आप जानकर आश्चर्य करेंगे कि हमारे बालों की संरचना मछली की त्वचा की तरह मिलती-जुलती होती है। बालों का केंद्र या केंद्रीय अक्ष कोर्टिकल कहलाता है। कोर्टिकल के बाहर चारों ओर मछलियों की त्वचा पर दिखाई देने वाले स्केल्स की तरह अत्यंत कोमल संरचनाएं होती हैं जो एक दूसरे के ऊपर कुछ इस तरह से व्यवस्थित होती हैं कि बाल एकदम चिकने और चमकदार दिखाई देते हैं। इन स्केल्स की तरह दिखाई देने वाली संरचनाओं पर खरोच, खुरदुरापन या किसी भी तरह के रसायनों के प्रभाव से बाल बेरुखे और प्राणहीन होने लगते हैं। हर दो महीनों में बालों की लंबाई लगभग एक इंच तक बढती है और हम प्रतिदिन लगभग 100 बालों को खो देते हैं जो कि एक सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है और यह हमारे शरीर में होने वाली समय-समय पर आंतरिक और बाह्य संरचना परिवर्तन का एक हिस्सा ही है लेकिन अनियंत्रित खान-पान, रहन-सहन और साथ ही उम्र के प्रभाव के चलते ये परिवर्तन तेजी से होते हैं और बालों से जुड़ी समस्याओं का आगमन भी तेजी से होता है, हालांकि बालों से जुड़ी ज्यादा समस्याएं महिलाओं की अपेक्षा पुरूषों में ज्यादा होती हैं।
स्वस्थ और खूबसूरत दिखाई देने वाले बाल किसी भी महिला या पुरूष के आत्मविश्वास और व्यक्तित्व को बढ़ावा देने में मदद करते हैं लेकिन बालों से किए जाने वाले सौतेले व्यवहार की वजह से ये पतले, कमजोर और सुस्त दिखाई देने लगते हैं और इसका सीधा असर हमारे व्यक्तित्व पर दिखाई देता है। समय रहते बालों की बेहतर सेहत और उनसी जुड़ी समस्याओं पर ध्यान ना दिया जाए तो बालों का झड़़ना, असमय पकना, सिर में खुजली, बालों का दोमुँहा हो जाना, डेंड्रफ़ आदि समस्याओं का सामना कर पड़ सकता है। जहाँ एक ओर व्यस्त जीवन शैली हमें बालों की देखभाल से दूर किए हुए है वहीं दूसरी तरफ प्रदूषित वातावरण, रासायनों के घातक प्रभाव, जंक फूड और भोजन में एक या एक से अधिक पोषक तत्वों की कमी की वजह से हालात और बदतर होते जा रहें हैं। इसमें कोई शक नहीं कि बालों से जुड़ी समस्याओं की वजह से ना सिर्फ़ हमारे व्यक्तित्व और आत्म-विश्वास में कमी आती है अपितु शरीर के समग्र विकास में भी इसके दुष्प्रभाव महसूस किए जा सकते हैं और देखे भी जा सकते हैं। लेकिन इन सब के बावजूद उम्मीद खोने की जरूरत नहीं है, इस सप्ताह जिक्र करूँगा आदिवासियों के उन रोचक हर्बल नुस्खों से जो बालों की समस्याओं के लिए काफी कारगर माने जाते हैं।
बालों का झड़ना
जब बालों के झड़ने का क्रम सामान्य से ज्यादा हो जाए तो चिंता का विषय हो जाता है। बालों का झड़ना अनेक वजहों से हो सकता है और इनमें से एक प्रमुख वजह बालों का देखभाल सही तरीके से ना होना और बालों के संपर्क में रसायन इत्यादि का आना हो सकता है। बार-बार हेयर स्टाईल बदलना, बालों पर जोर जोर से कंघी को चलाना आदि बालों को अक्सर जड़ों से कमजोर कर देता है और इनके झड़ने का क्रम शुरू हो जाता है और अक्सर जड़ से टूटे बाल पुन: नही उगते। इन कारणों के अलावा खान-पान में लौह तत्वों की कमी, लंबे समय से चली आ रही कोई बीमारी, रसायनयुक्त दवाएं, मानसिक तनाव, हार्मोन्स का संतुलन बिगड़ना, विकिरण (रेडियेशन) के समझ आना और प्रसव के बाद अक्सर बालों के झड़ने की शिकायतें आती है। एंड्रोजेनेटिक एलोपेसिया जैसे रोगों के बाद तो बाल पूरी तरह से झड़ जाते हैं और नए बाल नहीं बनते हैं। बालों के झड़ने को रोकने के लिए आदिवासी अंचलों में हर्बल जानकार कुछ हर्बल उपचार को अपनाते हैं।
