लखनऊ। नवजात शिशु के लिए मां का दूध अमृत समान होता है। लेकिन कई बार कुछ ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं कि नवजात शिशु को मां का दूध नहीं मिलता है, जिससे नवजात का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश का पहले सम्पूर्ण स्तनपान प्रबंधन केन्द्र (सीएलएमसी) खोला जा रहा है। इस केंद्र पर माताओं को स्तनपान कराने में सहायता से लेकर वंचित शिशुओं को मां का दूध मिलने के लिए मिल्क बैंक की सुविधा होगी।
यह मिल्क बैंक कामकाजी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद होगा, वे अपने बच्चों के लिए मिल्क इस बैंक में सुरक्षित रखवा सकेंगी। इस बैंक में मां के दूध को तीन महीने से अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
ये भी पढ़ें: विश्व स्तनपान सप्ताह : मजदूर मां की मजबूरी ‘मज़दूरी करें या बच्चे को कराएं स्तनपान’
एक शोध के अनुसार 25 से 30 प्रतिशत बच्चे काफी कमजोर होते हैं और उन्हें मां का दूध न मिलने पर स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। ऐसे में मां का दूध उनके लिए बहुत उपयोगी साबित होता है। मां का दूध आसानी से पच जाता है। बच्चों को बाहर का पानी या कुछ और आहार देने से उन्हें डायरिया होने का खतरा रहता है। जबकि मां के दूध से नवजात को शारीरिक व मानसिक विकास में मदद मिलती है।
केजीएमयू के कुलपति प्रो.एमएलबी भट्ट ने कहा, ” इस केंद्र पर जहां जरूरतमंद नवजातों को मां का दूध उपलब्ध कराया जायेगा, वहीं ऐसी माताओं, जिनके नवजात को बीमारी के चलते नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में भर्ती करना पड़ता है उनका दूध संक्रमण से बचाते हुए पम्प की सहायता से किस प्रकार निकालना है और शिशु तक पहुंचाना है इसके बारे में जानकारी दी जायेगी।”
ये भी पढ़ेें: कॉलस्ट्रम देगा बच्चे को बीमारी से लड़ने की ताकत
बाल विभाग की डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने बताया,” इस मिल्क बैंक की स्थापना के लिए पाथ संस्था इसमें तकनीकि सहयोग प्रदान कर रही है। फिलहाल देश में 60 मिल्क बैंक हैं, लेकिन प्रदेश का यह पहला मिल्क बैंक होगा। इसकी वित्तीय सहायता भारत सरकार, नेशनल हेल्थ मिशन के द्वारा प्रदान की जा रही है। इसके द्वारा सभी माताओं को पूर्ण रूप से स्तनपान कराने के लिए सहायता की जाएगी तथा जिन बीमार तथा जरूरतमंद शिशुओं को किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता है उन्हें मां का दूध इस मिल्क बैंक के द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।”
ये भी पढ़ें: ऑफिसों में बच्चों को स्तनपान कराने के लिए उचित जगह नहीं: सर्वेक्षण
इस तरह काम करेगा मिल्क बैंक
मेडिकल कॉलेज की महिला अस्पताल क्वीन मैरी में इलाज कराने के लिए आने वाली महिलाओं को ब्रेस्ट फीडिंग के लिए जागरूक किया जाएगा। मदर मिल्क बैंक में इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप मशीन लगाई जाएगी, जिसकी सहायता से डोनर से दूध लिया जा सकेगा। इसके बाद माइक्रोबयॉलजिकल टेस्ट के जरिए इसकी गुणवत्ता जांची जाएगी। इसके बाद दूध को कांच की बोतलों में -20 डीग्री तापमान पर सुरक्षित रखा जाएगा।
ये भी पढ़ें: लंबे समय तक मां का दूध बच्चे के दांत कर सकता है खराब
यूनिसेफ और डब्लूएचओ द्वारा जारी ग्लोबल ब्रेस्ट फीडिंग स्कोर कार्ड में कहा गया है कि भारत में अपर्याप्त स्तनपान की वजह से असामयिक मृत्यु व अन्य नुकसान से अर्थव्यवस्था को 89,446 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो सकता है। भारत में लगभग हर वर्ष 99,499 बच्चे डायरिया और निमोनिया की वजह से मर रहे हैं, जिन्हें पर्याप्त मात्रा में स्तनपान करने से बचाया जा सकता है। रिपोर्ट कार्ड में ये भी कहा गया है कि छह माह तक स्तनपान न कराने से जहाँ एक तरफ बच्चों को डायरिया और निमोनिया जैसी गम्भीर बीमारियाँ हो जाती हैं वहीं दूसरी तरफ महिलाएं ओवरी और स्तन कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित हो जाती हैं।
ये भी पढ़ें: विश्व स्तनपान सप्ताह: उत्तर प्रदेश में 25 प्रतिशत नवजात ही पी पाते हैं मां का दूध