पालक
पालक एक ऐसी हरी भाजी है जो अपने गुणकारी असर के चलते सारे भारत में मशहूर है। पालक में विटामिन ‘ए’, ‘बी’, ‘सी’, ‘ई’ के अलावा प्रोटीन, सोडियम, कैल्शियम, फास्फोरस, क्लोरिन, थायामिन, फाइबर, राइबोफ्लैविन और लौह तत्व आदि पाए जाते हैं। आदिवासी इसे अनेक हर्बल नुस्खों के तौर पर अपनाते हैं। डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार ककड़ी, पालक और गाजर की समान मात्रा का जूस तैयार कर पीने से बालों का बढ़ना प्रारंभ हो जाता है। हाइपोथायरॉइड होने पर एक प्याला पालक के रस के साथ एक चम्मच शहद और चौथाई चम्मच जीरे का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है। जिन्हें कोलाइटिस की समस्या हो, पालक और पत्तागोभी के पत्तों की समान मात्रा का रस तैयार कर कुछ दिनों तक लिया जाए तो आराम मिल जाता है।
आधुनिक शोध परिणामों पर गौर किया जाए तो जानकारी मिलती है कि निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) के रोगियों को प्रतिदिन पालक की सब्जी का सेवन करना चाहिए। माना जाता है कि यह रक्त प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है। पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है। पालक हृदय रोगियों के लिए खास माना जाता है। हृदय विकारों में प्रतिदिन एक कप पालक के जूस के साथ 2 चम्मच शहद मिलाकर लेना चाहिए, ये बड़ा गुणकारी होता है। पातालकोट के आदिवासी पालक के जूस से कुल्ला करने की सलाह देते हैं, इनके अनुसार ऐसा करने से दाँतों की समस्याएं दूर हो जाते है। जिन्हें एनिमिया या रक्त अल्पता की शिकायत हो उन्हें प्रतिदिन पालक का रस (लगभग एक गिलास) दिन में 3 तीन बार अवश्य लेना चाहिए। पीलिया के दौरान रोगी को पालक का रस कच्चे पपीते में मिलाकर दिया जाए तो अच्छा होता है, डाँग- गुजरात के आदिवासी पीलिया होने पर रोगी को छिलके वाली मूंग की दाल में पालक डालकर तैयार की गयी सब्जी खिलाते है।
मेथी
आयुर्वेद से लेकर मॉडर्न मेडिसिन साइंस ने मेथी के गुणों के बारे में खूब बखान किया है, इसकी पत्तियों की तरकारी औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसके बीजों में फॉस्फेट, लेसिथिन और न्यूक्लिओ-अलब्यूमिन होने से ये कॉड लिवर ऑयल जैसे पोषक और बल प्रदान करने वाले होते हैं। इसमें फोलिक एसिड, मैग्नीशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, नियासिन, थियामिन, कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं। मेथी पाचन शक्ति और भूख बढ़ाने में मदद करती है। न सिर्फ भाजी बल्कि इसके बीजों में भी भरपूर औषधीय गुण होते हैं। आधा चम्मच मेथी दाना को पानी के साथ निगलने से अपचन की समस्या दूर होती है। मेथी के बीज आर्थराइटिस और साईिटका के दर्द से निजात दिलाने में मदद करते हैं। इसके लिए एक ग्राम मेथी दाना पाउडर और सोंठ पाउडर को थोड़े से गर्म पानी के साथ दिन में दो-तीन बार लेने से लाभ होता है। इस रोग से दूर रहने के लिए प्रतिदिन 1 चम्मच मेथी दाना पाउडर पानी के साथ फांकें, इसके अलावा एक चम्मच मेथी दाना को एक कप पानी में भिगो कर रात भर के लिए छोड़ दीजिए, सुबह इसका पानी पिएं। इससे सीरम लिपिड लेवल कम होता है।
चौलाई
चौलाई एक शाक आहार होने के साथ उत्तम औषधि भी है। इसके पांचांग में कार्बोहाईड्रेड्स, प्रोटीन, खनिज और लौह तत्व प्रचुरता से पाए जाते हैं। आदिवासियों का मानना है कि गर्भ की स्थिरता के लिए मासिक धर्म के समय चौलाई की जड़ को चावल के मांड में पीसकर पिलाने से लाभ होता है। इसकी जड़ों और पत्तियों को सिर पर बांधने से बुखार उतर जाता है। अक्सर पेट दर्द की शिकायत रहने पर इसके पाँचांग का सेवन व भाजी नित्य खाने से अतिशीघ्र फायदा होता है। पातालकोट के आदिवासी घाव, फोड़ों आदि को पकाने के लिए इसकी जड़ों को पानी में पीसकर लेप लगाते हैं और हल्की सिकाई भी करते हैं। चौलाई की भाजी माताओं में दूध के स्रावण को नियमित करने के लिए काफी कारगर मानी जाती है। पातालकोट के हर्बल जानकार मानते हैं कि चौलाई की भाजी को सुखाकर चूर्ण तैयार किया जाए और इसकी 5 ग्राम मात्रा दूध में मिलाकर प्रतिदिन दिन में तीन बार लिया जाए तो मां का दूध निरंतर और सही तरह से स्रावित होने लगता है। जर्नल फाइटोथेरापिया में प्रकाशित एक क्लिनिकल स्ट्डी के अध्धयन से जानकारी मिलती है कि चौलाई में पाए जाने वाले पोषक तत्व बच्चों के मस्तिष्क के तीव्र विकास के बेहद गुणकारी हैं।
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।