पारंपरिक हर्बल उपचार
नारियल के तेल या बादाम के तेल से बालों की हल्की हल्की मालिश 1-15 मिनिट तक करें और फिर एक गर्म तौलिए को बालों पर लपेट लें और इसे 2 -3 मिनिट तक रखा रहने दिया जाए। ऐसा कुछ दिनों तक लगातार करने से बालों की जड़ों को मजबूती मिलती है।
नीम की पत्तियों को उबाला जाए और ठंडा होने पर छान कर रखा जाए। किसी हर्बल शैपू से बाल धोने के बाद अंत में नीम के पानी से बालों को धो लिया जाए, बाल सेहतमंद हो जाते हैं।
हर दिन सुबह आधा मुठ्ठी काले या सफ़ेद तिल का सेवन करें, ये बीज कैल्शियम से भरपूर होते हैं जो कि बालों की बेहतर सेहत के लिए आवश्यक एक तत्त्व है।
सप्ताह में एक दिन बालों को अरंडी और बादाम के तेल के मिश्रण से मालिश करें। दोनो की समान मात्रा लेकर हल्का सा गुनगुना किया जाए और हल्के-हल्के हाथों से बालों की जड़ों तक मालिश की जाए, बालों को मजबूती मिलती है।
सिर के जिन हिस्सों पर बालों की मात्रा कम दिखाई देती है वहाँ प्याज का रस लगाकर मालिश करनी चाहिए और ऐसा तब तक किया जाए जब तक कि उस हिस्से में चमड़ी हल्की लाल ना दिखाई दे, इसके बाद इस पर हल्का सा शहद लगाकर कुछ देर रहने दिया जाए और फिर धो लिया जाए। आदिवासी मानते हैं कि ऐसा करने से बालों के पुन: उगने की संभावनांए बढ जाती हैं।
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डैंड्रफ़
यदि बालों की जड़ों के आसपास या सिर में सफ़ेद फ़्लेक्स दिखाई दें, अक्सर सिर में खुजली सी महसूस हो, समझ लीजिए आप डेंड्रफ़ से पीड़ित हैं। डेंड्रफ़ होने की मुख्य वजहों में मुख्यत: भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी, बालों की साफ सफ़ाई और देखभाल में कमी, कठोर रसायनयुक्त शैम्पू का इस्तमाल, शैम्पू के बाद बालों की अच्छी तरह से धुलाई ना होना, खोपड़ी में रक्त प्रवाह सामान्य ना होना और सिर की बाह्य त्वचा से स्केल्स का अत्यधिक झड़ना आदि प्रमुख हैं। वैसे तो डेंड्रफ़ से निवारण के लिए अनेक देसी फ़ार्मुलों की उपलब्धता है लेकिन मैं समझता हूँ कि बालों की बेहतर साफ़ सफ़ाई और समय-समय बालों पर बालों में तेल से मालिश करते रहने और किसी अच्छे हर्बल शैम्पू से बाल धुलाई के इस्तमाल करने से काफी हद तक समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है, आईये जानते हैं कुछ हर्बल नुस्खों को जिनकी मदद से डेंड्रफ़ दूर किए जा सकते हैं।
पारंपरिक हर्बल उपचार
नारियल, अरंडी और सरसों के तेल की समान मात्रा (१ चम्मच प्रत्येक) ली जाए और इससे बालों को सिरों से लेकर जड़ों तक मालिश की जाए। कुछ ही समय में डेंड्रफ़ गायब हो जाएंगे।
नारियल और जैतून के तेल की बराबर मात्रा लेकर इसमें कुछ बूंदे नींबू के रस की मिला ली जाएं और इस मिश्रण से बालों की मालिश लगभग १० मिनिट तक की जाए और फ़िर गर्म तौलिए से सिर को ३ मिनिट के लिए ढाँक लिया जाए, काफ़ी फ़ायदा करता है।
