कहीं आपके खाने में ज़हर तो नहीं

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भारत जैसे देश में संक्रमित और खतरनाक खाद्य सामग्रियों का अच्छा खासा बाजार फल-फूल रहा है और एक रिपोर्ट के मुताबिक इन दूषित खाद्य सामग्रियों की वजह से हर पांचवां व्यक्ति भयंकर रोगों की चपेट में आ सकता है। इतना ही नहीं बच्चों पर इसके दूरगामी परिणाम पड़ने की आशंकाएं बनी हुई हैं।

दुनिया भर के विकासशील और अविकसित देशों में इस तरह की समस्याएं मुंह फैलाए खड़ी हैं, लेकिन इनके समाधान खोजने में सरकारी तंत्र विफल रहा है। विकसित देशों में भी खाद्य सामग्रियों में घातक रसायनों का प्रयोग एक बड़ी समस्या बना हुआ है। सबसे बड़ी समस्या जमीनी मॉनिटरिंग के अभाव से जुड़ी है जिसकी वजह से खाद्य निर्माताओं पर अंकुश नहीं लग पाता। दूसरी समस्या इन सामग्रियों के परीक्षण के लिए आवश्यक प्रयोगशालाओं की संख्या में कमी होना है।

मिलावटी खाने के कारण कई तरह बीमारियां हो सकती हैं और आम लोगों को यह पता नहीं चल पाता कि वह किस मिलावटी खाने से बीमार हुए हैं। उदाहरण के लिए मिलावटी सब्ज़ियों के खाने से एसिडिटी, तेज सिरदर्द, उल्टी और अनेक मामलों में गर्भवती महिला पर बड़ा घातक प्रभाव पड़ता है। सिंथेटिक दूध आपके शरीर के के भागों पर बुरा प्रभाव डालता है।

यह स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के साथ ही साथ आपके हृदय और किडनी को बीमार कर सकती है। यूरिया खास तौर पर किडनी के लिए नुकसानदायक है, जबकि कास्टिक सोडा दिल और हाइपरटेंशन के मरीजों के लिए बेहद घातक है। कैल्शियम कार्बाइड से पके आम और केले सिरदर्द, चक्कर आना, नींद उड़ना और बहुत से मामलों में मानसिक असंतुलन की स्थिति पैदा कर सकते हैं। भोजन में लेड की अधिक मात्रा से दिमाग पर बुरा असर पड़ता है, जबकि कैडमियम से किडनी रोग और कैंसर हो सकता है। यह तो कुछ खतरे मात्र हैं, नुकसानदायक रसायनों से होने वाले नुकसान की सूची काफी लंबी है। 

खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 3 दिसंबर, 2015 को वैश्विक खाद्य जनित रोगों पर पहली रिपोर्ट जारी की। शीर्षक (Estimates of the Global Burden of Foodborne Diseases) “एस्टीमेट्स ऑफ़ द ग्लोबल बर्डन ऑफ़ फ़ूडबोर्न डिसीज” नाम से जारी  रिपोर्ट दूषित भोजन के स्वास्थ्य पर प्रभाव और बचाव पर आधारित है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह अब तक की सबसे व्यापक रिपोर्ट है।

रिपोर्ट में खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों के कारण मानव जीवन में होने वाले प्रभाव विकलांगता, घटना, मृत्यु दर, और बीमारी के पूर्व अनुमान आंकल मन करती है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष :• रिपोर्ट के अनुसार 2010 में दुनिया भर में 31 खाद्य जनित खतरनाक बीमारियों कीटाणु, वायरस, पैरासाइट्स, टोक्सिन और केमीकल्स 600 मिलियन खाद्य जनित बीमारियां के कारण हैं और इसके कारण 4 लाख 20 हजार लोगों की मृत्यु हुई। खाद्य जनित बीमारी का कारण विशेष रूप से डायरिया रोग के कीटाणु, नोरोवायरस और कैम्पिलोबैक्टर पाए गए।

•खाद्य जनित रोग के कारण बच्चों और वयस्क मृत्यु दर सीमांकित उपक्षेत्र में  विचारणीय थी। जनसंख्या के आधार पर सबसे अधिक खाद्य जनित रोग से प्रभावित लोगों की संख्या दक्षिण-पूर्व एशिया के बाद अफ्रीका में थी।• रिपोर्ट के अनुसार यूं तो खाद्य जनित रोगों से प्रत्येक आयु वर्ग के लोग प्रभावित है, किन्तु 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में और कम आय वर्ग वाले उपक्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के बीच प्रभाव अधिक पाया गया।

