मैं अक्सर नानी और मम्मी से इमरजेंसी के दौरान की बातें सुना करती थी। घर के बाहर कर्फ्यू रहता था। लोग घरों से निकलने से डरते थे। दुकानें बंद रहती थीं। बेहद मुश्किल हालातों मसलन बच्चे की डिलिवरी या किसी की बीमारी के दौरान भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंचना आफत से कम नहीं होता था।
कुछ ऐसे ही हालत 23 तारीख को बनते हुए दिखे और फिर 24 तारीख को खुद इन हालातों का शिकार भी होना पड़ा। मेरा ससुराल पूर्वी दिल्ली में है। हम एक पारिवारिक आयोजन के लिए वहां पहुंचे थे। सुबह का वक्त था। नोएडा से यमुना विहार पहुंचने में एक घंटे से ज्यादा का समय लग जाता है। लेकिन उस दिन हम शाहदरा तक बिना किसी जाम के आधे घंटे में ही पहुंच गए।
उसी वक्त मेरे पति ने कहा कि हमेशा ऐसा ही रास्ता मिले, तो हम कितनी जल्दी घर पहुंच जाएं। उनका यह कहना ही था कि गाड़ी की रफ्तार कम होने लगी। हमें जाम मिलना शुरू हो गया। ये जाम ट्रैफिक या रेड लाइट का नहीं था। ये जाम था लोगों की भीड़ का। ये जाम था बैरिकेड्स लगे होने का।
रूट डायवर्ट था। उस वक्त अंदाजा नहीं था कि ये कुछ लोगों की भीड़ शाम तक इतना बड़ा रूप ले लेगी। बहुत मुश्किल से रास्ते बदलते हुए हम घर पहुंचे। घर पहुंचकर बाकी चीजों में व्यस्त हो गए और ये बात दिमाग से कहीं निकल गई कि बाहर के हालात कुछ अंदेशा पैदा कर रहे थे। दिन भर टीवी देखने का भी मौका नहीं मिला और घर के आयोजन की तैयारियां जरूरी थीं, इसलिए ज्यादा ध्यान भी नहीं दिया गया।
Delhi: Stone pelting between two groups in Maujpur area, tear gas shells fired by Police. pic.twitter.com/Yj3mCFSsYk
— ANI (@ANI) February 23, 2020
लेकिन शाम को घर से निकलते वक्त जिन हालातों का सामना करना पड़ा, वो खतरनाक थे। मेरी पढ़ाई भी पूर्वी दिल्ली के ही कॉलेज से हुई है, लेकिन उन तीन सालों के दौरान भी मैंने पूरी पूर्वी दिल्ली नहीं देखी थी, जितनी उस शाम देखी।
सिर्फ यमुना विहार से अशोक नगर तक जाने के लिए हमें साढ़े चार घंटे लगे। मौजपुर, घौंडा, शाहदरा, ब्रह्मपुरी, सीलमपुर, कृष्णा नगर… और ना जाने कौन-कौन से इलाकों से होते हुए हमने अपना रास्ता बनाने की कोशिश की, लेकिन हर तरफ जैसे छावनी बनी हुई थी। हर तरफ बैरीकेट लगे हुए थे।
अपने ही क्षेत्र में बाहर निकलकर ऐसा लगा, जैसे किसी दूसरी दुनिया में पहुंच गए हों, जहां कोई अपना नहीं था। कोई अपने जैसा नहीं था। नहीं पता मुझे दंगे कैसे शुरू हुए। हिंदू ने शुरू किए या मुसलमान ने। सुबह के वक्त जहां मुस्लिमों की भीड़ रास्ता रुकने का कारण बनी थी। वहीं शाम के वक्त हिंदुओं की भीड़ भी जमा हो चुकी थी।
मैं हिंदू-मुस्लिम में फर्क करना नहीं जानती और ना ही करना चाहती हूं। लेकिन फर्क उन लोगों में साफ नजर आ रहा है, जो शांति चाहते हैं और जो उन मुश्किल हालातों को और मुश्किल बना रहे हैं -भड़काऊ बातें करके, राजनीतिक बयान देकर के, एक पार्टी को सही और दूसरी को गलत बताकर।
Special CP Satish Golcha in Delhi’s Khajuri Khaas: We will be detaining the miscreants and taking legal action against them. People should cooperate with us to maintain peace. We are here till the situation normalises. Else we deploy more forces. pic.twitter.com/qsz2bTsEBg
— ANI (@ANI) February 25, 2020
यह नाजकु हालात हैं। एक सिपाही की जान जा चुकी है, कई नागरिकों को भी जान गंवानी पड़ी है। कई लोग जख्मी हो चुके हैं और कई लोग डर और दहशत में हैं। मुझे याद आ रहा है उन साढ़े चार घंटों के दौरान हम कार का शीशा खोलने से भी डर रहे थे। कार का शीशा खुला था, तो रास्ते से ही एक आदमी ने टोककर कहा, हालात खराब हैं, शीशे मत खोलिए।
बहुत अजीब लगा था। बहुत अजीब। ऐसा पहले तो कभी नहीं हुआ कि कार के शीशे खोलकर चलना भी डरावना हो जाए। मुझे याद आ रहा है, इन अजीब, डरावने हालातों, पत्थरबाजी और नारेबाजी के बीज मेरे पति ने मोबाइल पर एक गाना बजाया था- ‘ज़िद के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो, देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों … ‘
मैं बस उस वक्त इतनी हिम्मत बटोर लेना चाहती थी कि हिंदू मुस्लिम के उन गुटों के बीच जाकर तेज स्पीकर पर ये गाना बजा दूं। लेकिन यह हिम्मत नहीं कर पाई, कुछ नहीं कर पाई। इस अफसोस में हूं। लेकिन अगर आप कर सकते हैं, तो इतनी हिम्मत करिए कि नफरत को फैलने मत दीजिए।
यह मुद्दा लंबे समय से चल रहा है, अब तक कभी कुछ नहीं लिखा था। लेकिन जो 23 और 24 तारीख को देखा और महसूस किया उसके बाद यह लिखना जरूरी था। नहीं जानती इससे कुछ फर्क पड़ेगा भी या नहीं, लेकिन कोशिश करना जरूरी है। यह बताना, यह याद दिलाना जरूरी है कि यह हमारा ही देश है, हमारा ही मुल्क है, जिसमें हमारे ही लोग हमारी ही नफरतों का शिकार हो रहे हैं।
आप पक्ष में हैं या विपक्ष में …. नफरत और हिंसा को मत चुनिए!
(हिमानी दीवान स्वतंत्र पत्रकार और लेखक हैं। यह लेख उनके फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है)
ये भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा: कैसे शुरू हुआ बवाल, जानिए पूरा घटनाक्रम