सेब औषधि नहीं बल्कि औषधियों को दूर रखने का सटीक उपाय  

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रफ्तार भरे आज के दौर में रासायनिक दवाओं ने हमारे घरों में खासी घुसपैठ कर ली है। जब भी हम अपने रोगों या शारीरिक समस्याओं के साथ अस्पताल पहुंचते हैं तो ढ़ेर सारे टेस्ट्स और दवाओं की पर्चियां हाथों में थमा दी जाती हैं।

कई बार त्वरित उपचार के चक्कर में हम जाने-अनजाने में खुद को नुकसान पहुंचाते हैं। सदियों पुराने पारंपरिक हर्बल ज्ञान की बात की जाए तो मैं नि:संकोच कह सकता हूं कि इस ज्ञान में दम है और इस ज्ञान को आधुनिक विज्ञान भी सही ठहराता है। इस सप्ताह हम सेब के उन औषधीय गुणों के बारे में जानेंगे जिन्हें मॉडर्न साइंस भी दमदार मानता है।

बॉयोमेडिकल विज्ञान भी करता है सेब पर पूरा भरोसा

सेब के औषधीय गुणों का बखान करने के लिए अकेला मैं नहीं, अब तो सारा बॉयोमेडिकल विज्ञान इस पर भरोसा जता रहा है। कैंसर जैसे भयावह रोग के नियंत्रण को लेकर दुनिया भर में शोध कार्यक्रम किए जा रहे हैं और सैकड़ों प्रयोगशालाओं में सेव के उपयोग से कैंसर नियंत्रण पर भी जबरदस्त शोध जारी हैं।

पारंपरिक वैद्यों का मानना है कि कैंसर रोगोपचार के लिए सेब को उपयोग में लाया जाना चाहिए और ठीक इसी तरह के दिशा निर्देशों को आधार मानकर कई अत्याधुनिक प्रयोगशालाओं में कैंसर उपचार के लिए सेब को प्रयोग में लाया जा रहा है। कई प्री-क्लिनिकल रिसर्च के परिणामों को देखा जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब से लिवर कैंसर को खत्म करने में जबरदस्त कामयाबी मिलती है।

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वैज्ञानिक केली वोल्फ और उनके साथियों की शोध रपट जो जर्नल ऑफ फूड केमेस्ट्री में प्रकाशित हुई थी, उसमें बताया गया कि सेब के छिलकों में लिवर कैंसर से निपटने के बेहद रोचक गुण हैं। सेब में पाया जाने वाले प्रमुख रसायनों में से एक फ्लोरेटिन, लिवर कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में सक्रिय भूमिका निभाता है।

इसी तरह मॉलेक्युलर न्यूट्रीशन एंड फूड रिसर्च नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर गौर किया जाए तो जानकारी मिलती है कि सेब की मदद से महिलाओं के स्तन कैंसर में भी काफी उत्साहित करने वाले परिणाम प्राप्त हुए हैं।

सेब हेलिकोबैक्टर पायलोरी सूक्ष्मजीव का करते हैं सफाया

सन‍् 2010 में फायटोथेरापी नामक वैज्ञानिक पत्रिका में सेब पर किए गए एक शोध के परिणामों को प्रकाशित किया गया और रपट के अनुसार सेब में पाया जाने वाले एक अन्य महत्वपूर्ण रसायन समूह केरेटेनॉयड्स की वजह से पेट के कैंसर में जबरदस्त फायदा होता है।

इस शोध के जरिये बताया गया कि सेब के ये रसायन हेलिकोबैक्टर पायलोरी नामक सूक्ष्मजीव को मार गिराते हैं। हेलिकोबैक्टर पायलोरी की उपस्थिति और सक्रियता की वजह से हमारे पेट में अल्सर और बाद में कैंसर होता है। इस प्रयोग के दौरान पेट के अल्सर और कैंसर से ग्रस्त मरीजों को लगातार कई दिनों तक सेब खिलाया गया और परिणाम एकदम चौकाने वाले थे।

