मौसम की मार से आलू का उत्पादन गिरा, पिछले साल के मुकाबले 150 फीसदी तक बढ़ा रेट

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आलू के शौकीन लोगों को इस बार अपनी पसंदीदा सब्जी खाने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। देश में आलू उत्पादन करीब 30 फीसदी तक कम हो सकता है, जिसके चलते आलू का भाव बढ़ा हुआ है। पिछले साल के मुकाबले आलू के दाम 130 से 180 फीसदी तक अधिक चल रहे हैं। मार्च में आलू की बढ़ी कीमतों के लिए कारोबारी होली के अलावा कोल्ड स्टोरेज में आलू के जमा किए जाने को भी बड़ा कारण बता रहे हैं।

देश में सबसे ज्यादा आलू उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में होता है। एक मोटे अनुमान के मुताबिक ये दोनों राज्य देश के कुल आलू उत्पादन में करीब 50 फीसदी के आसपास योगदान करते हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश, गुजरात और बिहार का नंबर आता है। भारत, चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा आलू उत्पादन करने वाला देश भी है लेकिन सितंबर 2019 से लेकर मार्च 2020 के पहले हफ्ते तक हुई बारिश और मौसमी बदलावों से आलू उत्पादन प्रभावित है। किसानों के मुताबिक कम से कम 30-40 फीसदी आलू कम हुआ है।

आलू का हाल कुछ-कुछ वैसा ही है जैसा पिछले साल प्याज का हुआ था। देश नाशिक समेत दूसरे इलाकों में भारी बारिश के चलते प्याज की फसल बर्बाद हो गई, जिसके बाद आलू की कीमतें आसमान पर पहुंच गई थीं।

यूपी के बाराबंकी में जिले के दुंदपुर गांव में 4 एकड़ आलू बोने वाले किसान राम नरेश कहते हैं, “आलू का काफी नुकसान हुआ है। अगर हम अपने खेत की बात करें तो 50 फीसदी ही उत्पादन हुआ है। पहले जहां प्रति बीघे (एक एकड़ में 5 बीघे) 40-50 बोरी (50 किलो) आलू निकलता था इस बार 10-15 कुंतल ही आलू निकला है। फरवरी से पहले कई बार बारिश हुई, जिससे पौधों की बढ़वार नहीं हो पाई।”

यूपी में सबसे ज्यादा आलू आगरा-फर्रुखाबाद बेल्ट में होता है। फर्रुखाबाद में अहमदपुर देवरिया गांव के बड़े आलू किसान विनोद कटियार फोन पर बताते हैं, पिछले साल प्रति एकड़ 300 कट्टे (50 किलो) आलू निकल रहा था, इस बार 200-220 ही निकल रहा है। ये अच्छी बात है कि आलू इस बार रेट 1000-1200 रुपए प्रति कुंतल का थोक में मिल रहा है। पिछले साल ये 500-800 रुपए ही था।

भारत में आलू की खेती सर्दियों के मौसम में होती है। इस बार किसान ने जिस वक्त आलू की बुवाई शुरू की, तभी से बारिश शुरु हो गई। सर्दियों में कई बार भीषण बारिश हुई, जिससे आलू के पौधे की बढ़वार रुक गई। यहां तक की फरवरी और मार्च के शुरूआती हफ्ते में भी बारिश हुई। ज्यादातर राज्यों में जनवरी से अगैती आलू की खुदाई शुरु हो जाती है और पिछौती मार्च तक खुदता है। लेकिन इन दिनों भी बारिश हुई। यूपी के किसान राम समुझ मौर्या कहते हैं, जिन खेतों की मिट्टी दोमट थी वहां तो फरवरी की बारिश में आलू सड़ ही गया, बालू वाली मिट्टी में सड़ा तो नहीं लेकिन पैदावार कम हो गई।”

उत्तर प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक एसवी शर्मा के मुताबिक प्रदेश में 2019-20 में 575 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बोया गया, जिसके सापेक्ष 160.00 लाख मिट्रिक टन आलू का उत्पादन सम्भावित है।’ यूपी में 1911 निजी शीतगृह हैं, जिनका भंडारण क्षमता 156.86 लाख मिट्रिक टन हैं।”

लेकिन कम उत्पादन के चलते स्टोर मालिकों में भी खलबली मची हुई है। स्टोरेज खाली ना रह जाएं इसलिए कई तरह के किसानों को कई तरह के ऑफर भी दे रहे हैँ। यूपी के कन्नौज में एक कोल्ड स्टोरेज के मालिक रविंद्र दुबे बताते हैं, “आलू का उत्पादन वैसा हुआ नहीं है, 30-35 फीसदी कोल्ड स्टोरेज खाली रह जाएंगे। पिछले साल 220-225 रुपए प्रति कुंतल का किराया था, इस बार भी इतना ही है। जबकि किसानों को ट्रैक्टर किराया हम लोग खुद से दे रहे हैं। अगर भरे नहीं तो कोल्ड स्टोरेज मालिकों को नुकसान हो जाएगा।”

बाराबंकी परमेश्वर कोल्ड इंडस्ट्रीज के निदेशक भी ऐसा ही बताते हैं, उनके मुताबिक 30 फीसदी आलू उत्पादन जरुर कम हुआ है। हालांकि किसानों को रेट अच्छा मिल रहा है। पिछले साल इन दिनों (25 फरवरी से 5 मार्च) तक आलू का रेट 800 रुपए कुंतल था, जबकि थोक में इस बार 1200-1400 रुपए कुंतल है।”

देश में सालाना करीब 510-530 लाख टन आलू का उत्पादन होता है। लेकिन निर्यात के मामले में आंकड़ा एक फीसदी से भी कम है। आलू निर्यात को बढ़ाने के लिए सरकार ने इस साल की शुरुआत में देश के पांच राज्यों का चयन किया ताकि वहां से एक्सपोर्ट क्वालिटी आलू का उत्पादन किया जा सके। इनमें उत्तर प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और गुजरात शामिल है। सरकार देश में उन क्षेत्रों का चयन कर रहा है जहां पर कीट-पतंगों का प्रकोप ज्यादा नहीं है ताकि वहां कीटनाशकों का कम इस्तेमाल कर बेहतर आलू उत्पादन किया जा सके।

गुजरात के बनांसकाठा जिले में बड़े पैमाने पर आलू का उत्पादन होता है। यहां किसान पेप्सिको जैसी कंपनियों से करार कर भी आलू उगाते हैं। भारत का आलू नेपाल, श्रंलका, ओमान, मलेशिया, मॉरीशस ओमान और इंडोनेशिया समेत खाड़ी के कई देशों में होता है। बाजार में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में आलू की मांग काफी है। आलू चिप्स, फलैक्स, फ्रोजन फेंच फ्राइस और स्टार्ज के रूप में बिकता है। 

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