कृषि कानूनों पर किसानों की मांग का समर्थन देते हुए राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के मुखिया हनुमान बेनीवाल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को छोड़ने का फैसला किया है। पिछले एक महीने से जारी किसान आंदोलन के बीच हनुमान बेनीवाल लगातार किसानों के पक्ष में अपना रूख अपनाए हुए थे।
कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर नागौर से सांसद @hanumanbeniwal ने भी शुरू किया प्रदर्शन। शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों को संबोधित करते हुए #NDA से अलग होने की दी चेतावनी #FarmersBill #farmersrprotest
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26 दिसंबर, शनिवार को वह शाहजहांपुर स्थित हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर भी पहुंचे, जहां किसान डेरा जमाए हुए हैं। किसानों के मंच के पास ही उन्होंने अपना मोर्चा (प्रदर्शन) लगाया है। किसानों को समर्थन देते हुए उन्होंने एनडीए से हटने का फैसला किया। इससे पहले उन्होंने नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाले नरेंद्र मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा था कि कहीं शिवसेना, अकाली दल के बाद उनकी पार्टी तीसरा दल ना बन जाए, जिन्होंने मोदी सरकार का साथ छोड़ा हो।
हनुमान बेनीवाल राजस्थान के एक बड़े किसान नेता हैं और उनकी पार्टी राजस्थान के एक बहुत बड़े इलाके में प्रभाव रखती है। छोटे-छोटे क्षेत्रीय दलों को अपने साथ लेकर चलने वाली एनडीए के लिए पंजाब, महाराष्ट्र के बाद अब राजस्थान से भी बड़ा झटका लगा है।
हालांकि कृषि कानूनों के मुद्दे पर उन्होंने अपने बगावती तेवर एक दिसंबर को ही दिखा दिए थे, जब उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को इस संबंध में एक पत्र लिखा था। इस चिट्ठी में उन्होंने किसान हित में तीनों कृषि कानूनों को वापिस लेने की अपील सरकार से की थी और कहा था कि नहीं तो उनकी पार्टी एनडीए से अलग हो जाएगी।
कृषि कानून पास होने पर उन्होंने इन्हें किसान का हितैषी बताया था लेकिन किसान आंदोलन के बढ़ते दबाव को देखते उन्होंने ये फैसला लिया है। हनुमान बेनीवाल अपनी पार्टी के अकेले सांसद हैं जबकि विधानसभा में तीन विधायक है।
भारत सरकार द्वारा लाये गए कृषि विरोधी बिलों के कारण आज @RLPINDIAorg पार्टी एनडीए के गठबंधन से अलग होने की घोषणा करती है !
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) December 26, 2020
एनडीए से अलग होते हुए उन्होंने कहा, “मैं तीन कृषि कानूनों के विरोध में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) छोड़ रहा हूं। ये कानून किसान विरोधी हैं। यह बिल जब लोकसभा में पास हुआ तो मुझे गलत कोरोना पॉजिटिव दिखाकर लोकसभा नहीं जाने दिया गया था। अगर मैं उस समय सदन में होता तो तीनों बिलों को फाड़ देता।”
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए तो हमने छोड़ दिया है लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन कभी नहीं करूंगा।
हनुमान बेनीवाल ने 1 दिसंबर को अपने ट्वीटर पर भी लिखा था, “आरएलपी, एनडीए का घटक दल है परन्तु आरएलपी की ताकत किसान व जवान हैं इसलिए अगर इस मामले में त्वरित कार्यवाही नहीं की गई तो मुझे किसान हित मे एनडीए का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।”
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शिरोमणी अकाली दल छोड़ चुका है साथ
कृषि कानूनों के मुद्दे पर बीजेपी की पुरानी सहयोगी और पंजाब की प्रमुख विपक्षी पार्टी शिरोमणी अकाली दल ने एनडीए से खुद को अलग कर लिया था। अकाली दल कोटे से नरेंद्र मोदी कैबिनेट में मंत्री हरसिमरत कौर ने इस्तीफा दे दिया था।
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