अगर आप बोतलबंद और आरओ का पानी पीते हैं तो सतर्क हो जाइए, क्योंकि दुनिया भर में बोतलबंद पानी की गुणवत्ता को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है। दुनिया भर में 90 फीसदी बोतलबंद पानी में प्लास्टिक के बारीक कण घुले हुए हैं। इनमें दुनिया के 9 देशों के 11 बड़े ब्रांड्स शामिल हैं। इस लिस्ट में भारत में बिकने वाली बिस्लेरी, एक्वाफिना और ईवियन जैसी पानी की कंपनियां का भी नाम है।
भारत जैसे देश में जहां करीब साढ़े सात करोड़ से ज्यादा लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं है, वहां बोतल बंद पानी का कारोबार सालाना 20 फीसदी से भी ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहा है और 2018 तक इसके 16,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है। वर्ल्ड वॉटर डे पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 5 फीसदी जनसंख्या (7.6 करोड़ लोग) के लिए पीने का पानी उपलब्ध नहीं है और करीब 1.4 लाख बच्चे हर साल गंदे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। वहीं दूसरी ओर सरकारों की अनदेखी और वाटर मैनेजमेंट न होने की वजह से पानी का यह कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है।
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पानी भरते समय अंदर चले जाते हैं हानिकारक कण
प्लास्टिक की बोतल बंद पानी में पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट जैसे पदार्थ मिले हैं। रिसर्चर ने बताया कि इन सभी का इस्तेमाल बोतल का ढक्कन बनाने में होता है। ये अवशेष बोतल में पानी भरते समय पानी में शामिल हो जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इस अध्ययन में हमें जो 65% कण मिले हैं वे वास्तव में टुकड़े के रूप में हैं न कि फाइबर के रूप में। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बोतल में इन प्लास्टिक के कणों की संख्या शून्य से लेकर 10,000 से अधिक तक हो सकती है।
इन ब्रांड्स के नमूनों में मिला प्लास्टिक
रिसर्च के लिए दुनिया भर के कई ब्रांड्स के नमूने लिए गए थे। जिन ब्रांड्स में प्लास्टिक के अवशेष पाए गए हैं उनमें भारत की बिस्लेरी और एक्वाफिना के अलावा एक्वा, दसानी, एवियन, नेस्ले प्योर लाइफ और सान पेलेग्रिनो जैसे ब्रांड्स का नाम प्रमुख तौर पर दिया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बिस्लेरी, एप्यूरा, जेरोलस्टीनर, मिनाल्बा और वाहाहा जैसे ब्रांड्स में भी प्लास्टिक के अवशेष पाए गए हैं।
इस तरह के अवशेष पाए गए
शोधकर्ताओं के मुताबिक बोतलबंद पानी में पाए गए प्लास्टिक के अवशेषों में पॉलीप्रोपाइलीन, नायलॉन और पॉलीइथाईलीन टेरेपथालेट शामिल हैं। इन सबका इस्तेमाल बोतल का ढक्कन बनाने में होता है। शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है। यह बोतल और उसके ढक्कन से आ सकता है।
भारत सहित इन 9 देशों से लिए गए नमूने
टेस्ट के लिए भारत समेत 9 देशों से बोतलबंद पानी के नमूने लिए गए थे। इनमें भारत के अलावा अमेरिका, चीन, ब्राजील, इंडोनेशिया, केन्या, लेबनान, मैक्सिको और थाईलैंड शामिल हैं। इस दौरान कुल 93% नमूनों में प्लास्टिक के अवशेष पाए गए हैं।
गोरखपुर के पिपराइच ब्लाक के गाँव रक्षवापार निवासी सुदमा मिश्रा (61)का कहना है,“ पेट की परेशानी से हम लोग जूझ रहे थे। राेजाना टीवी में प्रचार आता था कि, आरओ का पानी पीने से पेट की तमाम बीरियां दूर हो जाएंगी। मैंने भी अपने घर पर आरओ लगवा लिया, लेकिन पेट की सस्या अभी भी बरकार है। पेट की बीमारी दूर करने वादा बस धोखा है।”
वहीं कुशीनगर के धनहा निवासी शिवेंद्र सिंह (32वर्ष) कहना है,“ आरओ कंपनियां लोगों पर मानसिक दबाव बनाकर आरओ खीदने के लिए मजबूर कर रही हैं। विज्ञापन के माध्यम से लेागों को डाराया जा रहा है।”
सूरत निवासी आशुतोष (35वर्ष ) का कहना है,“ बिना फिल्टर किए बिना भूमिगत जल को पीने से तमाम बीमारियों के हाने का डर बना रहता है।”
आरओ के पानी में मिनरल्स बहुत कम हो जाते हैं। इसलिए कई डॉक्टर आरओ वाले पानी की बजाय प्रकृतिक स्त्रोत के पानी को पीने की सलाह देते हैं ,क्योंकि उसमें मिनरल्स की भरमार रहती है।
राजेश भारती, पर्यावरणविद
आरओ जब पानी को फिल्टर करता है तो वह इस पानी में मिनरल्स हो पूरी तरह निकाल देता है, हम पूरी तरह से यह नहीं कह सकते कि आरओ का पानी पूरी तरह से शुद्ध होता है।
डा. एससी मौर्या, फीजिशियन, राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय
2018 में 16,000 करोड़ रुपए का होगा बोतल बंद पानी का बाजार
रिसर्च फर्म वेल्यूनोट्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बोतल बंद पानी का कारोबार 2018 तक 16,000 करोड़ रुपए का हो जाएगा, जो 2013 में 6,000 करोड़ रुपए का था। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में बोतल बंद पानी का यह बाजार सालाना 22 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। भारत में बोतल बंद पानी की शुरुआत 1990 में बिसलरी द्वारा की गई। पेप्सी और कोका कोला जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने बोतल बंद पानी को शुद्ध और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बताने वाले प्रचार के जरिये बड़ा बाजार बना दिया।
पांच कंपनियों का है कब्जा
भारत में बोतल बंद पानी के मार्केट में 67 फीसदी हिस्सेदारी केवल टॉप 5 कंपनियों के पास हैं। भारत के बोतल बंद पानी कारोबार पर वर्तमान में बिसलेरी,पेप्सीको, कोका कोला, धारीवाल और पारले का कब्जा है। 36 फीसदी के साथ बिसलेरी मार्केट लीडर है। 25 फीसदी हिस्सेदारी के साथ कोका कोला का किनले दूसरे और 15 फीसदी हिस्सेदारी के साथ पेप्सीको का एक्वाफिना तीसरे स्थान पर है। इसके बाद पारले का बैली, किंगफिशर और मैकडोवेल्स नंबर वन जैसे ब्रांड आते हैं।
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