हिमालयी राज्य उत्तराखंड के लिए रविवार का दिन बहुत दुःखद साबित हुआ। चमोली जिले के जोशीमठ क्षेत्र में सुबह 10.45 बजे ग्लेशियर फटने और हिमस्खलन होने से अचानक से भारी तबाही आ गई। ग्लेशियर फटने की वजह से क्षेत्र की धौली गंगा नदी में अचानक से पानी बढ़ गया और बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई। राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ट्वीट कर इस घटना की जानकारी दी है।
उन्होंने ट्वीट कर यह भी बताया है कि इससे घाटी में जारी दो जल विद्युत परियोजनाओं को भीषण नुकसान पहुंचा है। अभी तक की जानकारी के मुताबिक चमोली जिले के रेनी गांव के पास निर्माणाधीन एनटीपीसी लिमिटेड की ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान पहुंचा है। अपुष्ट रिपोर्ट्स के अनुसार तपोवन डैम भी टूट गया है और यहां काम करने वाले 150 से अधिक मजदूर लापता हैं। स्थानीय लोग अपने इलाके में ऐसे डैम के निर्माण का विरोध करते रहे हैं। जानकारों के मुताबिक पर्यावरणीय दृष्टि से भी इन डैम्स का निर्माण उचित नहीं है। ग्लेशियर फटने के कारण अलकनंदा की सहायक नदी, धौली गंगा नदी का जल स्तर कई मीटर तक बढ़ गया है और बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
A disaster was reported at Raini village at around 1045 am, affecting two dam sites in Chamoli. Immediate instructions were issued to take stock of the situation and take emergency measures. Simultaneously, state’s disaster response mechanism was activated. #Uttarakhand
— Trivendra Singh Rawat (@tsrawatbjp) February 7, 2021
भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और राष्ट्रीय आपदा सहायक बल (एनडीआरएफ) ने बचाव अभियान शुरू कर दिया है। धौली गंगा और आस-पास के नदियों के बहाव क्षेत्र में आने वाले गांवों को चेतावनी दी गई है और उन्हें प्रशासन द्वारा खाली कराया जा रहा है।
टिहरी गढ़वाल के रानीचौरी में स्थित वानिकी महाविद्यालय की प्रोफेसर सरस्वती पी सती ने गाँव कनेक्शन को बताया, “धौली गंगा नदी के बाईं ओर से इसकी सहायक नदी ऋषि गंगा भी बहती है, जो कि नंदा देवी पर्वत से आती है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस नदी के ऊपरी बहाव क्षेत्र में एक ग्लेशियर झील बना और उसके कारण हिमस्खलन हुआ। चूंकि यह एक बहुत ही दुर्गम इलाका है और 10 साल में सिर्फ एक बार फॉरेस्ट विभाग के लोग इसका निरीक्षण करते हैं, इसलिए इस घटना का किसी को अंदाजा तक नहीं था।”
यह आपदा रविवार सुबह चमोली के रेनी गांव के पास हुई, जो 1974 में शुरू हुए प्रसिद्ध चिपको आंदोलन की जन्मस्थली है। धौली गंगा नदी के संगम पर ऋषि गंगा जल विद्युत परियोजना है। इस परियोजना का निर्माण बफर जोन (नदी और मुख्य भूमि के बीच का जगह) में किया गया है, जिसके कारण स्थानीय लोगों ने अतीत में इसका विरोध किया था। वर्तमान हिमस्खलन के कारण पूरी परियोजना क्षतिग्रस्त हो गई है। आगे, एक अन्य जल विद्युत परियोजना भी क्षतिग्रस्त हो गई। नीचे की ओर विष्णुप्रयाग में भी इस नुकसान को बढ़ता हुआ आगे देखा जा सकता है।
किसी भी आपातकाल की स्थिति से बचने के लिए हमें सतर्क रहना होगा। नदी के आसपास के लोगों से अपील है कि बेचैन न हों। शांत दिमाग़ से और सूझबूझ से काम लें। ख़ुद को किसी सुरक्षित स्थान पर ले जाएँ जबतक ख़तरे का अंदेशा है। pic.twitter.com/SP7a407YAh
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) February 7, 2021
‘डैम, रिवर्स एंड पीपल’ के दक्षिण एशिया क्षेत्र के समन्वयक हिमांशु ठक्कर ने गांव कनेक्शन से बात करते हुए कहा, “सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उत्तराखंड सरकार और केंद्र सरकार की कई पनबिजली परियोजनाओं की जानकारी हमें भी नहीं हैं। हमें अभी भी नहीं पता है कि आपदा कहां से उत्पन्न हुई, इसके क्या कारण हैं, क्यों इस संबंध में कोई चेतावनी नहीं थी और क्यों अभी भी हमारे पास आपदा और उससे हुए नुकसान की कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है।”
विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर मानसून के मौसम में जब नदियों का जलस्तर पहले से अधिक होता है, ऐसी आपदा आती तो और बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती थी। वर्तमान में नदियों का जल स्तर न्यूनतम है, इसलिए कम से कम नुकसान की उम्मीद की जा रही है।
अक्टूबर 2013 में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक निगरानी समिति की स्थापना की गई थी। सुप्रीम कोर्ट की इस समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उत्तराखंड में अलकनंदा और भागीरथी नदियों पर बनी 24 जल विद्युत परियोजनाएं पर्यावरण के लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं।
तपोवन में रेस्क्यू कार्य जारी।
पुलिस प्रसाशन मोके पर। pic.twitter.com/OuQT3wEVz5
— chamoli police (@chamolipolice) February 7, 2021
राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि वह स्थिति पर बेहद ही करीब से नजर बनाए हुए हैं। राज्य सरकार ने इसके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है, जो 1070 और 9557444486 है।
गृह मंत्री अमित शाह के मुताबिक, एनडीआरएफ की टीमों को दिल्ली से एयरलिफ्ट किया जा रहा है और उन्हें बचाव कार्यों के लिए उत्तराखंड भेजा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बचाव कार्यों की निगरानी कर रहे हैं।
NDRF की कुछ और टीमें दिल्ली से Airlift करके उत्तराखंड भेजी जा रही हैं। हम वहाँ की स्थिति को निरंतर मॉनिटर कर रहे हैं। https://t.co/BVFZJiHiWY
— Amit Shah (@AmitShah) February 7, 2021
फिलहाल उत्तराखंड के डीजीपी ने एक वीडियो जारी कर कहा है कि हालात अब नियंत्रण में हैं और देवप्रयाग व निचले इलाके के लोगों के लिए अब खतरे की कोई बात नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि राज्य की पुलिस अन्य आपदा प्रबंधन बलों के साथ मिलकर तेजी से बचाव कर रही है।
हालांकि ऋषिकेश, हरिद्वार सहित उत्तराखंड से सटे उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में भी अलर्ट जारी किया गया है। बिजनौर जिले के गंगा किनारे बसे गांवों में पुलिस अनाउंस करा कर गंगा की तरफ नहीं जाने की अपील कर रही है और लोगों से सतर्क रहने के लिए कहा गया है।
राहत की खबर।
श्रीनगर से अब नदी का बहाव सामान्य हो गया है। देवप्रयाग और निचले इलाक़ों के लोगों के लिए अब ख़तरे की बात नहीं है। पुलिस राहत बचाव तेज़ी से कर रही है। pic.twitter.com/axJxZXeWap— Ashok Kumar IPS (@Ashokkumarips) February 7, 2021
(उत्तराखंड से मेघा प्रकाश के इनपुट के साथ)
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