स्वच्छता और सेहत बनाए रखने के दस सूत्र 

लखनऊ

हमारी सेहत को बेहतर बनाए रखना बेहद आसान है बशर्ते हम हमारे शरीर की आवश्यकताओं को बेहतर तरीके से समझ पाएं और हमारे परिवेश को स्वच्छ रखने की कोशिश करें। आमतौर पर बाज़ार में सेहत दुरुस्ती के लिए मिलने वाली दवाएं हमारे लक्षणों को ठीक करती हैं, रोगकारकों को नहीं।

रोगकारकों को ठीक करने का सबसे बड़ा जिम्मा किसी डॉक्टर या वैद्य के पास नहीं बल्कि हमारे पास है। हमारा शरीर स्वस्थ रहेगा, हमारा परिवेश साफ सुधरा रहेगा तो रोगकारक हमसे दूर रहेंगे, शरीर की अस्वच्छता और हमारे आस-पड़ोस की गंदगी रोगकारकों का एटीएम है।

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बहुत साधारण सी सावधानियों को बरतते हुए हम काफी हद तक स्वस्थ शरीर और सेहत को प्राप्त कर सकते हैं। हफ्ते दर हफ्ते हम कुछ सामान्य सी जानकारियों से रुबरु होते जाएंगे जिनके अमल में लाए जाने के बाद हम वाकई स्वच्छता और बेहतर सेहत की ओर अपने कदम आगे बढ़ाते चले जाएंगे।