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सेब कैंसर नियंत्रण के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय साबित हो सकता है, कम से कम दुनियाभर में चल रही शोधों और उनके परिणामों को देखकर यह तो माना जा सकता है। कई शोध परिणामों के अंत में वैज्ञानिकों ने यह तक लिखा है कि सेब को हर तरह के कैंसर नियंत्रण के लिए आजमाकर देखा जाना चाहिए।

चेर्नोबिल की घटना

जब कैंसर और सेब को लेकर बात चल रही है तो चेर्नोबिल की घटना का जिक्र आना जरूरी है। चेर्नोबिल न्युक्लियर प्लांट युक्रेन में है, सन 1986 में यहां एक दुर्घटना घटी और एक जबरदस्त विस्फोट हुआ जिसके चलते सारे शहर में रेडियो एक्टिव तत्वों का फैलाव हो गया, कई मौतें हुईं और अचानक हुए इस हादसे की वजह से पूरी ।

ये माना जाता रहा है कि रेडियो एक्टिव तत्वों की वजह से कैंसर होने का पूरा खतरा होता है। चेर्नोबिल में जो बच्चे रेडियोएक्टिव तत्वों के संपर्क में आए उन्हें एक प्रायोगिक शोध के जरिये एप्पल पेक्टिन का सेवन कराया गया। बच्चों को एप्पल पेक्टिन से बने भोज्य पदार्थो को भी खिलाया गया। हर एक अंतराल के बाद बच्चों में काफी सकारात्मक असर दिखाई देने लगा।

बच्चों के शरीर पर रेडियो एक्टिव तत्वों की मार का असर 30-40% प्रतिशत तक कम दिखाई देने लगा। ये परिणाम काफी प्रोत्साहित करने वाले थे बच्चों को प्राकृतिक उपायों के जरिये उपचार दिया गया। वैज्ञानिकों का मानना है कि ना सिर्फ साधारण रेडियो एक्टिव बल्कि प्लुटोनियम जैसे तत्वों की वजह से होने वाले घातक शारीरिक परिणामों के लिए सेब एक बेहतरीन उपाय है।

जटिल शारीरिक समास्याओं में कारगर सेब

कैंसर जैसे भयावह रोगों के नियंत्रण के अलावा कई अन्य सामान्य से जटिल शारीरिक समस्याएं हैं जिन्हें काबू में लाने के लिए सेब से बेहतर कुछ नहीं और इन उपायों को आधुनिक विज्ञान भी भलिभांति मान रहा है। सेब में कुछ रसायन होते हैं जो हृदय की धमनियों के बीच किसी भी तरह के जमाव को रोकने में मदद करते हैं।

एक शोध परिणाम तो यह तक बताती है कि दिन में 3-4 सेब खाने वाली महिलाओं में 20-25 दिनों के भीतर वजन कम होते दिखाई देने लगता है। एंटी एजिंग और मस्तिष्क के बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी सेब को काफी मददगार माना गया है। इसके अलावा मसूड़ों से खून आना, दांतों का पीलापन दूर करना और मुंह से आने वाली बदबू को दूर करने के लिए भी कई वैज्ञानिक सेब चबाने की सलाह देते हैं। सूक्ष्मजीवी संक्रमणों को दूर करने के लिए भी सेब काफी सक्रिय भूमिका अदा करता है।

बारीकी से किया गया अध्ययन

दुनिया भर में कई रोगों के रोकथाम, नियंत्रण और उपचार के नाम पर सेब के महत्व को काफी बारीकी से अध्ययन किया जा रहा है और इन सारी शोध परिणामों पर गौर किया जाए तो सेब औषधि नहीं बल्कि सेब औषधियों को दूर रखने का एक सटीक उपाय है।

अगली बार जब भी आप सेब को खाएं तो इसके विलक्षण गुणों को याद करियेगा। मेरी सलाह तो यह तक है कि घर में सेब हमेशा रखें और जब जब भूख सी लगे, सेब चबा लिया जाए। सेब आपकी भूख शांत करेगा और सेहत भी दुरुस्त करेगा।

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