साल 2023 में गाँव कनेक्शन में सबसे ज़्यादा पढ़ी गईं ये 10 ख़बरें

सिर्फ 115 दिनों में तैयार होने वाली धान की किस्म, कैल्शियम कार्बाइड में पके आम, सोलर पैनल की रखवाली और मोटे अनाज की खूबियाँ, ऐसी कई ख़बरें साल 2023 में गाँव कनेक्शन पर सबसे ज़्यादा पढ़ी जाने वाली दस ख़बरों में से थीं।
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इस साल आपका गाँव कनेक्शन 11 साल का हो गया। इस दौरान देश के अलग -अलग राज्यों से अपने पाठकों और दर्शकों के लिए हम ऐसी खबरें और जानकारी लाते रहें हैं जिनका सरोकार सीधा आपसे है। चाहे किसानों के मुद्दे रहे हों या फिर स्वास्थ्य के,उन सभी ख़बरों को जिनसे ग्रामीण भारत का संबंध हैं, उन्हें गाँव कनेक्शन प्रमुखता से उठाता रहा।

इस साल गाँव कनेक्शन ने कई नए प्रोजेक्ट भी शुरू किए; वो चाहे शिक्षकों के लिए ‘टीचर कनेक्शन’ हो या फिर किसानों की आवाज़ बनता ‘किसान कनेक्शन’।

हमेशा की तरह इस साल भी गाँव कनेक्शन ने कृषि संकट और जलवायु परिवर्तन से लेकर वैज्ञानिक नवाचार, आजीविका, संस्कृति और स्वास्थ्य तक कई मुद्दों की ख़बरें की।

गाँव कनेक्शन की साल 2023 की 10 ख़बरों को सबसे अधिक लोगों ने पढ़ा और उनसे जानकारी भी हासिल की। जिन पाठकों ने अब तक इन्हें नहीं पढ़ा है वो इसी वेबसासाइट पर पढ़ सकते हैं।

सिर्फ 115 दिनों में तैयार होने वाली धान की नई किस्म

किसानों के लिए ये अच्छी ख़बर है। वैज्ञानिकों ने धान की नई किस्म ‘मालवीय मनीला सिंचित धान-1’ विकसित की है, जो न केवल कम दिनों में तैयार होती है, बल्कि दूसरी किस्मों के मुकाबले इसमें कम समय में ज्यादा उत्पादन भी मिलता। इसको लगाने के बाद किसान दूसरी फसल की बुवाई जल्दी कर सकते हैं।

कैल्शियम कार्बाइड से पके आम

बाज़ार में मिलने वाले आम आपको बीमार कर सकते हैं, क्योंकि कई लोग आम को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड का इस्तेमाल करते हैं; जो आपकी सेहत की लिए ख़तरनाक हो सकता है। इसमें बताया गया कि कैसे आप कैल्शियम कर्बाइड से पके आप की पहचान कर बच सकते हैं।

सोलर पैनल की रखवाली

कभी पानी बिजली को तरसते बुंदेलखंड में सौर ऊर्जा से क्रांति तो आ गई, लेकिन इसके पैनलों की रखवाली यहाँ के लोगों के लिए किसी तपस्या से आज कम नहीं हैं। सौर पैनलों को चोरों से बचाने के लिए लोग, शादी जैसे आयोजनों में जाने से पहले अब इसकी रखवाली का इंतज़ाम करते हैं।

मशरूम की खेती की पूरी जानकारी

पिछले कुछ वर्षों में किसानों का रुझान मशरूम की खेती की तरफ तेज़ी से बढ़ा है, लेकिन कई बार सही से ध्यान नहीं देने पर किसानों को नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। इसलिए शुरू से ही कुछ बातों का ध्यान रखना होता है, बाज़ार में मशरूम का अच्छा दाम मिल जाता है।

उत्तर प्रदेश के लखनऊ के गोसाईगंज ब्लॉक में रहने वाले प्रगतिशील किसान मुकेश कुमार पिछले कई वर्षों से मशरूम की खेती कर रहे हैं। इस रिपोर्ट में मुकेश कुमार ने मशरूम की खेती के बारे में विस्तार से बताया है।

गन्ने की फसल को ख़त्म कर रहा है कीट

गर्मियों के दिनों में गन्ने की फसल में पायरिला कीट का प्रकोप रहता है, ये पत्तियों का रस चूसते हैं, जिससे पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं। ऐसे में किसान समय रहते इससे बचाव करके नुकसान से बच सकते हैं।

बढ़ते तापमान के साथ ही गन्ने की फसल में कई तरह के कीट लग जाते हैं, इनमें पायरिला कीट प्रमुख कीट होता है। इस कीट का प्रकोप अप्रैल महीने से अक्टूबर महीने तक रहता है।

मोटे अनाज की ख़ूबियाँ

जो अनाज कभी गाँव की थालियों में होते थे आज उनको फिर से खानपान की मुख्यधारा में लाने के लिए सभी को कोशिश करनी होगी। किसानों को यकीन दिलाना होगा कि जो वो फसल उगाएँगे बिकेगी। खरीददार और बाज़ार दोनों की ज़रूरत है। ये रिपोर्ट काफी पढ़ी गई।

धान की सीधी बुवाई की तैयारी

भारत मौसम विज्ञान विभाग के पूर्वानुमान पर ये रिपोर्ट थी। जिसमें कहा गया था कि इस बार सामान्य बारिश होने की उम्मीद है, ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों के मन में सवाल आ सकते हैं कि वो कम पानी में धान की खेती कर सकते है?

मोटे अनाजों में छिपा है पोषण का खज़ाना

भारत में कई तरह के मोटे अनाजों का उत्पादन होता है, इन्हें अब ‘श्री अन्न’ के नाम से जाना जाता है, साथ ही भारत को ग्लोबल हब फॉर मिलेट बनाया जा रहा है। इस रिपोर्ट में मोटे अनाजों की खूबियाँ बताई गई थी।

बाजरे में आती हैं दो से चार फीट की बालियाँ

आपने भी बाजरे की फ़सल देखी होगी, जिसमें आमतौर पर एक-डेढ़ फीट की बालियाँ आती हैं, लेकिन अगर आप से ये कहा जाए कि बाजरे की बालियाँ दो से चार फीट तक हो सकती हैं, तो शायद आपको यक़ीन न हो।

राजस्थान के भरतपुर ज़िले के किसान दिनेश चंद तेनगुरिया के बाजरे की फ़सल में दो-चार फीट की बालियाँ आती है। पिछले साल उन्होंने बाजार के बीज़ तुर्की से मँगाए थे, अब तो देश भर से किसान उनसे बीज मँगाने लगे हैं। ये रिपोर्ट भी खूब पढ़ी गई।

नेचुरल ग्रीन हाउस के फ़ायदे

अभी तक आपने पॉलीहाउस के बारे में सुना होगा, जिसे बनाने में लाखों रुपए खर्च होते हैं। लेकिन अगर आपसे ये कहा जाए कि आप कम लागत में नेचुरल ग्रीन हाउस बना सकते हैं, तो शायद यक़ीन करना मुश्किल होगा। कैसे मुमकिन है इसे तैयार करना? इसी से जुड़ी है ये रिपोर्ट।

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