सोशल मीडिया पर सरकार के खिलाफ क्यों लामबंद हैं एसएससी, रेलवे सहित दर्जन भर परीक्षाओं के लाखों अभ्यर्थी?

इन युवाओं का कहना है कि एक तरफ कोरोना महामारी के बीच सरकार प्रवेश परीक्षाएं करा रही है, वहीं दूसरी तरफ वर्षों पहले हो चुके परीक्षाओं का परिणाम नहीं घोषित कर रही है। इसमें केंद्र और अनेक राज्यों के प्रतियोगी परीक्षाओं के अभ्यर्थी शामिल हैं।
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नीट-जेईई परीक्षाओं के आयोजन के विरोध के बीच देश भर के लाखों छात्र और युवा अभ्यर्थी सरकार से वर्षों से लटके पुराने प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम और अधूरी भर्ती प्रक्रियाओं की तारीख घोषित करने की मांग कर रहे हैं। इसमें एसएससी सीजीएल 2018, एसएससी सीएचएसएल 2018, एसएससी एमटीएस 2019, रेलवे एनटीपीसी 2019, रेलवे ग्रुप डी 2019, बिहार एसटीईटी 2019, बिहार जूनियर इंजीनियर (जेई), उत्तर प्रदेश अधीनस्थ चयन सेवा आयोग (यूपीएसएसएससी) की वीडियो और अन्य दो दर्जन भर्तियां, गुजरात सरकार की लगभग दो दर्जन भर्तियां शामिल हैं। इससे हजारों, लाखों नहीं बल्कि करोड़ों युवा प्रभावित हैं।

इन अभ्यर्थियों का कहना है कि कोरोना महामारी के बीच सरकार जब नीट-जेईई, क्लैट, नेट, जेएनयू, डीयू, बीएड और अन्य विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा करा सकती है तो कई सालों से रूके भर्तियों के परिणाम क्यों नहीं घोषित कर सकती है? इसके लिए लाखों छात्र सोशल मीडिया पर लामबंद हैं और इन भर्तियों का परिणाम और प्रक्रिया जारी रखने के लिए लोग लाखों की संख्या में ट्वीट कर रहे हैं और सरकार से गुहार कर रहे हैं कि उनकी भी सुनी जाए।

एसएससी की एक अभ्यर्थी सौम्या गुप्ता कहती हैं, “हमारे मां-बाप के कुछ आशाएं और आकांक्षाएं हैं, हमारे भी करियर और फ्यूचर को लेकर कुछ सपने हैं। लेकिन अब हम निराश हो रहे हैं। सरकार से तो बिल्कुल भी यह उम्मीद नहीं थी। 2018 की परीक्षा देने के बाद भी हम दो या तीन साल तक इंतजार कर रहे हैं। मेरी सरकार से दरख्वास्त है कि अगर भर्ती नहीं लेना है तो विज्ञापन ही मत दिजिए, लेकिन युवाओं को नौकरी के झूठे जाल में तो मत फंसाइए।”

एक ऐसे ही अभ्यर्थी पवन कुमार (बदला हुआ नाम) कहते हैं कि हमारी उम्र निकली जा रही है, लेकिन सरकारी परीक्षाओं का कुछ पता हीं नहीं चलता। हम फॉर्म भरते हैं, परीक्षा देते हैं इसके बाद कभी आगे की प्रक्रिया रूक जाती है, तो कभी रिजल्ट नहीं आता। हम अधिकारियों, मंत्रियों से गुहार लगाते हैं लेकिन कोई नहीं सुनता। यह सब बहुत निराशाजनक है। हमारे कई साथी तो अवसाद में जा रहे हैं। कोरोना का समय वैसे ही बहुत कठिन है, लोगों के मां-बाप के रोजगार चले गए हैं, आमदनी कम हो रही है, लोग आर्थिक और मानसिक रूप से परेशान हैं और ये सब चीजें हमारी परेशानी को और बढ़ा रही हैं। 

अवसाद और निराशा का अंदाजा इस दिव्यांग छात्र के भावुक वीडियो से भी लगाया जा सकता है,जिन्होंने अपना चेहरा दिखाने से इनकार कर दिया। कहते हैं कि पिता जी के मरने के बाद मैं अपनी मां को लगातार आश्वासन दे रहा था कि मुझे सरकारी नौकरी मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

सौम्या और पवन ने एसएसससी सीजीएल 2018 (कम्बाइंड ग्रेजुएट लेवल) की परीक्षा दी थी, जिसका विज्ञापन एसएससी ने 4 मई 2018 को निकाला था। लेकिन इसकी प्रारंभिक (टियर-1) की परीक्षा एक साल से भी अधिक समय के बाद 4 जून 2019 को हुई। इसके बाद टियर टू की परीक्षा 11 सितंबर और टियर थ्री की परीक्षा 29 दिसंबर को हुई तबसे लेकर आज तक लगभग 8 महीने हो चुके हैं लेकिन अंतिम परिणाम नहीं आया है।

अभ्यर्थियों का कहना है कि सरकार अगर परीक्षाएं करवा सकती है तो हुए परीक्षाओं का परिणाम क्यों नहीं जारी कर सकती है। इस परीक्षा में 42000 से अधिक छात्र शामिल हुए थे। एक सच्चाई यह भी है कि एसएससी सीजीएल 2017 के कई सफल उम्मीदवारों की अभी नियुक्तियां नहीं हुई हैं, जबकि उनका रिजल्ट घोषित हुए भी लगभग 10 महीने हो चुके हैं। सीजीएल 2017 में सफल हुए गौरव जैन को सुनिए-

ठीक ऐसी ही स्थिति एसएससी की सीएचएसएल 2018 (कम्बाइंड हायर सेकेंड्री लेवल) और एमटीएस (मल्टी टास्किंग) 2019 के अभ्यर्थियों की भी हैं, जिनके टियर टू की परीक्षाओं का परिणाम क्रमशः सितंबर, 2019 और नवंबर, 2019 से पेंडिंग हैं। इन दोनों परीक्षाओं को मिलाकर एक लाख से भी अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे।  

इन अभ्यर्थियों ने निराशा के गर्त में जाकर प्रधानमंत्री को चिट्ठी भी लिखी है, जिसे यहां पढ़ा जा सकता है। इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है कि देश के युवाओं ने उनका हमेशा भरपूर समर्थन दिया है, उनके कहने पर ताली-थाली भी बजाई। लेकिन बेरोजगारी के मसले पर  उनकी चुप्पी अखर रही है। 

स्टोरी अपडेट हो रही है…

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