अस्थमा और सांस की समस्याओं से निपटने के लिए इन हर्बल नुस्खों का करें इस्तेमाल

Herbal remedies

पिछले दो दशकों में दमा या अस्थमा ने अपने पैर बड़े ही तेज़ी से पसारे हैं। अस्थमा किसी भी उम्र के इंसान को हो सकता हैं चाहे वो बूढ़ा हो, या बच्चा। आमतौर पर दमा का इलाज श्वास नलिका के सूजन की रोकथाम और मांसपेशियों को आराम देने पर ही केन्द्रित रहता है।

दमा होने के कई कारण हो सकते हैं। कई लोगों में यह धूल और परागकण आदि की एलर्जी, मौसम में आए बदलाव, कई तरह के खाद्य पदार्थ, दवाइयों, इत्र, परफ्यूम जैसी खुशबू और कई अन्य वजहों से हो सकता है। इस रोग की जानकारी या कारकों को बारीकी से समझने के बजाए इससे निपटने के उपायों पर इस लेख को केंद्रित किया जा रहा है।

पारंपरिक नुस्ख़ें

अस्थमा और सांस से जुड़े विकारों के होने पर ग्रामीण हर्बल जानकार या वैद्य कई तरह के पारंपरिक नुस्खों को सुझाते हैं। अपने 18 साल से अधिक कार्यकाल के दौरान मैनें कई तरह के नुस्खों को रूबरू देखा है और अनेक लोगों को आराम पाते भी। आदिवासियों के अनुसार जिनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपेक्षाकृत कम होती है उन्हें सबसे ज्यादा सांस की समस्याओं से जूझना पड़ता है। फिलहाल मौसम ठंडा है और इस दौरान इस समस्या का विकराल रूप देखने में आता है। चलिए इस सप्ताह हम अपने पाठको से इस दौरान सांस से जुड़ी समस्याओं से निपटने और बेहतर स्वास्थ के लिए कुछ चुनिंदा हर्बल नुस्खों का जिक्र कर रहे हैं।

लहसुन का सेवन बैक्टिरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है।

लहसुन कई गुणों का खज़ाना

हमारी रसोई में सब्जियों के साथ उपयोग में लाया जाने वाला लहसुन सिर्फ एक मसाला नहीं लेकिन औषधीय गुणों का एक ख़ज़ाना भी है। लहसुन के एण्टीबैक्टिरियल गुणों को आधुनिक विज्ञान भी मानता है, लहसुन का सेवन बैक्टिरिया जनित रोगों, दस्त, घावों, सर्दी-खांसी और बुखार आदि में बहुत फायदा करता है। लहसुन की 2 कच्ची कलियां सुबह खाली पेट चबाने के बाद आधे घण्टे से मुलेठी नामक जड़ी-बूटी का आधा चम्मच सेवन दो महीने तक लगातार करने से ठंड के दौरान आक्रमक होने वाली दमा जैसी घातक बीमारी में बेहद राहत मिलती है सदैव की छुट्टी मिल जाती है।

अजवायन व लौंग फायदेमंद

ठंड में अस्थमा के रोगी को यदि अजवायन के बीज और लौंग की समान मात्रा का 5 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दिया जाए तो काफी फ़ायदा होता है। यदि बीजों को भूनकर एक सूती कपड़े मे लपेट लिया जाए और रात तकिये के नजदीक रखा जाए तो दमा, सर्दी, खांसी के रोगियों को रात को नींद में सांस लेने मे तकलीफ़ नहीं होती है।

कफ को दूर करे अडूसा की पत्तियां

अडूसा की पत्तियों के रस को शहद में मिलाकर रोगी को दिया जाता है जिससे अस्थमा में अतिशीघ्र आराम मिलता है। पातालकोट के आदिवासी टीबी के मरीजों को अडूसा की पत्तियों का काढ़ा बनाकर 100 मिली रोज पीने की सलाह देते हैं, दरअसल अडूसा शरीर में जाकर फेफड़ों में जमी कफ और गंदगी को बाहर निकालता है।

कई रोगों की दवा बड़ी इलायची

बड़ी इलायची खाने से खांसी, दमा, हिचकी आदि रोगों से छुटकारा मिलता है। बड़ी इलायची, खजूर व अंगूर की समान मात्रा लेकर, कुचलकर शहद में चाटने से खांसी, दमा और शारीरिक कमजोरी भी दूर होती है।

