लखनऊ। राजस्थान में स्वाइन फ्लू कहर बरपा रहा है। हफ्तेभर में 10 लोगों की मौत हुई है, जबकि 100 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। स्वाइन फ्लू (एच1एन1) को लेकर स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया है। प्रदेश में भी दर्जनभर मरीज मिले हैं। एहतियात के तौर पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने किसी भी प्रकार का मामला आने पर तुरंत सूचित करने के निर्देश दिया है।
स्वाइन फ्लू के बारे में लखनऊ के प्रसिद्ध चेस्ट रोग फिजीशियन डॉक्टर बीपी सिंह का कहना है, ” खांसते और छींकते समय मुंह पर हाथ नहीं रखना चाहिए, बल्कि कोहनी से मुंह को ढकना चाहिए। मुंह पर हाथ रखने के बाद सारे वायरस हमारे हाथ में इकट्ठा हो जाते हैं और जब हम किसी से हाथ मिलाते हैं या किसी वस्तु को छूते हैं तो वह सारे वायरस वहां स्थानांतरित हो जाते हैं। इसलिए लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने की जगह नमस्ते बोल कर अभिवादन करने का प्रयास करें। ”
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उन्होंने आगे कहा, ” स्वाइन फ्लू के उपचार से ज्यादा बेहतर इससे बचाव करना है। यह किसी भी आम फ्लू की तरह होता है जिसमें जुकाम ,खांसी, बुखार, गले में दर्द उल्टी लगना या उल्टी आना, सर दर्द, बदन दर्द आदि होते हैं। इसका संक्रमण ड्रॉपलेट इनफेक्शन के माध्यम से फैलता है। रोगी के खांसने और छींकने से इसके कीटाणु बाहर वातावरण में आते हैं जो किसी भी वस्तु पर पर 6 से 8 घंटे तक जीवित रहते हैं। स्वस्थ व्यक्ति जब किसी भी कुर्सी दरवाजे या किसी व्यक्ति से हाथ मिलाता है तो यह वायरस उसके हाथ से उसके शरीर में पहुंच जाते हैं। संक्रमित होने के 2 दिन बाद लक्षण प्रकट होते हैं।”
क्या है स्वाइन फ्लू
आम बोलचाल में स्वाइन फ्लू के नाम से जाना जाने वाला इन्फ्लुएन्जा एक विशेष प्रकार के वायरस (विषाणु) इन्फ्लुएन्जा एच1एन1 के कारण फैल रहा है। यह विषाणु सुअर में पाए जाने वाले कई प्रकार के विषाणुओं में से एक है। मार्च 2009 में दक्षिण अमेरिका में इस नए वायरस की खोज हुई फिलहाल जीनीय परिवर्तन होने के कारण यह विषाणु बेहद घातक और संक्रामक बन गया था। 2009 की स्वाइन फ्लू की बीमारी का कारण इन्फ्लूएंजा ‘ए’ टाइप के एक नए विषाणु एच1एन1 के कारण है इस विषाणु के अन्दर सुअर, मनुष्यों और पक्षियों को संक्रमित करने वाले फ्लू विषाणु का मिला-जुला जीन पदार्थ है।
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जीन परिवर्तन से बनी यह किस्म ही मैक्सिको, अमेरिका और पूरे विश्व में स्वाइन फ्लू के प्रसार का कारण बनी। कुछ ही महीनों में दुनिया भर में हजारों व्यक्तियों के संक्रमित होने के बाद 18 मई 2009 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा स्वाइन फ्लू को महामारी घोषित किया गया। भारत 16 मई 2009 को भारत में स्वाइन फ्लू के पहले रोगी के पाए जाने की चिकित्सकीय पुष्टि हुई में अब तक इस रोग से हजारों लोग संक्रमित हो चुके हैं जिससे लगभग 1300 मौतें हो चुकी हैं।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
– सांस लेने में तकलीफ होना
– सीने में दर्द होना
– सुस्ती आना
-ब्लड प्रेशर का कम होना
– बलगम में खून आना
– नाखून और होठों का नीला होना
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इन लोगों में तेजी से फैलता है फ्लू
– बच्चों में जिनमें कोई अन्य बीमारी हो
-65 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों में
– गर्भवती महिलाओं में
– फेफड़ों की बीमारी
-ह्रदय रोगियों में
– मधुमेह रक्त की बीमारियां
– लिवर की बीमारी में
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बचाव के लिए क्या करना चाहिए
– बार बार साबुन से हाथ धोते रहें
-खासते या छींकते वक्त मुंह पर कपड़ा रखें
– इस सीजन में हाथ मिलाने से बचे
– बगैर डॉक्टर की सलाह के दवा न लें
-ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए
एसजीपीजीआई की बाल रोग विशेषज्ञ डा. प्याली भट्टाचार्य ने बताया, छह माह से कम उम्र के बच्चों को स्वाइन फ्लू का टीका नहीं लगता है, इससे बचाने का एकमात्र उपाय यही है कि घर के सभी बड़े लोग टीकारण जरूर करा लें। वहीं गर्भवती महिला को बारिश का मौसम आने से 1 महीने पहले ही वैक्सीन लगा देनी चाहिए। जो रोगी अथवा रोगियों के संपर्क में आने वाले टेमीफ्लू ले रहे हो, उन्हें वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए। चिकन पॉक्स के मरीज को भी यह वैक्सीन नहीं देनी चाहिए। ठीक होने के 4 सप्ताह बाद यह वैक्सीन दी जा सकती है।”
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