लखनऊ। इसमें कोई संदेह नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में आयुर्वेद पर लोगों का भरोसा बढ़ा है। जैविक खान-पान को बढ़ावा मिला है। लेकिन मेडिकल क्षेत्र का एक बहुत बड़ा वर्ग इलाज के लिए एलोपैथी की तरफदारी करता है। इन्हीं में कुछ ऐसे डॉक्टर भी हैं जो एलोपैथी का चिकित्सक होने के बावजूद आयुर्वेद से इलाज करते हैं, उसे बढ़ाने की हिमायत करते हैं।
देश के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक संजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (पीजीआई) के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ एके वर्मा चाहते हैं आयुर्वेद को और बढ़ावा दिया जाए।
गांव कनेक्शन से खास बात में वो कहते हैं, ““एलोपैथिक दवाई के मुकाबले आयुर्वेदिक दवा बहुद ज्यादा कारगर है लेकिन दवा वैसे ही बनानी चाहिए जैसा कि किताबों में लिखा होता है। अपने 22 वर्षों से मैं आयुर्वेदिक इलाज को देख रहा हूँ और कर रहा हूँ। मै बहुत ज्यादा गारंटी के साथ कह रहा हूँ कि हमें इलाज की पुरानी पद्दति को फिर से लाना चाहिए क्योंकि आयुर्वेदिक इलाज से उन लोगों को भी ठीक किया जा सकता है जिसका इलाज एलोपैथिक कि द्वारा नहीं किया जा सकता है।”
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कई बीमारियों का इलाज आयुर्वेद के द्वारा संभव
मैंने आयुर्वेदिक दवाइयों से कुछ मरीजों का इलाज होते हुए देखा और ब्लडप्रेशर,घेंघा,पीलिया,हेपेटाइटिस और एड़ी में जोरदार दर्द इन सभी बीमारियों मैंने इसे देखा है। हेपेटाइटिस बी जिससे लोग काफी डरते हैं लेकिन मेरे पास सिर्फ ऐसी एक गोली है जिससे इस बीमारी को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है। सिर्फ खत्म ही नहीं बल्कि इस बीमारी का कोई भी वायरस आगे आजये इससे आसानी से लड़ा जा सकता है।
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पीजीआई नहीं देता आयुर्वेद में काम करने की अनुमति
पीजीआई इसकी इजाजत नहीं देता है कि आयुर्वेदिक पर इलाज करें लेकिन अमेरिका सबसे बढ़ा सेंटर नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ वहन पर उन्होंने ने एक इतेग्रेटेड मेडिसिन का विभाग दे रखा है वो आज से नहीं कई वर्षों से चल रहा है। वहां एलोपैथिक के अलावा जो एनी पध्यतियाँ हैं इलाज की उन पर काम होता है जिसका सरकार द्वारा पंजीकरण भी है। हमारी मानसिकता ये है कि जब तक अमेरिका जिस काम को नहीं करता है तब तक हम किसी चीज को नहीं मानते हैं। इसलिए जो हमारे देश का बड़ा खजाना है उसे आगे बढ़ाना चाहिए और पीजीआई को इसकी अनुमति देनी चाहिए, जिस काम के लिए पीजीआई बना है उसे उस पर ही काम करना चाहिए।
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मुख्यमंत्री ने भी बोला था पीजीआइ करे आयुर्वेद पर काम
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीजीआई को बोला था कि इसे आयुर्वेदिक में आगे आना चाहिए लेकिन संस्थान को उनके आदेश से भी कोई मतलब नहीं है। मैंने कई बार अपने प्रोजेक्ट पीजीआई प्रशाशन को दिया है लेकिन उन्होंने एक बार भी उन्हें सेलेक्ट नहीं किया है। पीजीआई से मैं अपने काम के लिए कुछ जगह, बजट और कुछ आदमियों की मांग करता हूँ जो कि हमारी आयुर्वेदिक चिकित्सा पध्यती को आगे बढ़ा सकें।
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