उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कोरोना महामारी को देखते हुए सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों में कटौती है। योगी सरकार ने कुल 6 तरह के भत्तों पर रोक लगाई है, जिसमें विभागीय भत्ता, नगर प्रतिकर भत्ता, सचिवालय भत्ता, पुलिस भत्ता, महंगाई भत्ता (डी.ए.) और पेंशनरों को मिलने वाला महंगाई राहत शामिल है। इसे 31 मार्च 2021 तक स्थगित रखा जाएगा।
योगी सरकार के इस फैसले से 16 लाख से भी ज्यादा राज्य कर्मचारी और 11.82 लाख राज्य पेंशनर प्रभावित होंगे। सरकार का अनुमान है कि इससे राजकोषीय खाते में 10 हजार करोड़ रूपये तक की बचत होगी, जिसे कोरोना से संबंधित राहत कार्यों में लगाया जाएगा। इससे पहले केंद्र सरकार ने भी केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले विभिन्न भत्तों पर रोक लगाई थी।
सरकार के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारी संघ परिषद ने विरोध तो नहीं पर आपत्ति दर्ज कराई है। संघ के अध्यक्ष सुरेश कुमार रावत ने गांव कनेक्शन से फोन पर बात करते हुए कहा, “सरकार का यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए मनोबल गिराने वाला है, जो अपना दिन-रात एक कर, अपने और परिजनों की जान को दांव पर लगाकर कोरोना महामारी से 24 घंटे लगातार लड़ रहे हैं।”
सुरेश रावत ने कहा कि कर्मचारी खुद अपनी इच्छा के अनुसार अपना वेतन कटाकर सरकारी फंड में दान कर रहे थे, ऐसे में सरकार द्वारा इस कदम को उठाने की जरूरत नहीं थी। “हालांकि यह कठिन समय है और इस कठिन समय में हम सरकार का विरोध नहीं करना चाहते, बस सरकार को भी ऐसे कोई भी फैसला लेने से कर्मचारियों को विश्वास में लेना चाहिए था,” रावत कहते हैं।
इससे पहले केंद्र सरकार ने गुरुवार को 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 61 लाख पेंशनरों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते पर रोक लगाने का फैसला किया था। केंद्र सरकार के मुताबिक, केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर ये रोक जून 2021 तक लागू रहेगी, जिससे सरकार को लगभग सवा लाख करोड़ रुपये की बचत होने की संभावना है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सरकार पर पड़े आर्थिक बोझ के कारण यह फैसला लिया गया है। केंद्रीय कर्मचारियों को इस वित्तीय वर्ष में 17 फीसदी की बजाए 21 फीसदी महंगाई भत्ता मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब सरकार ने इस बढ़ोतरी पर रोक लगा दी है। इस वजह से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों को करीब 18 महीने तक सिर्फ 17 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता मिलेगा।
I sincerely believe it is not necessary at this stage to impose hardships on government servants and also on the armed forces people: Former PM Dr Manmohan Singh on Centre freezing Dearness Allowance & Dearness Relief hike till July 2021 (Source – AICC) pic.twitter.com/JK2MmF5Nj4
— ANI (@ANI) April 25, 2020
हालांकि केंद्र और राज्य सरकार के इन फैसलों का प्रमुख विपक्षी दलों ने विरोध किया है। कांग्रेस सांसद और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता काटने की बजाय लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजनाओं और सेंट्रल विस्टा परियोजनाओं को निलंबित करना चाहिए था। उन्होंने सरकार की इस फैसले को असंवेदनशील और अमानवीय निर्णय करार दिया।
लाखों करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना और केंद्रीय विस्टा सौंदर्यीकरण परियोजना को निलंबित करने की बजाय कोरोना से जूझ कर जनता की सेवा कर रहे केंद्रीय कर्मचारियों, पेंशन भोगियों और देश के जवानों का महंगाई भत्ता(DA)काटना सरकार का असंवेदनशील तथा अमानवीय निर्णय है।https://t.co/LTGPf53VsA
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 24, 2020
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सरकार के इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि मौजूदा वक्त में सरकारी कर्मचारियों को आर्थिक रूप से मुश्किल में डालना गैरजरूरी है। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए कहा, “एक तरफ बिना अवकाश लिए अधिकारी कर्मचारी लोग अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना काम कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार उन्हें ऐसा निर्णय लेकर हतोत्साहित कर रही है।”
सरकारी सेवकों के DA पर पाबंदी का फैसला सरकार तुरंत वापस ले. एक तरफ़ बिना अवकाश लिए अधिकारी-कर्मचारी लोग अपनी जान पर खेलकर सामान्य दिनों से कई गुना काम कर रहे हैं, दूसरी तरफ़ सरकार उन्हें हतोत्साहित कर रही है. पेंशन पर निर्भर रहनेवाले बुजुर्गों के लिए तो ये और भी घातक निर्णय है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) April 25, 2020
अखिलेश यादव ने कहा कि पेंशन पर निर्भर रहने वाले बुजुर्गों के लिए तो यह निर्णय और भी घातक है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय प्रसाद लल्लू ने भी योगी सरकार के इस निर्णय की आलोचना की और इस फैसले को तुरंत वापस लेने की अपील सरकार से की। अभी देखना बाकी है कि सरकारी कर्मचारी इस पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
.. को यह चोट क्यों मारी जा रही है?
सरकारें अपने अनाप शनाप खर्चे क्यों नहीं बंद करतीं? सरकारी व्यय में 30% कटौती क्यों नहीं घोषित की जाती? सवा लाख करोड़ की बुलेट ट्रेन परियोजना, 20,000 करोड़ की नई संसद भवन परियोजना जैसे गैरजरूरी खर्चों पर रोक क्यों नहीं लगती? 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) April 25, 2020