डॉ. अलीम सिद्दीकी
लखनऊ। कई बार मानसिक परेशानियों में व्यक्ति का व्यवहार धीरे-धीरे बदलता है। एक बिलकुल शांत व्यक्ति अचानक बहुत गुस्से में आकर मार-पीट कर सकता है।
या अकेले कमरे में बैठ कर किसी से बातें कर सकता है। किसी भी व्यक्ति के व्यवहार में का समय के साथ अगर बदलाव आना शुरू हो जाए और हाथों के इशारे से वह किसी से बात करने लगे तो यह हो सकता है कि उसको भ्रम की बीमारी हो, जिसे अंग्रेजी में ‘हैलुसिनेशन’ कहते हैं।
इसके लक्षण सिर पर लगी चोट वाले मरीज में ज्यादातर दिखाई देते हैं। साथ ही मानसिक रोग से पीडि़त व्यक्ति का ‘हैलुसिनेशन’ अगला चरण हो सकता है। यह लोग ऐसी चीजें देखते है जो वास्तविकता से परे होते हैं लेकिन इससे प्रभावित लोगों में यह बिलकुल वास्तविक लगते हैं। इसे आप जागते हुए ख्वाब देखने जैसा कहा सकते हैं।
हैलुसिनेशन के प्रकार
ऑडिटरी हैलुसिनेशन इसमें मरीज को लगता है कि उनके कानों में आवाजें आ रही हैं। लेकिन जब वह अपने आस-पास देखते हैं तो कोई नहीं नज़र आता है। पीडि़त को लगता है कोई परदे के पीछे से छुप कर बातें कर रहा है। कई बार एक ही व्यक्ति की आवाज आती है और कई बार अलग-अलग लोगों की आवाजें मरीज महसूस करता है जो उनकी बुराई कर रहे होते हैं। यह मरीज को बहुत परेशान कर रहा होता है।
कमांंड हैलुसिनेशन : इनमें मरीज को आवाजें आती है जो ऑर्डर देने या उनसे कोई काम करवाने के निर्देश दे रही होती है। जैसे सामान उठा कर रखने का निर्देश। लेकिन कई बार यह ख़तरनाक भी हो सकते हैं जो मरीज को खुद या दूसरे को नुकसान पहुंचाने के ऑडर दे रहे होते हैं। ऐसे में मरीज में खुदकुशी या कत्ल करने की प्रवृति जन्म ले सकती है।
ऑलफेक्ट्री : इसमें मरीजों को खुशबू या बदबू महसूस होती है। इसमें खाना सड़ने, यूरीन, धुएं जैसी चीजें शामिल हैं। यह ब्रेन ट्यूमर, ट्रामा या ऑपरेशन के बाद भी ऐसा होते देखा गया है।
टैक्टिकल हैलुसिनेशन : मरीज को ऐसा महसूस होता है जैसे कि उनकी त्वचा पर कोई दवाब डाल रहा है, जैसे कोई कीड़ा उनकी खाल पर या अंदर रेंग रहा हो। जो लोग लम्बे समय से नशीली चीजों का इस्तेमाल करते हैं उन्हें इस तरह का अनुभव हो सकता है। त्वचा का कैंसर, संक्रमण या बहुत तेज बुखार से भी हो सकता है।
गसटेटरी हैलुसिनेशन : मरीज को इसमें अलग-अलग स्वाद का आभास अनुभव होता है। वह बिना कुछ खाए ही स्वाद महसूस करने लगता है। यह अक्सर मिर्गी में होता है।
हाईपागोगिया हैलुसिनेशन : यह बिलकुल सामान्य माने जाते हैं। ऐसे में जब हम नींद में होते हैं तब हमें अक्सर कानों में आवाजें आने का अनुभव होता है। जगते समय यह सामान्य होते है उन्हें ऐसा केवल सोते समय ही महसूस होता है।
विजुअल : इसमें ऐसा लगता है कि कोई नजर आ रहा है लेकिन वह वास्तव में नहीं होता है। ऐसे में कई बार अलग आकार, प्रकार, रंग नजर आते हैं और कई बार अजीब से जानवर या इंसान भी देखने का अहसास होता है। सुनाई देने वाले हैलुसिनेशन अक्सर स्किजोफ्रीनिया में भी होते हैं। हैलुसिनेशन कई तरह के दिमागी संक्रमण या सिर पर लगी घातक चोट, शरीर में हारमोन के असंतुलन, लम्बे समय तक मादक पद्वार्थों के सेवन, शराब पीने आदि से हो सकते हैं। यह नींद के अभाव में भी महसूस हो सकते हैं।
इसका इलाज संभव है अगर यह मानसिक बीमारियों की वजह से है तो मनोचिकित्सक से इलाज करा सकते हैं। जबकि दिमाग में संक्रमण की वजह से है तो न्यूरोलॉजिस्ट इसका इलाज करते हैं।