चीन से आए हुए कोरोना रैपिड टेस्टिंग किट को निजी कंपनियों द्वारा सरकार को दोगुने दाम पर बेचा गया। ऐसा खुलासा दिल्ली हाई कोर्ट की एक सुनवाई में हुआ। यह सुनवाई इस रैपिड टेस्टिंग किट को वितरित करने वाली कंपनियों रेयर मेटाबॉलिक्स लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड और आर्क फार्मास्यूटिकल्स द्वारा दायर की गई याचिका पर हो रही थी, जिसमें उन्होंने इस किट को चीन से आयात करने वाली कंपनी मैट्रिक्स लैब पर लिखित समझौते को तोड़ने का आरोप लगाया था।
हालांकि सुनवाई के दौरान कुछ अलग ही निकल कर सामने आया, जब टेस्ट किट को आयात करने वाली कंपनी मैट्रिक्स लैब ने बताया कि उन्होंने चीन से यह किट 245 रुपये प्रति किट के हिसाब से खरीदा है। वहीं डिस्ट्रीब्यूटर रेयर मेटाबॉलिक्स और आर्क फार्मास्यूटिकल्स इस किट को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) को 600 रुपये प्रति किट के दाम पर बेच रहे हैं, जो कि लागत दाम से दोगुने से भी अधिक है। अनुमान है इससे इन कंपनियों को 18 करोड़ रूपये से भी अधिक का फायदा होगा।
Delhi High Court judgement in Rare Metabolics v Matrix Labs has revealed scandalous details about the import of 5 lac Wondfo antibody test kits, ordered by @ICMRDELHI at Rs 30cr through intermediaries who were taking a cut of 18.75 cr @CDSCO_INDIA_INF @MoHFW_INDIA @NITIAayog 1/n pic.twitter.com/hhxo3F2Mvv
— Malini Aisola (@malini_aisola) April 26, 2020
वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिये मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, “यह पूरा मामला जनहित से जुड़ा हुआ है। कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए टेस्ट करने बेहद जरूरी है, ऐसे में टेस्ट किट का कम से कम रेट पर बेचा जाना भी उतना ही जरूरी है। कंपनियों को मुनाफा कमाने से अधिक आम लोगों को सस्ती किट मुहैया कराने पर ध्यान देना चाहिए।”
इसके बाद कोर्ट ने आदेश दिया कि देश में कोरोना टेस्ट किट को जीएसटी सहित 400 रूपये से अधिक दाम पर नहीं बेचे जाने चाहिए। कोर्ट ने दो टूक टिप्पणी करते हुए कहा, “निजी लाभ से अधिक जरूरी सार्वजनिक हित है। सरकार ने इस किट के आयात पर लगने वाले एक्साइज ड्यूटी को शून्य कर दिया है, इसलिए कंपनियों को भी सोचना चाहिए कि वह जनहित से जुड़े इस मामले में कम से कम मुनाफा कमाएं।”
इसके बाद कोर्ट ने मामले का पटाक्षेप करते हुए कहा कि जनहित को ध्यान में रखते हुए इस विवाद को यहीं खत्म कर देना चाहिए। हालांकि वर्तमान में इस रैपिड टेस्टिंग किट के प्रयोग पर आईसीएमआर ने प्रतिबंध लगाया हुआ है क्योंकि कई राज्यों ने शिकायत की थी इस किट से आ रहे परिणाम विश्वसनीय नहीं हैं।
ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क (AIDAN) की सह-संयोजक मालिनी ऐसोला ने आईसीएमआर द्वारा की गई इस डील पर सवाल उठाया। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “यह विश्वास करना मुश्किल है कि आईसीएमआर को इस बारे में पता नहीं था कि इस पूरे डील में बिचौलिये बड़ा मुनाफा कमा रहे हैं। इसके अलावा कई और कंपनियां भी थी, जो इससे सस्ते दर पर टेस्टिंग किट उपलब्ध करा रही हैं। जैसे छत्तीसगढ़ सरकार सिर्फ 400 रूपये में एक किट खरीद रही है।”
It’s hard to imagine that @ICMRDELHI was unaware of the profiteering by intermediaries. It would have known Wondfo price of $3/kit, prices of kits from other manufacturers & also prices at which they are being procured
Chhattisgarh has procured at ~Rs 400 @TS_SinghDeo n/n
— Malini Aisola (@malini_aisola) April 26, 2020
वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मामले में सवाल उठाया। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि जब पूरा देश इस आपदा से लड़ रहा है, तब भी कुछ लोग मुनाफा कमाने से नहीं चूक रहे। इस भ्रष्ट मानसिकता पर शर्म और घिन आती है। देश उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से मांग कि मुनाफाखोरों पर जल्द ही कड़ी कार्यवाही की जाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी इस मामले में सरकार और आईसीएमआर से स्पष्टीकरण मांगा।
जब समूचा देश #Covid19 आपदा से लड़ रहा है, तब भी कुछ लोग अनुचित मुनाफ़ा कमाने से नहीं चूकते। इस भ्रष्ट मानसिकता पे शर्म आती है, घिन आती है। हम PM से माँग करते हैं कि इन मुनाफ़ाख़ोरों पर जल्द ही कड़ी कार्यवाही की जाए।देश उन्हें कभी माफ़ नहीं करेगा। https://t.co/t7Ff3KQM96
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 27, 2020
सोमवार देर शाम आईसीएमआर ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि इस टेस्टिंग किट को खरीदने के लिए हमने चीनी कंपनी वांडफो से सीधा संपर्क भी किया था लेकिन वे किट का पूरा पैसा एडवांस में मांग रहे थे और डिलीवरी के लिए भी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं निर्धारित कर रहे थे। इसलिए हमने किसी निजी कंपनी के द्वारा इसे मंगाने की कोशिश की।
For facts on the controversy around prices of Rapid #Antibody tests, please read the details here:https://t.co/5aMjNOOR2N@PMOIndia @drharshvardhan @AshwiniKChoubey @PIB_India @COVIDNewsByMIB @DDNewslive @airnewsalerts @PTI_News @ANI @ICMRDELHI
— Ministry of Health 🇮🇳 #StayHome #StaySafe (@MoHFW_INDIA) April 27, 2020
आईसीएमआर ने बताया कि हमें चार अलग-अलग एजेंसियों द्वारा बोलियां (बिड) प्राप्त हुई थीं, जिसमें 600 का बिड सबसे कम था। इसलिए हमने कम बिड लगाने वाले इस कंपनी को टेंडर दिया और इसके कोई भी एडवांस पैसे नहीं दिए। हमने यह शर्त भी लगाया कि पैसे तभी दिए जाएंगे, जब टेस्टिंग सफल हो। हालांकि जब टेस्टिंग असफल हो चुका है और कई राज्यों ने इस पर अपनी आपत्ति जताई है तो हम इन टेस्टिग किट्स को वापस कर रहे हैं। भारत सरकार के एक भी रुपये का नुकसान इस डील में नहीं हुआ है।
महाराष्ट्र से ग्राउंड रिपोर्ट: खेत में सड़ रहीं हैं लाखों की फसलें