शिशुओं को ठंड से बचाएं

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गोंडा। मां अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर हमेशा परेशान रहती है और खासतौर पर जब नवजात की पहली सर्दी हो। ऐसे में उसकी देखभाल के प्रति कई सावधानियां बरतनी होती है।

प्रतिमा तिवारी (35 वर्ष) अपने चार माह के बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास आई थी। उनके बच्चे को लगातार उलटी और दस्त आ रहा था। डॉक्टर ने बताया की शिशु को निमोनिया हो गया है। 

प्रतिमा बताती हैं, “हमेशा कई ऊनी कपड़े पहनाकर रखते थे फिर भी पता नही कैसे निमोनिया हो गया।”

विश्व स्वास्थ्य संगठन 2013 के अनुसार हर वर्ष भारत में लगभग चार लाख बच्चों की मौत निमोनिया से होती है। 

सर्दियों में नवजात की देखभाल कैसे हो इसके बारे में जिला अस्पताल गोंडा के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विकास चंद्रा बताते हैं, “ज्यादातर माताओं को लगता है बच्चे को ठण्ड छाती से लगती है और उसे ढेर सारे कपड़े से लाद देती हैं लेकिन ऐसा नही है हमेशा बच्चे के पैर और सिर को गर्म कपड़े से ढक करके रखें।”

वो आगे बताते हैं, “नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधक क्षमता पूर्णत: विकसित नहीं होती और उन्हें सर्दी, जुकाम, बंद नाक, सांस लेने में तकलीफ, बुखार, गले और कान में इनफेक्शन जैसी समस्याएं जल्दी हो जाती हैं।”

क्या करें

  • मांओं को लगता है की सर्दी में बच्चों को नहलाने से उन्हें ठण्ड लग जाएगी लेकिन ये धारणा गलत है बच्चे की साफ-सफाई बहुत जरूरी है। उसे रोज गुनगुने पानी से नहलाएं अगर ज्यादा मौसम खराब हो तो गीले कपड़े से पूरे शरीर को पोंछ दें।
  • अगर सर्दी-जुकाम से बच्चे की नाक बंद हो तो एक ग्लास पानी उबाल कर उसे ठंडा करें और उसमें 1 से 4 चम्मच नमक मिलाकर ड्रापर से दो-दो बूंद उसकी नाक में डालें। इससे उसकी बंद नाक आसानी से खुल जाएगी।
  • कोशिश करें शिशु का कमरा गर्म रहे। रात को सुलाते समय बच्चे को डॉयपर जरूर पहनाएं वरना देर तक गीले बिस्तर पर रहने से उसे सर्दी लग सकती है।
  • बच्चे को धूप में जरूर लिटाएं इससे उसे विटामिन ‘डी’ मिलता है और स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है। सुबह की धूप शिशु की सेहत के लिए बहुत अच्छी होती है। अगर हवा चल रही हो तो कानों को ढक कर रखें।

इनका रखे ध्यान

  • शिशु को सुलाते समय उसका चेहरा न ढके। इससे उसकी सांस घुट सकती है।
  • बच्चे के कमरे में लगातार रूम हीटर न चलाएं।
  • नहलाने के तुरंत बाद शिशु को खुली हवा में न ले जाएं। इससे उसे सर्दी-जुकाम हो सकता है।
  • शाम को सूरज ढलने के बाद शिशु को साथ लेकर घर से बाहर खुली हवा में न निकलें।
  • एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के सिर की त्वचा बहुत कोमल होती है इसलिए उन्हें सीधे ऊनी कैप न पहनाएं बल्कि पहले सूती कपड़े के टुकड़े को स्कार्फ  की तरह उसके सिर पर बांधने के बाद ही उसे ऊनी कैप पहनाएं।
  • बच्चे को सर्दी-जुकाम या बुखार होने पर उसे बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न दें।

निमोनिया होने की संभावना ज्यादा

  • निमोनिया के लक्षण बच्चों की उम्र के अनुसार भिन्न होते हैं जैसे बुखार, ठंड लगना, खांसी आना, नाक में परेशानी होना, शिशु की सांस तेजी से चलना, सांस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज आना, होठ व त्वचा पर नीलापन दिखाई देना, उल्टी करना, सीने में दर्द होना, पेट में दर्द होना, दूध न पीना।
  • नवजात में निमोनिया होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। नवजात को पूरी तरह से ढककर रखना चाहिए जिससे ठंडी हवा ना लगे। बच्चे  को पैदा होने के शुरूआती छह महीने तक मां का ही दूध दें। इससे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। नवजात को सभी जरूरी टीके लगावाएं।

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