– दया सागर/नीतू सिंह
उन्नाव/लखनऊ। उन्नाव के हिन्दूनगर गांव में अग्निकांड मामले में गैंगरेप पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। शुक्रवार (6 दिसंबर 2019) देर रात लगभग 11.30 बजे डॉक्टरों ने पीड़िता को मृत घोषित कर दिया। पीड़िता के अस्पताल में दिए गए बयान के आधार पर उन्नाव पुलिस ने पांच आरोपियों शिवम त्रिवेदी, शुभम त्रिवेदी, हरिशंकर त्रिवेदी, रामकिशोर त्रिवेदी और उमेश बाजपेयी को गिरफ्तार किया है और उन्हें 14 दिन के न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
जहां एक तरफ पीड़िता के पिता आरोपियों के लिए ‘हैदराबाद जैसी’ सजा की मांग कर रहे हैं, वहीं आरोपी पक्ष के लोगों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष और सीबीआई जांच हो और अगर उनके रिश्तेदार आरोपी हैं तो उन्हें सजा मिले। आरोपियों के परिजनों ने पीड़िता के आरोपों से इनकार किया और मामले की जांच के संबंध में कई सवाल खड़े किए।
गांव कनेक्शन की टीम जब इस मामले को समझने के लिए उन्नाव के हिन्दूनगर गांव पहुंची तो सबसे पहले हमें पीड़िता का मकान मिला। छप्पर और फूस के इस मकान को पुलिस ने घेरा हुआ था और आस-पास के मकानों की चौखट पर स्थानीय पत्रकार बैठे हुए थे, जो कि पल-पल की खबरों को नेशनल मीडिया तक पहुंचा रहे थे।
गांव कनेक्शन ने पीड़िता के पिता और भाभी से बात की तो उन्होंने साफ-साफ आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग की। पीड़िता के बुजुर्ग पिता ने तो आरोपियों के लिए ‘हैदराबाद जैसी’ सजा की मांग कर दी, जहां पर गैंगरेप के आरोपियों की कथित पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी। वहीं पीड़िता की बहन और जीजा ने आरोपियों पर दबंगई करने और धमकी देने का आरोप लगाया। गौरतलब है कि आरोपी हरिशंकर त्रिवेदी और शुभम त्रिवेदी गांव की वर्तमान प्रधान के पति और बेटे हैं।
जब हम पीड़िता के घर से आगे बढ़कर आरोपियों के घर पर पहुंचे तो वहां अलग ही मंजर देखने को मिला। आरोपियों के घर एक दूसरे से जुड़े हुए थे और घर की महिलाएं सामने बनी एक मंदिर में इकठ्ठा हुई थीं। इन महिलाओं ने ‘मीडिया’ को देखकर आरोप लगाया कि मीडिया सिर्फ पीड़िता के पक्ष को ही दिखा रहा है।
इन महिलाओं में आरोपी उमेश बाजपेयी की बहन सबसे अधिक मुखर थी। चिल्लाते हुए उमेश की बहन ने कहा, “आप लोग यहां क्यों आए हैं, जब कुछ दिखाना ही नहीं है। मीडिया में सिर्फ पीड़िता को दिखाया जा रहा है, जबकि असली पीड़ित हम हैं। मेरा भाई घर पर सो रहा था कि अचानक से पुलिस आई और गिरफ्तार कर के चली गई। बताइए अगर कोई किसी को जलाएगा तो उसके बाद घर पर आकर आराम से सोएगा?”
वह आगे कहती है, “हम तो इस मामले में चाह रहे हैं कि निष्पक्ष जांच हो। हो सके तो सीबीआई जांच हो ताकि जो दोषी हैं, उन्हें सजा मिले।” उमेश बाजपेयी के पिता भी निष्पक्ष जांच के बाद दोषियों को सजा देने की बात करते हैं। वह कहते हैं कि मेरा बेटा दोषी ही नहीं है। जब घटना हुई तो वह घर में ही सोया हुआ था। गौरतलब है कि इस मामले में स्थानीय पुलिस की एक टीम बनाकर जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि अभी तक किसी भी आरोपी ने गुनाह नहीं कबूला है।
मामले में एक और आरोपी शुभम त्रिवेदी की बहन कहती है, “लड़की द्वारा हमारे परिवार वालों को फंसाया गया है। वह साजिश रचकर लगातार हमारे घर वालों से फिरौती की मांग कर रही थी। यह भी हो सकता है कि लड़की ने खुद या अपने परिवार वालों के साथ मिलकर यह पूरी साजिश रची हो ताकि मामले को लाइमलाइट मिले और वे मीडिया की सुर्खियों में आ जाएं।”
शुभम त्रिवेदी की बहन कहती है, “यह सब लड़की की साजिश है। शिवम (प्रमुख आरोपी) के साथ-साथ उसका कई और लोगों से भी प्रेम संबंध था। जब शिवम को यह सब पता चला तो उसने लड़की से अपना रिश्ता तोड़ लिया। इसके बाद लड़की लगातार रेप के आरोप लगाने की धमकी देने लगी। उसने शिवम के साथ मेरे भाई और शिवम के दोस्त शुभम पर भी रेप का आरोप लगा दिया।”
वह कहती है, “जिस दिन (12 दिसंबर, 2018) को पीड़िता ने रेप का आरोप लगाया है, उस दिन शुभम का हाइड्रोसील का ऑपरेशन हुआ था। उसके सभी मेडिकल रिपोर्ट सबूत के रुप में मौजूद हैं। हम चाहते हैं कि इस मामले की जैसे भी जांच हो, चाहे सीबीआई जांच हो या एसआईटी लेकिन असल गुनाहगारों को ही सजा मिलनी चाहिए। अगर मेरे घर वाले दोषी हैं तो उन्हें भी फांसी होनी चाहिए।”
बगल में खड़ी शुभम की मां और वर्तमान प्रधान इस मामले को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाने की बात करती है। उनकी बातों में शुक्रवार तड़के हुए कथित एनकाउंटर मामले का डर भी झलकता है। वह कहती हैं, “अगर हमारे पति और बेटे को न्याय नहीं मिला और वे भी पुलिसिया कार्यवाही के कहीं शिकार हुए तो वह पूरे परिवार के साथ दिल्ली में जाकर आत्मदाह कर लेंगी।”
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