“पिछले सर्दी में मैं अपने पति के साथ शिमला में थी उनकी पोस्टिंग वहीं थीं। बहुत ज्यादा ठंड होने की वजह से मैनें कमरे में कोयले की अंगीठी जला ली। सारे दरवाजे खिड़की बंद होने के कारण रात में गैस पूरे कमरे में फैल गई। मैं और मेरी बेटी अचानक से उठे जैसे सांस ही न ले पा रहे हो। तुरंत हम लोग कमरे के बाहर आए, बहुत देर बाद हम नार्मल हो पाए।” ये कहना है कि लखनऊ की रहने वाली अनुराधा पांडेय (35वर्ष) का।
इस तरह की घटनाएं सर्दियों में आम हैं। सर्दियों में अक्सर ठंड से बचने के लिए लोग कोयला, अलाव व हीटर कमरों में जलाते हैं जिससे कमरा गर्म रहे। अक्सर लोग सारे खिड़की दरवाजे भी बंद कर देते हैं कि कमरा गर्म रहे लेकिन इससे निकलने वाले कार्बन मोनो आक्साइड सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक होती है।
इनसे कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस, जोकि आमतौर पर सही ढंग से जल नहीं पा रहे स्टोव, हीटिंग सिस्टम और सिगरेट के धुएं में पाई जाती है, वो निकलती है। ये शरीर को बहुत नुकसान पहुंचाता है। इस बारे में लखनऊ के डॉ एमए खान बताते हैं, “जहां एक तरफ सर्दियों में ठंड लगने की समस्या आती है उतनी ही सांस लेने में परेशानी, व त्वचा रोगों की भी आती है। क्योंकि राहत के लिए लोग रूम हीटर और ब्लोअर का इस्तेमाल तो करने हैं और इसके नुकसान नहीं जानते हैं।”
वो आगे बताते हैं, “रूम हीटर वातावरण से नमी सोख लेती है जिससे आंखों में खुजली और त्वचा रूखी हो जाती है। आँखों में संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है इसके साथ दम घुटने की भी दिक्कत आती है।”
हाल ही में एक रीसर्च से ही ये साबित हुआ है की रूम हीटर और ब्लोअर स्किन के लिए बेहद खतरनाक भी है क्योंकि इनके इस्तेमाल से स्किन सीधे तौर पर गरम हवा के संपर्क में आ जाती है।
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क्या कार्बन मोनो-ऑक्साइड गैस— ये एक रंगहीन व गंधहीन गैस है, जोकि कार्बन डाईऑक्साइड से भी ज्यादा खतरनाक होती है। हवा के साथ शरीर के अंदर पहुंचने पर यह गैस जहरीली हो जाती है। आपको गंभीर रूप से बीमार कर सकती है। देर तक इसके संपर्क में रहने से दम घुट सकता है और मौत भी हो सकती है। कार्बन मोनो-ऑक्साइड शरीर को ऑक्सीजन पहुंचाने वाले रेड ब्लड सेल्स पर असर डालती है। शरीर का पूरा ऑक्सीजन ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हो जाता है।
त्वचा पर भी डालती है असर
लकड़ी जलाकर सीधे आंच लेने से त्वचा पर भी असर पड़ता है। कुछ लोग सर्दी से राहत पाने के लिए हॉट वॉटर बॉटल या फिर बैग शरीर पर लगाकर सोते हैं। इसकी वजह से इन्फ्लेमेशन हो सकता है और पिग्मेंटेशन की वजह से स्किन हमेशा के लिए काली पड़ सकती है। एग्जिमा के मरीजों को खासतौर पर सावधानी बरतने की जरूरत है। ड्राई एयर की वजह से बच्चों में खासतौर पर सूखापन बढ़ सकता है और स्किन में खुजली भी ज्यादा होने लगती है। ऐसे स्थिति में सर्दी दूर करने के लिए पहने गए ऊनी कपड़ों की वजह से भी ज्यादा खुजली होने लगती है।
आपको कैसे पता चलेगा की आप और आपका परिवार जहरीरी गैस के शिकार बन रहे हैं, इसके लक्षण ये हैं–
- लगातार सिर दर्द की शिकायत
- सांस लेने में दिक्कत
- बात-बात पर घबराहट
- पेट में तकलीफ और उलटी होगी
- हार्ट बीट बढ़ जाएगी
- शरीर का तापमान लगातार कम होगा
- लो ब्लड प्रेशर, काडिर्एक एवं रेस्पिरेटरी फेलियर होने की शिकायत होगी
ये सारे लक्षण और भी बीमारी की वजह से हो सकते हैं इसलिए लोग ध्यान नहीं देते और बाद में हालत खराब होने लगती है। खास कर गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों, बुजुर्गों, स्मोकिंग करनेवालों और सांस की बीमारी से ग्रस्त लोगों को जल्दी प्रभावित करती है।
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बचाव
- घर की खिड़कियों को या फिर दरवाजे को खोल कर रूम हीटर या कोयला जलाएं।
- लगातार रूम हीटर की जांच करवाते रहें
- कमरे में सही वेंटिलेशन का इंतजाम करें
- पूरी रात इसका इस्तेमाल न करें।