मेथी के दानों को रात भर के लिए पानी में डुबोकर रखा जाए, सुबह इसे मिक्सर में पीस लिया जाए और इस पेस्ट में थोड़ी मात्रा में नीम की पत्तियों के रस को भी मिला लिया जाए और सिर पर लेपित करके ४५ मिनिट रखा जाए, माना जाता है कि ऐसा सप्ताह में एक बार करने से बालों में कभी डेंड्रफ़ नहीं आते हैं।
चावल पकाने के बाद बचे पानी, जिसे माँड कहा जाता है, में शिकाकाई के बीजों के चूर्ण को मिला लिया जाए और इससे सिर धोया जाए, डेंड्रफ़ दूर हो जाते हैं।
गुड़हल के फ़ूल एकत्र कर लिए जाएं और कुचल कर पेस्ट तैयार किया जाए, इस पेस्ट को बालों पर लगाया जाए। यह पेस्ट एक नेचुरल कंडीशनर की तरह कार्य करता है और डेंड्रफ़ भगाने में मदद भी।
1 /2 कप नारियल तेल या जैतून के तेल को हल्का गर्म किया जाए, इसमें 4 ग्राम कपूर मिला लिया जाए, जब कपूर पूरी तरह से घुल जाए तो इस तेल से मालिश की जानी चाहिए। मालिश सप्ताह में एक बार अवश्य करनी चाहिए, कुछ ही समय में डैंड्रफ़ खत्म हो जाते हैं।
आँवले के फलों का रस और जैतून का तेल मिलाकर मालिश करने से भी डैंड्रफ़ खत्म करने में काफ़ी फ़ायदा होता है।
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बालों का असमय पकना
वैसे उम्र के साथ-साथ बालों का पकना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन 34 वर्ष की आयु से पहले बालों का पकना चिंता का विषय हो सकता है। बालों के असमय पकने को रोकने के लिए चाय, कॉंफी का सेवन कम करना चाहिए, एल्कोहल का सेवन नहीं करना चाहिए। खाने में ज्यादा खट्टा, अम्लीय भोज्य-पदार्थों का चयन, तेल और तीखे भोजन भी बालों से जुड़ी इस समस्या को और बढा देते हैं। इन सब के अलावा मानसिक तनाव, चिंता, धूम्रपान, दवाओं का लम्बे समय तक उपयोग, अनियंत्रित हार्मोन स्तर, बालों को ब्लीच करना, रंग लगाना आदि से बालों के पकने का सिलसिला और तेज हो जाता है।
पारंपरिक हर्बल उपचार
शहद के साथ कद्दुकस अदरख मिला लिया जाए और इसे बालों पर लगाया जाए तो बालों का पकना कम हो जाता है।
सूखे हुए आँवले के फलों को पानी में डालकर तब तक उबाला जाए जब तक किए एक चौथाई शेष रहे, इसमें मेंहदी और नींबू रस मिला लिया जाए और बालों पर लेपित किया जाए, माना जाता है कि ऐसा करने से असमय बालों का पकना रूक जाता है।
मेंहदी, मेथी के दानों का चूर्ण, तुलसी की पत्तियों का रस, पुदिना रस और सूखी चाय की पत्तियों को मिलाकर पेस्ट तैयार किया जाए और इस पेस्ट को बालों पर लगाकर २ घंटों तक रखा जाए और फिर किसी हर्बल शैम्पू से बालों को धो लिया जाए, फायदा करता है।
बालों का दोमुँहा होना
बालों पर तरीके से कंघी ना करना, हेयर ड्रायर का इस्तमाल, कलर करना और रसायनों के इस्तमाल से अक्सर बाल के सिरे दो मुँहे हो जाते है। इससे बचने के लिए अपने बालों को साफ़ रखें, प्रोटीन से भरपूर भोज्य-पदार्थों का सेवन करें और हर २ महिने में बालों के सिरों पर कटिंग करवाते रहने से बाल स्वस्थ और दो मुँहे रहित रहते हैं। साथ ही, चौड़े दांतो वाली कंघीयों का इस्तमाल किया जाना चाहिए और शैम्पू के बाद अच्छे प्राकृतिक कंडिशनर का उपयोग करना चाहिए।
