बेवक़्त बारिश से बुंदेलखंड का किसान फिर तबाह

एक हफ्ता और बाकी है यानी कुछ पता नहीं है कि देश में बारिश का आखिरी आंकड़ा क्या निकल कर आता है। बहरहाल, इस समय बुंदेलखंड के किसान बेवक्त मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल के मारे परेशान हैं। वे जल्द ही नुकसान का आकलन और मुआवजा मांग रहे हैं।
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बुंदेलखंड में इस बार बारिश की कमी नहीं रही तो बेवक्त बारिश ने तबाही मचा दी। और ऐसी बर्बादी हो गई कि दलहन और तिलहन के किसान सूखे जैसे हालात में ही पहुंच गए। बुंदेलखंड के किसानों की समस्या को नए सिरे से समझना पड़ रहा है।

ज्यादातर सूखे से जूझने वाले बुंदेलखंड में किसान अब स्वेच्छा से नहीं बल्कि मजबूरी में खेती करते दिख रहे हैं। इसी मजबूरी में उन्हें यह भी ध्यान रखना पड़ रहा है कि वे ऐसी ही फसलें उगाएं जिनमें मौसम का जोखिम कम हो।

इस बार कुछ ऐसा ही हुआ था लेकिन जिन किसानों ने तिल, मूंगफली, उड़द, मूंग बो कर ज्यादा दांव लगाया था वे अब बुरी तरह हार रहे हैं। बैमौसम बारिश ने इन फसलों को तबाह कर दिया है। इतना ही नहीं कई फसलों को पीला मोजेक यानी पीला चितेरी रोग ने अपनी चपेट में ले लिया।

अपनी व्यथा कहे भी तो किससे?

हालत ये है कि बुंदेलखंड का बदहाल किसान अपनी ये व्यथा कहे भी तो किससे? हालांकि ये किसान अपनी व्यथा अपने किसान नेताओं को बुला कर उनसे कह रहे हैं। मसलन बुंदेलखंड के किसान नेता शिव नारायण सिंह परिहार उन इलाकों की हालत मीडिया को बता रहे हैं कि इस वक्त किसान किस मुश्किल में हैं।

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श्री परिहार बता रहे हैं कि इस बार बेमौमस बारिश ने खरीफ की फसल पर कहर बरपा कर किसानों की कमर तोड़ दी है। किसान भुखमरी की कगार पर हैं। किसानों ने बड़ी मेहनत से जुताई, बुआई, दवाई और छुट्टा जानवरों से बचाकर जो फसल तैयार की थी वह बेवक्त बारिश से बर्बाद हो गई है।

इन किसानों ने 24 सिंतबर को उत्तर प्रदेश के ब्लाक बंगरा के कुआं गाँव सियावनी में मिल बैठ कर चौपाल लगाई और प्रदेश सरकार से मांग की कि जल्द से जल्द खेत दर खेत सर्वेक्षण कराया जाए और नुकसान का आंकलन कराया जाए। उन्होंने मांग की है कि उन्हें समय से वाजिब मुआवजा दिलाया जाए वरना ये किसान आगे खेती का कोई भी काम करने लायक नहीं बचेंगे।

चौपाल में शामिल हुए दस गाँव के किसान


इसी बीच आज 25 सितंबर को झांसी जिले के ही सुहागी बम्हौरी गाँव में किसानों ने एक सभा की। इस चौपाल में भी आसपास के दस गाँव के किसान जमा हुए। लगभग सभी ने बारिश के कहर से हुए नुकसान का ब्योरा दिया।

बुंदेलखंड के 13 जिलों में सात जिले उप्र में बाकी छह मप्र में पड़ते हैं। जिन गाँवों में बेमौमस बारिश से बर्बाद किसानों के एक जगह बैठकर चौपालें लगाने की खबरें हैं, वे उप्र के झांसी जिले में आते हैं। चुरारा, कंजा चितावत, कुआं गाँव सियावनी के इन किसानों ने छुट्टा जानवरों की समस्या को ज्यादा ही जोर देकर बताया है। उन्हें जानवरों से फसल से बचाव के लिए रात रात भर पहरा देना पड़ा था।