सांस फूलना दूर करें पान व पालक का जूस

डाँग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार पान के पत्तों के साथ अशोक के बीजों का चूर्ण की एक चम्मच मात्रा चबाने से सांस फूलने की शिकायत और दमा में आराम मिलता है। पालक के एक गिलास जूस में स्वादानुसार सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से दमा और श्वास रोगों में खूब लाभ मिलता है।

खांसी दूर करे गेंदा का फूल व उसके बीज

डाँग-गुजरात के आदिवासियों के अनुसार यदि गेंदा के फ़ूलों को सुखा लिया जाए और इसके बीजों को एकत्र कर मिश्री के दानों के साथ समान मात्रा (5 ग्राम प्रत्येक) का सेवन तीन दिन तक किया जाए तो जिन्हें दमा और खांसी की शिकायत है, उन्हें काफ़ी फ़ायदा होता है।

अंगूर का रस गुणकारी

लगभग 50 ग्राम अंगूर का रस गर्म करके स्वास या दमा के रोगी को पिलाया जाए तो सांस लेने की गति सामान्य हो जाती है।

दमा में फायदेमंद अनंतमूल की जड़ें

दमा के रोगी यदि अनंतमूल की जड़ों और अडूसा के पत्तियों की समान मात्रा (3-3 ग्राम) लेकर दूध में उबालकर लें तो फ़ायदा होता है, ऐसा कम से कम एक सप्ताह तक किया जाना जरूरी है।

टांसिल्स में फायदेमंद बच व ब्रह्मी

बच, ब्रह्मी, पिपली, हर्रा और अडूसा की समान मात्रा को पीसकर इस मिश्रण को लेने से गले की समस्या जैसे गला बैठ जाना, टांसिल्स आदि में अतिशीघ्र आराम मिलता है। सर्दी और खांसी में लटजीरा के पत्तों का रस तैयार कर पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकार रोगियों को देते है, इनके अनुसार यह अत्यंत गुणकारी है।

भिंडी के बीज गुणकारी

भिंडी के बीजों को आदिवासियों द्वारा एकत्र कर सुखाया जाता है और बच्चों को इसका चूर्ण खिलाया जाता है, माना जाता है कि ये बीज प्रोटीनयुक्त होते है और ठंड के मौसम में उत्तम स्वास्थ्य के लिये बेहतर होते हैं।

खांसी दूर करे बहेड़ा

पुरानी खांसी में 100 ग्राम बहेड़ा के फलों के छिलके लें, उन्हें धीमी आंच में तवे पर भून लीजिए और इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए। इस चूर्ण का एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार सेवन बहुत लाभकारी है।

सर्दी में आराम दिलाए भुट्टा व नीलगिरी का तेल

मक्का के भुट्टे को जलाकर उसकी राख तैयार कर ली जाए और इसे पीस लिया जाए, इसमें अपने स्वाद के अनुसार सेंधा नमक डालकर दिन में 4 बार एक चम्मच फ़ांकी लेने से खांसी, कफ़ और सर्दी में आराम मिलता है। नीलगिरी का तेल एक सूती कपड़े में लगा दिया जाए और सर्दी और खांसी होने पर सूंघा जाए तो आराम मिलता है। गले में दर्द होने पर भी ये फायदा करता है। मेथी की पत्तियों का ताजा रस, अदरख और शहद को धीमी आंच पर कुछ देर गर्म करके रोगी को पिलाने से अस्थमा रोग में आराम मिलता है। एक गिलास पानी में एक चम्मच लहसुन का रस मिलाएं और इसे 3 महीने तक दिन में दो बार लगातार दिया जाए तो अस्थमा में राहत मिलती है।

तुलसी दूर करे अस्थमा

गर्म पानी में तुलसी के 5 से 10 पत्ते मिलाएं और सेवन करें, यह सांस लेना आसान करता है। इसी प्रकार तुलसी का रस, अदरक रस और शहद का समान मिश्रण प्रतिदिन एक चम्मच के हिसाब से लेना अस्थमा पीड़ित लोगों के लिए अच्छा होता है।

नोट- ये ख़बर मूल रुप से साल 2017 में प्रकाशित हुई थी

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