क्या है कारण

डायटीशिन डॉक्टर फरीन बेग बताती हैं, “आजकल खाने-पीने की चीजों कई तरह की मिलावट की जाने लगी है जिसका दुष्प्रभाव हमारे शरीर पड़ता है। मिलावटी खाने से गैस, डायरिया, स्किन से जुड़ी कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं।” फल को पकाने के लिए कई तरह के रासयानों का इस्तेल किया जाता है। आज कल तो बिन मौसम ही कई तरह के फल और सब्जियां बाजार में आती हैं उनको सड़ने-गलने से बचाने के लिए भी रासयनों का इस्तेमाल किया जाता है। सब्ज़ियों को जल्द से जल्द बाजार में बेचने और ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए सब्ज़ियों को इंजेक्शन रसानयनों के द्वारा बड़ा करना। फलों को ज्यादा फ्रेश और ताजा दिखने लिए उनके ऊपर कई तरह के रसायन लगाए जाते हैं। दालों और मसलों में कई तरह के घटिया पदार्थ मिलाए जाते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदायक होते हैं।

लक्ष्ण

  1. पेट में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी, चक्कर आना, पाचन क्रिया का गड़बड़ होना, बुखार आना।
  2. कैसे बचें और क्या न करें 
  3. बाहर का खाना खाने से बचें
  4. घर पर जो भी खाना बनाएं उसको अच्छी तरह से धोकर और 140 डिग्री से. पर बनाएं इससे नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया मर जाते हैं।
  5. सब्जियों और फलों को बहुत अच्छी तरह से धोकर खाएं।
  6. खाना बनाने से पहले हाथ को 20 सेकेंड तक अच्छी तरह से धोएं और नखूनों को अच्छी तरह से साफ करें इसमें कई तरह से बैक्टीरिया छिपे होते हैं।
  7. मॉल वगैरह से सब्जियां खरीदने के बजाए हो सके तो गाँव या लोकल बाजार से सब्जियां खरीदें।
  8. खाद्य पदार्थ व मिलावटी सामग्री

मिर्च पाउडर-  

इसमें लाल रंग व भूसा तथा ईट और बालू का चूर्ण मिलाया जाता है | इसकी जांच के लिए एक ग्लास पानी में एक चम्मच मिर्च पाउडर मिलाये। अगर पानी का रंग लाल हो जाता है तो यह मिलावटी समझे। इसमें ईट या बालू का चूर्ण होगा तो सतह में इकठ्ठा हो जायेगा। कई बार लाल मिर्च पाउडर में रोडामाइन बी मिलाया जाता है। इससे यकृत, गुर्दे व तिल्ली प्रभावित होती है।

आटा- 

इसमें रेत, चॉक पाउडर अदि मिलाया जाता है। अगर आटा गूंधने में पानी अधिक लगता हो, रोटियां अच्छी तरह फूलती है और स्वाद मीठा हो तो शुद्ध है।

चना और अरहर की दाल- 

दालों में खेसारी दाल की मिलावट की जाती है। खेसारी दाल में एक विशेष प्रकार के जहरीला रसायन होता है। इसके सेवन से स्नायु कमजोर पड़ जाते है। पाचन तंत्र प्रभावित होता है गुर्दे में पथरी होने की आशंका रहती है।

विभिन्न मसाले- 

विभिन्न मसालों में कंकड़ ,पत्थर ,रेत, मिटटी, लकड़ी का बुरादा अदि मिलकर बेचे जाते है। इससे आहार तंत्र के रोग आंत और दांत प्रभावित होते है|

चायपती- 

इसमें कृत्रिम रंग , लौह चूर्ण तथा प्रयोग हो चुकी चाय की पतियों,का पाउडर मिलाया जाता है। इससे आहार तंत्र और पाचनतंत्र प्रभावित होता है।

काली मिर्च- 

इसमें पपीते के बीजों का मिश्रण किया जाता है।

दूध- 

दूध में सफ़ेद रंग, पानी, यूरिया, वाशिंग पाउडर, आदि मिलकर बेचा जाता है । दूध में मिले यूरिया से किडनी फेल हो सकती है।

शहद-  

शहद में गुड़, अथवा खांड की चाशनी तथा शक्कर की मिलावट की जाती है।

मावा–  

शुद्ध घी, खाद्य तेल, हल्दी, कॉफ़ी जीरा इत्यादि सब में कुछ न कुछ मिलावट किया जाता है।

सब्जी: 

सब्जी को हरा रंग देने के लिए प्रयोग किए जाने वाला मेलेकाइट ग्रीन लीवर, आंत, किडनी सहित पूरे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता है। विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर बीमारियों की वजह पाचन तंत्र का ठीक से काम न करना होता है। 

फल: 

फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कार्बाइड रसायनों का प्रयोग किया जाता है। ये रसायन फलों को तो समय से पहले पका देते हैं, लेकिन इनका प्रभाव फलों की गुणवत्ता पर पड़ता है। 

रिपोर्टर – नाज़नीन

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