कोविड महामारी को देखते करोड़ों लोगों का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक नुकसान हो रहा है। कई महीने बंदी में रहने के बाद लोगों में तनाव बढ़ता जा रहा है डिप्रेशन के चलते कई लोगों ने देश में आत्महत्या तक कर ली है। ऐसे में अगर आप योग करना शुरु करें तो आपको काफी राहत मिल सकती है।
योग एक्सपर्ट प्रो. उमेश शुक्ला कहते हैं, “आगे निकलने की होड़ और बहुत कुछ सुख–सुविधाओं के चक्कर में अनियमित होती जीवनशैली में तनाव से बच पाना बहुत मुश्किल है। शायद ऐसा ही कोई हो जो ‘तनाव’ का शिकार न हो। तनाव अकेले नहीं आता बल्कि अपने साथ कई तरह बीमारियां लेकर आता है, जिसका असर धीरे-धीरे शरीर पर दिखना शुरू हो जाता है।
पिछले कई वर्षों से तनाव और मानसिक समस्याओं से जूझ रहे अनुज (बदला हुआ नाम) जो की एक सरकारी वित्तीय संस्थान में बतौर लॉ मैनेजर कार्यरत है, बताते हैं, “जिन्दगी में लगभग सब सही है, फिर भी छोटी-छोटी बात पर तनाव, गुस्सा, आता है। बराबर मनोचिकित्सक से सलाह और दवाइयां लेता रहता हूं। तनाव की वजह से स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है। मनोचिकित्सक ‘तनाव’ से बचने की सलाह देते हैं और मैं कोशिश करता हूं कि, तनाव न लूं लेकिन वो किसी न किसी बात को लेकर हो ही जाता है। लॉकडाउन में योग और मेडिटेशन का अभ्यास कर रहा हूं।
योग प्रशिक्षक डॉ अशोक अवस्थी बताते हैं, “अवसाद ग्रस्त इन्सान अत्याधिक उदासी, छोटी छोटी बातों पर परेशान होना, अत्यधिक थकावट, निराशा, मानसिक थकान, भविष्य के प्रति अत्यधिक चिंता महसूस करता है। इसके कारण एक घबड़ाहट, आत्मविश्वास मे कमी, आत्महत्या जैसे विचार मन में आते हैं और ऐसी स्थिति में अवसाद ग्रस्त व्यक्ति किसी से मिलना–जुलना, बातचीत करना पसंद नहीं करता। अवसाद के कारण किसी बात या घटना को लेकर अपराध बोध, आत्मग्लानि दी बनी रहती है। ऐसे में इंसान की स्मरण शक्ति कमजोर होने के साथ उसके मन में हमेशा अनिष्ट की आशंका बनी रहती है। इस तनाव के कारण यौन इच्छाओं में कमी, नींद न आना, भूख न लगना, शरीर में दर्द, सर्वाइकल स्पान्डलाइटिस, कमजोरी, बालों का गिरना, आंखों में कमजोरी जैसी बीमारियां उत्पन्न होने लगती है।”
कैसे योगाभ्यास से करें अवसाद को नियंत्रित …
तनाव में मनोचिकित्सा महत्वपूर्ण होती है। बहुत बार ऐसा होता है कि अत्याधिक तनाव के कारण व्यक्ति कई बार जरुरी कार्य तक नहीं कर पाता। ऐसे में परिवार या सहयोगियों को लगता है कि तनावग्रस्त व्यक्ति काम न करने का बहाना बना रहा है। यदि कोई व्यक्ति ऐसी स्थिति में है तो घर परिवार उसे भावनात्मक रूप से सहयोग करें और रोगी को नकारात्मक बातें कहने के बजाय प्रोत्साहित करें।
योग विज्ञान में अवसाद ग्रस्त रोगियों को जल चिकित्सा के माध्यम से यानी जलनेति का अभ्यास प्रतिदिन, कुंजल सप्ताह में एक बार, एनिमा सप्ताह में एक बार, औषधीय भाप सेवन प्रतिदिन, मेरुदंड स्नान प्रतिदिन, करने की सलाह दी गयी है।
साथ ही जल चिकित्सा के बाद सूर्य चिकित्सा के अंतर्गत प्रतिदिन सूर्य के सामने 10 मिनट सुबह सूर्य स्नान की सलाह दी जाती है।
अवसाद रोगी को योगाभ्यास में वज्रासन, मकरासन, पश्चिमोत्तान आसन, सर्वांगासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, पवन मुक्तासन, शवासन का अभ्यास कराया चाहिए।
साथ ही अवसाद से मुक्ति के लिए जालंधर और उड्डियान बंध का अभ्यास किया जाता है। अवसाद से ग्रस्त रोगी को प्रतिदिन ध्यान और सादा, सात्विक भोजन करने की सलाह योग चिकित्सकों/प्रशिक्षकों द्वारा दी जाती है। ये प्रयोग हमेशा पूर्ण जानकारी के साथ या किसी योग्य योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही करना चाहिए। योगाभ्यास करने से पूर्व योग करने से पहले की जाने वाली क्रियायों और सावधानियों का पालन करना आवश्यक है।