लखनऊ/ गोरखपुर । “नमस्ते , क्या हाल चाल है…घर में कोई बीमार तो नहीं है…अगर किसी को बुखार हो तो डाक्टर को ही दिखाइएगा। साधारण सा दिखने वाला बुखार इंसेफलाइटिस, चिकनगुनिया, डेंगू या स्वाइन फ्लू कुछ भी हो सकता है। इसलिये झोलाछाप के चक्कर में मत पड़िएगा। डॉक्टर को दिखाएंगे तो सही बीमारी पकड़ में आएगी और बढ़िया व सस्ता इलाज से स्वस्थ हो जाएंगे।”
ये संदेश इन दिनों दस्तक अभियान के तहत आशा बहुएं घर-घर घूम कर दे रही हैं। इस संदेश को प्रेषित करने का एक नया हथियार मुस्कुराहट माडल उनकी खूब मदद कर रहा है। आशा बहुओं को पहली बार इस माडल का प्रशिक्षण दिया गया है जो अभियान को सफल बनाने और इसे समुदाय के और निकट लाने में मदद कर रहा है। जिले में 10 फरवरी से चल रहे दस्तक और संचारी रोग नियंत्रण अभियान में यह माडल पहली बार अपनाया जा रहा है।
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काम आसान हुआ
आशा बहुएं भी मान रही हैं कि इस माडल से काम आसान हुआ है। हरसेवकपुर नंबर दो गांव में में सामूहिक दस्तक अभियान के अभिनव प्रयोग से जुड़ी आशा बहू मिथिलेश सिंह का कहना है, ” इस माडल से समुदाय के साथ आसानी से जुड़ाव हो जाता है। हम परिवारों के बीच घुलमिल कर अपनी बात रख रहे हैं। हमारे स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार ने हमे इस माडल के बारे में प्रशिक्षित किया है।”
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नया और कारगर माडल
दस्तक अभियान के नोडल व अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डा. आईवी विश्वकर्मा का कहना है, “यह एक नया और कारगर माडल है जो समुदाय व आशा को जोड़ने में मदद करेगा। जिला स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी ओपीजी राव ने बताया कि सभी ब्लाक स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों को इस माडल पर फोकस में रख कर काम करवाने को कहा गया है।”
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मुस्कुराहट माडल का मतलब
मु-मुस्कुरा कर स्थानीय भाषा व रिवाज के हिसाब से अभिवादन
स-बीमारी के बारे में सवाल पूछिए और फिर मंगल कामना करिये
कु-कुशल व्यवहार की जानकारी दीजिए
र-परिवार की राय बनाने में मदद कीजिए
ह-हालात सुधारने पर चर्चा करिए
ट-समुदाय के साथ टिकाऊ संबंध बना कर रखना है खासतौर पर जहां व्यवहार परिवर्तन की आवश्यकता दिखे
मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर डॉक्टर श्रीकांत तिवारी का कहना है, ” आशा बहुओं के अलावा इस अभियान से जुड़े सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को इस माडल का प्रशिक्षण स्थानीय स्तर पर देने का निर्देश था। अभियान को सफल बनाने और समुदाय से टिकाऊ संबंध बना कर रखने के लिये सभी सामुदायिक कार्यकर्ताओं को इस माडल का अनुसरण करना चाहिए। “
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