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परिहार ने बताया कि वे पिछले तीन हफ्तों में झांसी और ललितपुर जिले के कोई 55 गाँवों में जाकर प्रत्यक्ष रूप से हालात देख चुके हैं। हर जगह हालत एक जैसी है। इतना ही नहीं पड़ोसी जिले हमीरपुर में भी बेवक्त बारिश से बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं और फसल चौपट हो गई। ऐसी ही सूचनाएं पड़ोसी मप्र के जिलों से भी हैं। खासतौर पर टीकमगढ़ और छतरपुर के किसान भी बेवक्त बारिश से बेहाल हैं।

पहले छुट्टा जानवर, फिर बारिश से परेशान

इस बार बुंदेलखंड के किसानों ने पहले छुट्टा जानवरों की समस्या झेली और रात भर जाग-जाग कर किसी तरह अपनी फसल बचाई तो उसके बाद बेवक्त बारिश से तबाह हो गए।

उनका कहना है कि इस समस्या के चलते खेती करना लगभग नामुमकिन हो गया है। जानवरों से फसल के बचाव के लिए किसानों को ज्यादा ही खर्च करना पड़ रहा है। ऊपर से बुंदेलखंड में कभी सूखा और कभी बेवक़्त बारिश खेती नहीं करने दे रही। किसान कर्ज से लदते ही चले जा रहे हैं।

अभी दो महीने पहले ही जुलाई में यह क्षेत्र सूखे की चपेट में था और विपत्ति के उन्हीं दिनों में बांदा, महोबा और हमीरपुर जिले में किसान आत्महत्याओं की घटनाएं बढ़ रही थीं। यह वह समय था जब किसानों से कर्ज वसूली के लिए बैंकों के नोटिस आ रहे थे।

नोटिस का दबाव किसान झेल नहीं पाए


किसान नेता बताते हैं ये इन नोटिस का दबाब किसान झेल नहीं पाए। इसी दौरान बिजली के बिलों को देखकर भी किसानों में हौका बैठा हुआ है।

इस क्षेत्र में मौजूदा हालात के अलावा एक और बात इस समय दर्ज की जानी चाहिए। वह ये कि बुंदेलखंड में इस बार बेवक्त बारिश के कहर ने मौसम विभाग की भविष्यवाणियों पर सवालिया निशान लगा दिया है।

यह विज्ञान और प्रौद्योगिकी का ज़माना है। खासतौर पर मानसून आने के बाद महीने भर के भीतर ही बारिश के रुख का वैज्ञानिक अनुमान लगाने का दावा किया जाता है लेकिन बुंदेलखंड में मानसून के आखिरी महीने में मूसलाधार बारिश ने तबाही मचाई है तो यह भी जांचा परखा जाना चाहिए कि जून के दूसरे हफ्ते में मौसम विभाग क्षेत्रीय स्तर पर जो अनुमान लगाकर बताता है उसमें कहां गड़बड़ी हो गई।

सरकारी विभाग ज्यादा बारिश से खुश

इस बार मौसम विभाग और दूसरे सरकारी विभाग देश में औसत से ज्यादा बारिश होने से खुश हैं। ये अलग बात है कि अनुमान औसत से कुछ कम बारिश का था। बीती 25 दिसंबर तक का हिसाब देखें तो देश में औसत से पांच फीसदी ज्यादा पानी बरस चुका है।

एक हफ्ता और बाकी है यानी कुछ पता नहीं है कि देश में बारिश का आखिरी आंकड़ा क्या निकल कर आता है। बहरहाल, इस समय बुंदेलखंड के किसान बेवक्त मौसम की मार से बर्बाद हुई फसल के मारे परेशान हैं। वे जल्द ही नुकसान का आकलन और मुआवजा मांग रहे हैं। 

(लेखिका प्रबंधन प्रौद्योगिकी की विशेषज्ञ और सोशल ऑन्त्रेप्रनोर हैं। ये उनके अपने विचार हैं।)

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