पारंपरिक हर्बल उपचार
बालों पर तिल का तेल सप्ताह में कम से कम एक बार अवश्य लगाना चाहिए।
नारियल तेल में थोड़ा सा दही डालकर सिर पर मालिश करनी चाहिए, इससे बालों का दो मुँहापन खत्म हो जाता है और धीरे धीरे बाल सामान्य हो जाते हैं।
दही के साथ टमाटर को कुचल लिया जाए और इसमें थोड़ा सा नींबू रस और नीलगिरी का तेल मिलाया जाए और इससे सिर की मालिश सप्ताह में दो बार की जाए तो समस्या का निदान जल्द हो जाता है।
हम विकास की दौड़ में बहुत दूर निकल आएं हैं, और जंगलों में रहने वाले वनवासी आज भी आदिवासी कहलाते हैं। अपने १५ साल से अधिक समय के अनुभवों के आधार पर जिक्र करूँ तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अब तक मैनें आदिवासी अंचलों में यदा-कदा ही किसी गंजे व्यक्ति को देखा या शायद देखा भी नहीं। वो लोग आदिवासी हैं, उनके पास विटामिन-ई शैम्पू, एंटी-डैंड्रफ़ शैम्पू, तमाम ताम-झाम लिए उत्पादों की कोई जानकारी नहीं फ़िर भी वहाँ कोई गंजा या बालों के रोगों से ग्रस्त रोगी क्यों नहीं दिखाई देता? जवाब बिल्कुल साधारण है, वो प्रकृति की शरण में हैं, उनकी जीवन-शैली साधारण हैं और वो रसायनिक पदार्थों और उत्पादों से कोसो दूर..और हम शहरों के तथाकथित विकसित विज्ञान के उपासक आज भी शॉपिंग मॉल के कोस्मेटिक स्टोर पर भीड़ जमाए रहते हैं सिर्फ़ इस उम्मीद में कि शायद इनमें से कोई उत्पाद हमारे बालों को वापस ले आए या डेंड्रफ़ दूर करे या फ़िर हमारे बाल किस उत्पाद के उपयोग से और भी सौंदर्यपूर्ण हो जाएं..
सच्चाई तो यह है कि हम अपने बालों की ओर ध्यान देना तभी आरंभ करते है जब हम बालों से जुड़ी समस्याओं से जूझने लगते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि रोगों की रोकथाम हमेशा रोगों के उपचार से बेहतर होती है? तो फिर क्यों हम रोगों के उपचार की सोचें? बेहतर हो कि हम रोगों की रोकथाम की ज्यादा चिंता करें। आपको आपके सिर के इस ताज की फ़िक्र होते रहना जरूरी है क्योंकि इस ताज के छिन जाने के बाद यह ताज वापस मिल पाना लगभग नामुमकिन सा है। आखिर क्या किया जा सकता है? बिल्कुल साधारण सा उपाय है..प्रतिदिन कसरत करिए, अपनी खान-पान और रहन-सहन की शैली को बेहतर करिए, अपने भोजन में हरी साग-सब्जियों को सम्मिलित करिए। फ़लों, सलाद, अंकुरित बीज, दूध और दूध से बने उत्पाद का सेवन अधिक से अधिक करें जिससे आपके बालों की जड़ों को तमाम पोषक तत्त्व उपयुक्त मात्रा में मिलते रहें। बालों की नियमित साफ़-सफ़ाई, धुलाई, सप्ताह में कम से कम दो बार तेल से मालिश और तमाम देख रेख होती रहे तो इन समस्याओं का सामना आप कभी नहीं करेंगे। गीले बालों पर कंघी नही करनी चाहिए और हमेशा साफ़ तौलियों का इस्तमाल करना जरूरी है। इन सबके अलावा सबसे महत्वपूर्ण एक स्वस्थ जीवन-शैली को अपनाना है, चिंता और तनाव से दूर रहते हुए ऐसा हेल्थ-मंत्र अपनाईये जिससे आपके आस पास के लोग आप से पूछते रहें कि आप किस चक्की का आटा खाते हो?कैसे करें देखभाल अपने बालों की?
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