किचन गार्डन: आपका अपना क्लीनिक

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आदिकाल से ही पौधों को तमाम रोगों के निवारण के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है, यद्दपि हर्बल मेडिसिन्स की मांग आज के दौर में तेज हुई है लेकिन इनका अस्तित्व हजारों सालों से हमारी सभ्यता और वेद-वेदांगों में देखा जा सकता है। लगभग 6000 साल पहले के ऋग्वेद से लेकर आयुर्वेद (3000 से 2000 ईसा पूर्व) में हर्बल औषधियों का जिक्र देखा जा सकता है ये बात अलग है कि 19वीं शताब्दी के आते आते हम इन हर्बल औषधियों को बेहतर समझ पाए और तत्परता से इनकी शोध में व्यस्त होते चले गए।

अक्सर हर्बल दवाओं के असर में होने वाली देरी की वजह के चलते लोगों में औषधि विज्ञान की इस शाखा में भरोसे की कमी होते रही। असर में देरी की वजहों पर ध्यान देने के बजाए हमने इस विज्ञान पर ही उंगलियां उठानी शुरु कर दी। हर्बल ज्ञान की बात करूं तो दावे के साथ कह सकता हूं कि इनमें बताए फार्मूले काफी तेजी के साथ असर करते हैं। शब्दों के जरिए तैरता हुआ इनका पारंपरिक ज्ञान एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचता रहा है। हर्बल जानकार अपने आस-पास पाई जाने वाली वनस्पतियों से ही साधारण और खतरनाक रोगों को मिटाने तक का दावा करते हैं।

मजे की बात ये भी है कि इनके बताए काफी सारे फार्मुलों में ऐसी जड़ी-बूटिया उपयोग में लाई जाती है जो हम घर-आंगन या हमारी रसोई में पाई जाती है। आप सभी के साथ दो हिस्सों के लेख में 10 ऐसे ही पौधों के बारे जिक्र करेगें जो आसानी से उपलब्ध होते हैं और इनका उपयोग कर आप भी घर के वैद्य बन सकते हैं। इस अंक में हम जानेंगे तुलसी, धनिया, प्याज, लहसुन और टमाटर के औषधीय गुणों के बारे में।

तुलसी

भारत के हर हिस्से में तुलसी के पौधे देखे जा सकते हैं। पानी की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते हैं और कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और फिर यह पीने योग्य हो जाता है। औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा रोगों में लाभ होता है।

तुलसी एक ऐसी रामबाण औषधि है जो हर प्रकार की बीमारियों में काम आती है जैसे स्मरण शक्ति, हृदय रोग, कफ , श्वास के रोग, प्रतिश्याय, खून की कमी, खांसी, जुकाम, दमा और दंत रोग आदि। किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है। दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राल को नियंत्रित करती है।

इसकी पत्तियों का रस निकाल कर बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाएं और रात को चेहरे पर लगाएं तो झाईयां नहीं रहती, फुंसियां ठीक होती है और चेहरे की रंगत में निखार आता है। फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि मानते हैं, इनके अनुसार अत्यधिक थकान होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी के सेवन से थकान दूर हो जाती है। 

धनिया

आमतौर पर सब्जियों में मसाले और सुगंध के लिए इस्तेमाल होने वाले धनिया की खेती भारत के हर हिस्से में होती है। हरे ताजे धनिया की पत्तियां लगभग 20 ग्राम और उसमें चुटकी भर कपूर मिला कर पीस लें और रस छान लें। इस रस की दो बूंदे नाक के छिद्रों में दोनों तरफ टपकाने से तथा रस को माथे पर लगा कर हल्का-हल्का मलने से नाक से निकलने वाला खून, जिसे नकसीर भी कहा जाता है, तुरंत बंद हो जाता है।

थोड़ा सा धनिया कूट कर पानी में उबाल कर ठंडा करके मोटे कपड़े से छान कर शीशी में भर लें और इसकी दो बूंदे आंखों में टपकाने से आंखों में जलन, दर्द तथा पानी गिरना जैसी समस्याएं दूर होती हैं। धनिया महिलाओं में मसिक धर्म संबंधी समस्याओं को दूर करता है। यदि मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर पानी में लगभग 6 ग्राम धनिए के बीज डालकर खौलाएं और इसमें शक्कर डालकर पिएं, फायदा होगा। धनिए को मधुमेह नाशी भी माना जाता है, इसके सेवन से खून में इंसुलिन की मात्रा नियंत्रित रहती है।

धनिया त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। धनिए के जूस में हल्दी का चूर्ण मिलाकर चेहरे पर लगाएं, इससे मुहांसों की समस्या दूर होती है और यह ब्लैकहेड्स को भी हटाता है। सौंफ , मिश्री व धनिया की समान मात्रा लेकर चूर्ण बना कर 6 ग्राम प्रतिदिन भोजन के बाद खाने से हाथ पैर की जलन, एसिडिटी, आंखों की जलन, पेशाब में जलन और सिरदर्द दूर होता है।