  1. फलों और सब्जियों की अच्छी तरह धुलाई जरूर करें और इन्हें गुनगुने पानी में नमक-डालकर कम से कम 20-30 मिनट तक डुबोकर रखें। खेत खलिहानों और बगीचे-बागानों में रासायनिक छिड़कावों की वजह से फल सब्जियां सेहत बनाने के बजाए बिगाड़ देती हैं। साफ धुलाई और नमक के पानी में डुबोकर रखने से कई घातक रसायनों की सफाई हो जाती है। सेब जैसे फलों पर चमक के लिए वैक्स लगाया जाता है जो गुनगुने पानी में डालने से पिघलकर निकल जाएगा। कृत्रिम रंगों से रंगाई सब्जियों को भी पानी में डुबोकर रखने से रंग उतर आता है। ये घातक रसायन खेतों और बगीचों से आपकी रसोई तक पहुंच जाते हैं, इनकी साफ सफाई आपके पूरे परिवार की सेहत को बिगड़ने से बचाएगी।
  2. भीड़ और चहल-पहल के इलाकों में खुली रखी वस्तुओं को हाथ लगाने से बचें। रेलवे स्टेशन, बस स्टॉप, बैंक, दुकानों जैसी सार्वजनिक जगहों पर रखी कुर्सियां, वस्तुएं, कागज और वहां रखे अन्य सामानों को बेवजह छूकर देखने से सूक्ष्मजीवी संक्रमण होने की गुंजाइश हो सकती है। सार्वजनिक शौचालयों जैसी जगहों पर संक्रमण की संभावनाएं ज्यादा होती है। अपने साथ कर्पूर जरूर लेकर चलें जिसे थोड़े-थोड़े अंतराल से चूरा करके हैंड सेनेटाइज़र की तरह इस्तमाल में लाया जा सकता है। कपूर एंटीमाइक्रोबियल होता है साथ हवा को भी शुद्ध करने का काम करता है। आपके आस-पास नीम का पेड़ हो तो इसकी पत्तियों को हथेली में रगड़कर मसल लें और हैंड सेनेटाइज़र की तरह इस्तेमाल में लाएं।
  3. संतरे, नींबू या अन्य खट्टे फलों के छिलकों को डस्टबीन में डालने के बजाएं घर की वायु शुद्ध करने के काम में लायें। एक बर्तन में पानी लें और इन छिलकों को डालकर खौलाएं। खट्टे फलों के छिलकों को खौलाने से इनकी भाप और सुगंध अन्य कमरों तक जाएगी। यह सुगंध इन छिलकों में पाए जाने वाले उड़नशील तेल की वजह से आती है जो स्वभाव से सूक्ष्मजीवीरोधी होती है। ऐसा नित्य करते रहने से घर के कमरों में सुगंध के साथ-साथ बेहतर सेहत की भी व्यवस्था हो जाएगी। खट्टे फलों के छिलकों को जूतों के रैक या बंद अलमारी में भी 24 घंटों के लिए रखा जाना चाहिए और बाद में इसे फ़ेंक दें। ऐसा करने से बंद अलमारी या जूतों के रैक में पनपने वाले सूक्ष्मजीवो पर काबू पाया जा सकता है।
  4. जब भी लंबे समय के लिए घर को बंद करके बाहर जाना हो रहा हो, कमरे में एक कटोरे में कर्पूर को डालकर खुला रख छोडि़ए और जब कुछ दिनों बाद आप बाहर से अंदर प्रवेश करेंगे तो कमरे की हवा ताज़ा और सूक्ष्मजीवमुक्त होगी।
  5. घरों में डस्टबिन का इस्तेमाल होना चाहिए। डस्टबिन में सबसे नीचे पुराने अखबार का पन्ना डाल दें, दो से तीन बूंद नीलगिरी का तेल भी डाल दें ताकि फेंके गए तरल पदार्थ की गंध ना आये और फेंके गए कचरे से सूक्ष्मजीव न पनपे इससे बीमारियां हो सकती हैं।
  6. चावल का मांड, उबली हुई सब्जियों का पानी आदि को ठंडा होने के बाद गमलों या पेड़ पौधों में डाल दीजिए क्योंकि इनमें पोषक तत्व होते हैं जो पौधों की सेहत बनाने में मददगार साबित होंगे। इन्हें नालियों में बहा दिया जाएगा तो समझियों सूक्ष्मजीवों, कीड़ों और मच्छरों आदि को पनपने के लिए भोजन व्यवस्था आपने कर दी है।
  7. घर में इस्तेमाल में लाए जाने वाले दूध घी को स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है किंतु अगर हम गायों-भैसों के स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रखेंगे तो दूध भी शुद्ध नहीं मिलेगा। गायों को बांधने के स्थान साफ रहने चाहिए। इनके मल-मूत्र निकास की बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। लेमनग्रास और नीलगिरी का तेल समान मात्रा में मिलाकर इनके रहने के स्थान के आसपास छिड़कना चाहिए। ये तेल पशुओं के मल-मूत्र की गंध को दूर करने के अलावा मच्छरों के प्रकोप को खत्म करते हैं।
  8. नाखूनों को समय-समय पर काटकर उनकी साफ सफाई का खास ख्याल रखें। नाखूनों के भीतर सूक्ष्म कीटाणुओं का वास होता है, भोजन ग्रहण करने के दौरान नाखूनों में बसे सूक्ष्म कीटाणु हमारे शरीर के भीतर पहुंच जाते हैं और संक्रामक रोगों को जन्म देते हैं।
  9. अपने घर के रजाई, गद्दों और चादरों को सप्ताह में एक बार धूप में जरूर रखें। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि रजाई, गद्दों और तकियों आदि की रुई में अनेक घातक जीव होते हैं। चूंकि ये जीव एक तय तापमान तक जीवित रहते हैं इसलिए रूई से बने ये सामान इनके लिए एक सुरक्षित आवास बनाते हैं। कड़क धूप में इन्हें रख देने से रुई का तापमान बढ जाता है।
  10. अपने शरीर की साफ सफाई रखने से हम स्वयं तो स्वस्थ रहेंगे साथ ही अपने आस-पास के लोगों को भी बीमार होने से बचा पाएंगे। प्रतिदिन स्नान करना, शरीर की देखभाल करना स्वस्थ दिनचर्या के अहम हिस्से होने चाहिए।

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