाई और कटाई के काम में महिला मजदूरों को लगाया जाता है।
क्वीन मेरी अस्पताल की सीनियर स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. रेखा सचान ने बताया, ‘’अधिक झुककर काम करने से रीढ़ की हड्डियों पर असर पड़ता है। लगातार एक ही पोजिशन में काम करने से रीढ़ की हड्डी की डिस्क खिसकने का खतरा रहता है, इसके साथ ही इस झुकाव से गर्भाशय भी खिसकता है। चूंकि गन्ने के खेत में महिलाओं को घंटों तक झुककर काम करना पड़ता है इसलिए उनमें यह समस्याएं होती हैं। ‘’गन्ना खेत में काम करने वाली मजदूरों की स्वास्थ्य और सुरक्षा पर रिपोर्ट तैयार करने वाली टीम का हिस्सा रही डा. पूनम सिंह ने बताया ‘’महिला मजदूरों पर रिसर्च करते समय में हम लोगों ने पाया कि गन्ने की कटाई में महिलाएं जिस औजार का इस्तेमाल करती हैं वह काफी भारी होता है।
किडनी पर भी पड़ रहा असर
गन्ना खेत में काम करने वाली महिलाएं लोकलाज के डर से घंटों मूत्र त्याग नहीं करती हैं क्योंकि खेत में पुरुषों की मौजूदगी और अलग से जगह नहीं होने के कारण उनके लिए समस्या होती है। पेशाब रोकने के कारण इनकी किडनी पर भी असर पड़ रहा है। डा. रेखा सचान बताती हैं, “लंबे समय तक पेशाब रोकने के कारण मूत्रवाहिनी से मूत्र बार-बार मूत्राशय आ जात है जो सीधे किडनी पर दबाव बनाता है। इससे मूत्र क्रिस्टल में भी बदलने लगता है और पथरी बनाना शुरू कर देता है।”