लहसुन

हमारी रसोई में सब्जियों के साथ उपयोग में लाया जाने वाला लहसुन खास औषधि है। सूखे लहसुन की 15 कलियां, आधा लीटर दूध और 4 लीटर पानी को एक साथ उबालकर थोड़ा औटाया जाता है और इस पाक को वात और हृदय रोग से ग्रसित रोगियों को दिया जाता है, आराम मिल जाता है। जिन्हें जोड़ों का दर्द, आमवात जैसी शिकायतें हों, लहसुन की कच्ची कलियां चबाना उनके लिए बेहद फायदेमंद होता है।

बच्चों को यदि पेट में कृमि (कीड़े) की शिकायत हो तो लहसुन की कच्ची कलियों का 20-30 बूंद रस एक गिलास दूध में मिलाकर देने से कृमि मर कर शौच के साथ बाहर निकल आते हैं। लहसुन का रोजाना सेवन वायु विकारों को दूर करता है। सरसों के तेल में लहसुन की कलियों को पीसकर उबाला जाए और घावों पर लेप किया जाए, घाव तुरंत ठीक होना शुरू हो जाते है। जिन्हें उच्च-रक्तचाप की शिकायत हो उन्हें प्रतिदिन सुबह लहसुन की कच्ची कली चबाना चाहिए।

प्याज

रसोई में अगर प्याज ना हो तो रसोई अधूरी होती है। प्याज एक अत्यंत गुणकारी पौधा है। प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर लगाने से दाद-खाज और खुजली में अतिशीघ्र आराम मिलता है। प्याज के रस को सरसों के तेल में मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से आमवात, जोड़ दर्द में आराम मिलता है। वृद्धों और बच्चों को ज्यादा कफ  हो जाने की दशा में प्याज के रस में मिश्री मिलाकर चटाने से फायदा मिलता है। प्याज के रस और नमक का मिश्रण मसूड़ो की सूजन और दांत दर्द को कम करता है।

प्राय: प्याज सफेद और लाल रंग के होते हैं। सफेद प्याज हृदय के लिए गुणकारी होता है जबकि लाल प्याज बलदायक होता है। गर्मियों में माथे पर दर्द होने से प्याज के सफेद कंद को तोड़कर सूंघना चाहिए तथा चंदन में कपूर घिसकर कपाल पर लगाने से अतिशीघ्र आराम मिलता है। वीर्यवृद्धि के लिए सफेद प्याज के रस के साथ शहद लेने पर फायदा होता है। पातालकोट के आदिवासी मधुमख्खी या ततैया के काटे जाने पर घाव पर प्याज का रस लगाते हैं। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए प्याज और गुड़ का सेवन करें। प्याज के सफेद कंद का रस, शहद, अदरक रस और घी का मिश्रण 21 दिनों तक लगातार लेने से नपुंसकता दूर होकर पुरूषत्व प्राप्त होता है।

टमाटर

टमाटर का उपयोग हर भारतीय किचन में सब्जी बनाने के लिए किया जाता है। इसे सलाद, चटनी, सूप और अन्य कई प्रमुख व्यंजनों में उपयोग में लाया जाता है। टमाटर में पाए जाने वाले विटािमन्स की खासियत यह है कि ये गर्म करने से खत्म नहीं होते हैं और यह संतरा और अंगूर से ज्यादा लाभदायक होता है। टमाटर दांतों और हड्डियों की कमजोरी दूर करता है। 

जिन लोगों को रक्त-अल्पता की शिकायत है उन्हें एक गिलास टमाटर का रस पिलाया जाए तो रक्तहीनता दूर होकर खून की वृद्धि होती है। कम वजन वाले लोग यदि भोजन के साथ पक्के टमाटर खाएं तो उनका वजन बढ़ने लगता है। हर्बल जानकारों के अनुसार लाल टमाटर पर सेंधानमक और अदरक डालकर खाने से एपेंडिक्स साइटिस में लाभ मिलता है। अगर चेहरे पर काले दाग या धब्बे हों तो टमाटर के रस में रुई भिगोकर लगाने से काले धब्बे खत्म हो जाते हैं। लाल टमाटर की चटनी में कालीमिर्च और सेंधानमक मिलाकर रोजाना सुबह खाने से पेट के कीड़े की समस्या खत्म हो जाती है। 

जिन लोगों के मुंह में बार-बार छाले होते हों उन्हें टमाटर अधिक सेवन करना चाहिए। अगर प्रतिदिन सुबह एक गिलास टमाटर के रस में थोड़ा शहद मिलाकर पिया जाए तो चेहरा निखर आता है, इसके सेवन से याददाश्त बढ़ती है और साथ ही यह लीवर (यकृत) तथा फेफड़ों को मजबूती प्रदान करता है। उम्मीद है आपको को इन पौधों के औषधीय गुणों की जानकारी रोचक लगी होगी। 

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