उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने से भारी तबाही, 150 मजदूर लापता

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा आज सुबह फट गया। इस वजह से धौली गंगा नदी का जल स्तर अचानक से बढ़ गया और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है। फिलहाल घाटी में जारी दो जल विद्युत परियोजनाओं को इससे भीषण नुकसान हुआ है और उस पर काम कर रहे लगभग 150 मजदूर गायब हैं।
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हिमालयी राज्य उत्तराखंड के लिए रविवार का दिन बहुत दुःखद साबित हुआ। चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में सुबह 10.45 बजे ग्लेशियर फटने और हिमस्खलन होने से अचानक से भारी तबाही आ गई। ग्लेशियर फटने की वजह से क्षेत्र की धौली गंगा नदी में अचानक से पानी बढ़ गया और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर इस घटना की जानकारी दी है।

उन्होंने ट्वीट कर यह भी बताया है कि इससे घाटी में जारी दो जल विद्युत परियोजनाओं को भीषण नुकसान पहुंचा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक चमोली जिले के रेनी गांव के पास निर्माणाधीन एनटीपीसी लिमिटेड की ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। अपुष्ट रिपोर्ट्स के अनुसार तपोवन डैम भी टूट गया है और यहां काम करने वाले 150 से अधिक मजदूर लापता हैं। स्थानीय लोग अपने इलाके में ऐसे डैम के निर्माण का विरोध करते रहे हैं। जानकारों के मुताबिक पर्यावरणीय दृष्टि से भी इन डैम्स का निर्माण उचित नहीं है। ग्लेशियर फटने के कारण अलकनंदा की सहायक नदी, धौली गंगा नदी का जल स्तर कई मीटर तक बढ़ गया है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।

भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा सहायक बल (एनडीआरएफ) ने बचाव अभियान शुरू कर दिया है। धौली गंगा और आस-पास के नदियों के बहाव क्षेत्र में आने वाले गांवों को चेतावनी दी गई है और उन्हें प्रशासन द्वारा खाली कराया जा रहा है।

टिहरी गढ़वाल के रानीचौरी में स्थित वानिकी महाविद्यालय की प्रोफेसर सरस्वती पी सती ने गाँव कनेक्शन को बताया, “धौली गंगा नदी के बाईं ओर से इसकी सहायक नदी ऋषि गंगा भी बहती है, जो कि नंदा देवी पर्वत से आती है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नदी के ऊपरी बहाव क्षेत्र में एक ग्लेशियर झील बना और उसके कारण हिमस्खलन हुआ। चूंकि यह एक बहुत ही दुर्गम इलाका है और 10 साल में सिर्फ एक बार फॉरेस्ट विभाग के लोग इसका निरीक्षण करते हैं, इसलिए इस घटना का किसी को अंदाजा तक नहीं था।”

यह आपदा रविवार सुबह चमोली के रेनी गांव के पास हुई, जो 1974 में शुरू हुए प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की जन्मस्थली है। धौली गंगा नदी के संगम पर ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण बफर जोन (नदी और मुख्य भूमि के बीच का जगह) में किया गया है, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने अतीत में इसका विरोध किया था। वर्तमान हिमस्खलन के कारण पूरी परियोजना क्षतिग्रस्त हो गई है। आगे, एक अन्य जल विद्युत परियोजना भी क्षतिग्रस्त हो गई। नीचे की ओर विष्णुप्रयाग में भी इस नुकसान को बढ़ता हुआ आगे देखा जा सकता है।

‘डैम, रिवर्स एंड पीपल’ के दक्षिण एशिया क्षेत्र के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार की कई पनबिजली परियोजनाओं की जानकारी हमें भी नहीं हैं। हमें अभी भी नहीं पता है कि आपदा कहां से उत्पन्न हुई, इसके क्या कारण हैं, क्यों इस संबंध में कोई चेतावनी नहीं थी और क्यों अभी भी हमारे पास आपदा और उससे हुए नुकसान की कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है।”

विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर मानसून के मौसम में जब नदियों का जलस्तर पहले से अधिक होता है, ऐसी आपदा आती तो और बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती थी। वर्तमान में नदियों का जल स्तर न्यूनतम है, इसलिए कम से कम नुकसान की उम्मीद की जा रही है।

अक्टूबर 2013 में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक निगरानी समिति की स्थापना की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर बनी 24 जल विद्युत परियोजनाएं पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं।

राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि वह स्थिति पर बेहद ही करीब से नजर बनाए हुए हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जो 1070 और 9557444486 है।

गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, एनडीआरएफ की टीमों को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया जा रहा है और उन्हें बचाव कार्यों के लिए उत्तराखंड भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।

फिलहाल उत्तराखंड के डीजीपी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि हालात अब नियंत्रण में हैं और देवप्रयाग व निचले इलाके के लोगों के लिए अब खतरे की कोई बात नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की पुलिस अन्य आपदा प्रबंधन बलों के साथ मिलकर तेजी से बचाव कर रही है।

हालांकि ऋषिकेश, हरिद्वार सहित उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में भी अलर्ट जारी किया गया है। बिजनौर जिले के गंगा किनारे बसे गांवों में पुलिस अनाउंस करा कर गंगा की तरफ नहीं जाने की अपील कर रही है और लोगों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

(उत्तराखंड से मेघा प्रकाश के इनपुट के साथ)

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