उच्च संक्रमण का ख़तरा न होने पर गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण ना किया जाए : डब्ल्यूएचओ

एक नए बयान में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि गर्भवती महिलाओं को कोविड वैक्सीन तभी लगवानी चाहिए जब उन्हें कोविड-19 के संक्रमण का अधिक खतरा हो। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन दी जा सकती है अगर वो इसके लिए पात्र मानी गई हैं।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 26 जनवरी को कोविड-19 वैक्सीन के लिए नई अंतरिम सिफ़ारिशें जारी कर सलाह दी है कि गर्भवती महिलाओं को मोडेरना वैक्सीन न लगाई जाए। “गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 संक्रमण का अधिक ख़तरा रहता है, इसलिए फ़िलहाल इस वैक्सीन को गर्भवती महिलाओं को देने की सलाह नहीं दी जा सकती है। ये वैक्सीन गर्भवती महिलाओं को तभी दी जा सकती है जब उन्हें कोविड-19 का जोखिम बहुत ज़्यादा है, जैसे स्वास्थ्य कर्मी आदि,” विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफ़ारिशों में कहा गया।

“स्तनपान कराने वाली माएं यदि ऐसे समूह (स्वास्थ्य कर्मी) का हिस्सा हों जिनको वैक्सीन लगाने की सलाह दी जाती है तो उन्हे भी वैक्सीन दी जा सकती है। वैक्सीन लगने के बाद स्तनपान बंद करने की फ़िलहाल कोई सलाह नहीं दी गई है,” सिफ़ारिशों में आगे कहा गया।

कर अमेरिकी दवा कंपनी मोडेरना (Moderna) को गर्भवती महिलाओं के लिए अनुचित ठहराया है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा है कि गर्भवती महिलाओं का कोरोना की चपेट में आने का खतरा काफी बढ़ जाता है और यह उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 का खतरा अधिक होता है इसीलिए यदि वे उच्च संक्रमण के खतरे पर हों तभी उन्हें वैक्सीन दी जाए। संगठन ने जारी बयान में यह भी बताया कि गर्भवती के लिए मॉर्डना वैक्‍सीन कितनी सुरक्षित है इस पर अभी डाटा आना और क्लिनिकल ट्रायल होना बाकी है।

इस बीच डब्लूएचओ ने यह भी कहा है कि कोविड-19 की वैक्सीन डाइबिटीज़, हाइपरटेंशन, अस्थमा, किडनी, लीवर और फेफड़ों से संबंधित दीर्घकालीन बीमारियों से प्रभावित संवेदनशील लोगों के लिए नियंत्रण एवं संतुलन की अवस्था में सुरक्षित और प्रभावी है। हालांकि कमज़ोर इम्युनिटी वाले लोगों के संदर्भ में अभी अधिक शोध की आवश्यकता है। इनमें भी ऐसे लोग जो वैक्सीनेशन के लिए प्राथमिकता रखने वाले किसी खास समूह (स्वास्थ्य कर्मी) का हिस्सा हैं, विशेष जानकारी और काउंसलिंग के बाद टीकाकरण अभियान में शामिल किए जा सकते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार भारत में टीकाकरण अभियान जारी है और 27 जनवरी की शाम तक मिले आंकड़ों के अनुसार लगभग 23 लाख स्वास्थ्य कर्मियों को कोविड-19 की वैक्सीन दी जा चुकी है।

फोटो- एआईआर

फोटो- एआईआर

इस दौरान 16 जनवरी को टीकाकरण कार्यक्रम शुरू होने के बाद से 19 दिन के भीतर 16 स्वास्थ्य स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हो चुकी है। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुसार इसमें से किसी की भी मृत्यु कोविड-19 वैक्सीन की वजह से नहीं हुई है।

भारत में कोविड-19 टीकाकरण अभियान को कुछ मामलों में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से एक प्रमुख कारण भारत सरकार keभारत बायोटेक के स्वदेशी तौर पर बनाए गए कोवैक्सीन को आपातकालीन मंजूरी देना है, जिसके तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल का परिणाम अब तक नहीं आया है।

हाल ही में टाटा मेडिकल एंड डायग्नोस्टिक्स और मोडेरना इन्कार्पोरेशन के बीच साझेदारी में मोडेरना वैक्सीन को भारत में लांच करने के लिए बातचीत शुरू की है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार मोडेरना वैक्सीन की दो खुराक में से पहली खुराक लगने के बाद कोविड-19 से बचाव में यह 92 प्रतिशत प्रभावी है।

इससे पहले 14 जनवरी को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविशिल्ड और कोवैक्सीन के संदर्भ में गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन ना देने की सलाह दी थी। बाद में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने इसे अनुमति दे दी थी।

सार्वजनिक स्वास्थ्य एजेंसियों ने अभी तक गर्भवती महिलाओं को कोविड-19 का टीका लगाने की सिफारिश नहीं की है क्योंकि इस संदर्भ में अब भी व्यापक शोध और अध्ययन का अभाव है।

इससे पहले भी 12 जनवरी को गांव कनेक्शन ने रिपोर्ट किया था किगर्भवती महिलाओं के टीकाकरण के संदर्भ में देश भर में लोगों की राय बंटी हुई है।

गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भी अलग-अलग राय है। लखनऊ की स्त्री रोग विशेषज्ञ नीलम गुप्ता का मानना है कि गर्भवती महिलाओं को इस संदर्भ में प्राथमिकता मिलनी चाहिए क्योंकि उनमें वायरस के संक्रमण का ख़तरा अधिक है। तो वहीं कलकत्ता के स्त्री रोग विशेषज्ञ सौमित्र कुमार का कहना है कि गर्भवती महिलाओं को वैक्सीन देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस संदर्भ में खतरे और सुरक्षा से जुड़े आंकड़ों का अभाव है।

गांव कनेक्शन के 16 राज्यों एवं 1 केंद्र शासित प्रदेश में किए गए हालिया सर्वे में पाया गया था कि केवल 15.3 फीसदी ग्रामीण ही वैक्सीनेशन के संदर्भ में गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता देना ज़रूरी समझते हैं।

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