आज हम जिन दो आसनों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं इनका अभ्यास करने से इंसान अधिक समय तक युवा और ऊर्जावान बना रह सकता है। बहुत से योगी, ऋषि और सामान्य व्यक्ति जो योगासनों का अभ्यास करते हैं वो सामान्य लोगों से अधिक सक्रीय और उर्जावान होते हैं, साथ ही उन बढ़ती उम्र का प्रभाव भी कम पड़ता है।
पहला आसन है, ‘सर्वांगासन’ इसके अभ्यास से स्मरण शक्ति तीव्र होती है, मस्तिष्क में रक्त संचार अधिक होता है। टांसिल, दमा और खांसी जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है और थाईराइड ग्रंथि का स्त्राव संतुलित होता है।
कैसे करें सर्वांगासन
जमीन पर आसन बिछाकर सीधे लेटे और श्वास भरते हुए धीरे-धीरे दोनों पैरों को 90 डिग्री के कोण तक ऊपर उठाएं और श्वास छोड़ें।
इसी स्थिति में श्वास भरते हुए, कमर को उठाएं और हथेलियों की मदद से शरीर को सीधा रखे, ठुड्डी, कंठकूप से लगाएं, दृष्टि को पैर के अगुंठे पर रखें और स्थिर हो, और श्वास को सामान्य करें। फिर श्वास भरें और धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए शरीर को नीचे की तरफ फिर से 90 डिग्री कोण की स्थिति में लाएं। फिर श्वाश भरें और धीरे-धीरे श्वाश छोड़ते हुए पैरों को जमीन पर लाएं।
इस आसन में आप गौर करें कि जैसे स्थितिवार आपने आसन में प्रवेश किया था, उसी प्रकार आप आसन में वापस आते हुए सामान्य स्थिति में आते हैं।
इस आसन का अभ्यास आधा मिनट से शुरू करके प्रति सप्ताह एक एक मिनट बढ़ाएं और 5 मिनट से ज्यादा इसका अभ्यास न करें । ऐसे लोग जिन्हें हाई ब्लड प्रेशर, दिल का दर्द, यकृत, तिल्ली सम्बंधित समस्या है उन्हें इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
दूसरा जो आसन आपको बताने जा रहे है इसे योगासनों में राजा कहा जाता है। शीर्षासन के अभ्यास से मस्तक के सभी विकार दूर होते हैं, यह आसन पाचन तंत्र, फेफड़ों और ह्रदय की शक्ति को बढ़ाता है। धातु रोग, हार्निया, और सिरदर्द जैसी बीमारियों में लाभ पहुंचाता है। इस आसन से शरीर की कई ग्रंथियों पर प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण आंतरिक स्त्रावो का संतुलन होता है और शरीर के सभी आन्तरिक क्रियाओं में संतुलन होता है, जिससे शरीर मानसिक और आध्यात्मिक व भावनात्मक रूप से शक्तिशाली बनता है।
कैसे करें शीर्षासन का अभ्यास
शीर्षासन का अभ्यास करने के लिए मोटे कपड़े की चकरी बनाये जिस पर सिर सुविधापूर्वक रखा जा सके।
इसके बाद घुटनों के बल बैठे, दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाकर जमीन पर रखे। अब मस्तक को कपड़े की चकरी पर इस तरह से रखें कि सिर चकरी के ऊपर रहे और दोनों हाथों के अंगूठे सिर के पिछले हिस्से की तरफ रहे। पंजो को सीधा करते हुए धड़ को धीरे धीरे गर्दन की तरफ सीधा करें, जैसे-जैसे कमर सीधी होगी पैर सीने की तरफ आते जाएंगे। शरीर को संतुलित रखते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाये इसके बाद धीरे धीरे पैरों और शरीर को सीधा करते हुए स्थिर हो जाए। आसन से सामान्य स्थिति में वापस आने के लिए धीरे-धीरे पावों को मोड़ते हुए घुटने तक लाये फिर पंजो को जमीन पर रखें।
शुरुआत में इस आसन का अभ्यास सिर्फ दस सेकंड तक ही करें और नियमित अभ्यास करते हुए समय बढ़ाएं। पांच मिनट से ज्यादा देर शीर्षासन की स्थिति में न रहें। इसके साथ ही जिन लोगों को कान, आँख, गर्दन, हाई ब्लडप्रेशर, ह्रदय की कमजोरी है ऐसे लोगों को शीर्षासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
नोट: कोई भी योगासन करने से पहले सूक्ष्म और यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करें। योगासन करने से पूर्व की जाने वाली सावधानियों का ध्यान रखना जरुरी है। संभव हो शुरुआत में योगासन किसी योग्य प्रशिक्षक की देख-रेख में करें।