टीकाकरण से संबंधित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) की सिफारिशों के आधार पर, केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने कोविड-19 से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को मंजूरी दे दी है।
अभी तक गर्भवती महिलाओं को छोड़कर बाकी सभी समूह कोविड-19 टीकाकरण के पात्र थे। अब, दुनिया के इस सबसे बड़े टीकाकरण अभियान का विस्तार गर्भवती महिलाओं तक भी कर दिया गया है।
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के कोविड-19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ. एन. के. अरोड़ा ने स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए जारी टीकाकरण दिशानिर्देशों पर कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में वृद्धि के कारण यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा, “दूसरी लहर के दौरान यह देखा गया कि कोविड-19 से संक्रमित गर्भवती महिलाओं की मृत्युदर में पहली लहर की तुलना में दो से तीन गुना वृद्धि हुई है। ऐसी स्थिति में, यह महसूस किया गया कि गर्भवती महिलाओं को भी कोविड-19 वैक्सीन का टीका लगना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के मामले में, दो जिंदगियों की सुरक्षा शामिल है- मां और उसके गर्भ में पल रह शिशु। इसीलिए, देश ने गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का फैसला किया है।”
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— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) July 3, 2021
उन्होंने कहा कि इस टीके से माताओं को अधिक लाभ होगा। वे कोरोनावायरस संबंधी चिंता और डर से मुक्त रहेंगी। उन्होंने कहा, ‘गर्भवती मां के टीकाकरण से मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को भी बचाया जा सकता है। अगर मां के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है तो यह बच्चे में भी चली जाएगी। वैक्सीन और मां के शरीर में विकसित रोग प्रतिरोधक क्षमता का असर बच्चे में कम से कम जन्म के समय तक बना रहेगा।’
गर्भवती महिलाओं के लिए टीके कितने सुरक्षित
गर्भवती महिलाओं के लिए टीके कितने सुरक्षित होंगे? इस पर एक सवाल के जवाब में डॉ. अरोड़ा ने कहा कि पूरी दुनिया अब सोच रही है कि माताओं को भी टीका लगाया जाना चाहिए क्योंकि इससे न केवल मां के शरीर में बल्कि बच्चे के लिए भी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होगी।’ उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर, हमारे टीके सुरक्षित पाए गए हैं। यहां तक कि यूरोप और उत्तरी अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में जहां एमआरएनए टीके दिए जा रहे हैं, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया जा रहा है। इन तथ्यों और आंकड़ों को देखते हुए, हमारे देश में गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने का निर्णय लिया गया है।’
कुछ लोग पहले तीन महीनों में गर्भवती मां को टीका लगाने पर संदेह और भय व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि इस अवधि में बच्चे के अंग विकसित होने शुरू होते हैं। इन शंकाओं को दूर करते हुए, डॉ. अरोड़ा ने मां के साथ-साथ बच्चे के लिए भी वैक्सीन की सुरक्षा का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं इन आशंकाओं को दूर करना चाहता हूं और लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हमारे टीकों में कोई जीवित वायरस नहीं है जो संक्रमण का कारण बन सकता है। इस प्रकार से, ऐसा नहीं लगता है कि मां के गर्भ में पल रहे शिशु पर टीके का कोई बुरा प्रभाव पड़ेगा।’
उन्होंने आगे कहा कि टीके लगवाने वाली गर्भवती महिलाओं की निगरानी की जाएगी जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा, ‘सभी गर्भवती महिलाओं को जिन्हें देशभर में टीका लगाया जाएगा, किसी भी तरह की असुविधा के लक्षणों की निगरानी के लिए एक नेटवर्क के माध्यम से देखरेख की जाएगी। मां के गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर भी नजर रखी जाएगी। यह हमें आश्वस्त करेगा कि टीकाकरण के बाद हमारी माताएं, बहनें और बेटियां पूरी तरह सुरक्षित रहें।’
टीकाकरण के बाद गर्भवती महिलाओं को होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हुए डॉ. अरोड़ा ने कहा, ’10 लाख में से एक महिला में रक्तस्राव और थक्के बनने का मामला सामने आया है। जो लक्षण प्रकट होते हैं उनमें गंभीर सिरदर्द, सिरदर्द के साथ उल्टी, उल्टी के साथ पेट में दर्द या सांस लेने में भी समस्या हो सकती है। कुल मिलाकर, इस तरह के तीन या चार लक्षण हो सकते हैं और सामान्य तौर पर यह टीकाकरण के बाद तीन से चार सप्ताह की अवधि के भीतर होता है। ऐसे मामलों में, परिवार के सदस्यों को गर्भवती महिला को जल्दी से अस्पताल ले जाना चाहिए जहां टीकाकरण किया गया है। अस्पताल में बीमारी के कारणों की जांच की जा सकती है और उसे आवश्यक उपचार मुहैया कराया जा सकता है।’
गर्भवती महिलाएं वैक्सीन की खुराक कब ले सकती हैं?
चेयरपर्सन ने कहा, ‘गर्भवती महिलाएं किसी भी समय टीका ले सकती हैं। लिए गए फैसले के अनुसार, गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था का पता लगने के बाद कोविड-19 वैक्सीन किसी भी समय दी जा सकती है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वैक्सीन पहली, दूसरी या तीसरी तिमाही में दी जा रही है।’
टीकाकरण से संबंधित राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण की सिफारिश की है। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ऑन वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन फॉर कोविड-19 (एनईजीवीएसी) ने भी सर्वसम्मति से इसकी सिफारिश की है। इसके अलावा,गर्भवती महिलाओं के कोविड टीका करण पर आम सहमति बनाने के लिए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारागर्भवती महिलाओं के कोविड-19 टीकाकरण के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर एक विचार–विमर्श का भी आयोजन किया गया था। इस विचार–विमर्श में सर्वसम्मति से गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण करने के एनटीएजीआई की सिफारिश का स्वागत किया गया। इस विचार–विमर्श मेंएफओजीएसआई जैसे पेशेवर निकाय तथा राज्य सरकारों, सीएसओ, गैर सरकारी संगठनों एवंविकास की प्रक्रिया में भागीदार एजेंसियों के प्रतिनिधि और तकनीकी विशेषज्ञ आदि शामिल थे।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इन सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है और गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के संचालन संबंधी दिशानिर्देश, चिकित्सा अधिकारियों एवंअग्रिम पंक्ति के कर्मियों (एफएलडब्ल्यू) के लिए परामर्श किट और आम जनता के लिए आईईसी सामग्री तैयार की है ताकि राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के कार्यान्वन के लिए अच्छी तरह सेलैस किया जा सके। टीकाकरण का विकल्प चुनने वालीगर्भवती महिलाको गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय कोविन पर पंजीकरण या सीधे निकटतमटीकाकरण केन्द्र पहुंचकर पंजीकरण कराने के बाद निकटतम सरकारी या निजी कोविड-19 टीकाकरण केन्द्र (सीवीसी) में देश में उपलब्ध कोविड-19 का टीका लगाया जा सकता है। उनके लिए कोविड-19 टीकाकरण की प्रक्रिया और उससे जुड़े तौर-तरीके जैसेकि पंजीकरण, टीकाकरण के बाद प्रमाण -पत्र बनाना आदि वैसे हीरहेंगेजैसा राष्ट्रीय कोविडटीकाकरण कार्यक्रम के तहत 18 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी लाभार्थी के लिए हैं।