लखनऊ। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने अपने 38 साल पूरे कर लिए हैं। 12 जुलाई, 1982 को मुम्बई, महाराष्ट्र से शुरू हुआ यह बैंक कृषि ऋण से जुड़े क्षेत्रों, योजनाओं और नीतिगत मामलों का परिचालन करता है। यह सरकारों के साथ समन्वय स्थापित कर किसानों को हर संभव मदद कराता है।
नाबार्ड के 38वें स्थापना दिवस के अवसर पर लखनऊ में आयोजितए एक कार्यक्रम में नाबार्ड के महाप्रबंधक जे एस उपाध्याय ने कहा कि हम देशभर में इस वर्ष 10 हजार एफपीओ बनाएंगे। इसके अलावा किसानों को बिजली कटौती के कारण बर्बाद होने वाली फसल से छुटकारा दिलाने के लिए कुसुम (किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान) योजना में भी नाबार्ड 30 प्रतिशत का योगदान देगा।
इससे किसान शहरों की तर्ज पर खेत में सोलर प्लांट और सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के साथ ही अतिरिक्त बिजली उत्पादन कर बेच सकेंगे। अतिरिक्त बिजली उत्पादन होने पर किसान बची हुई बिजली को बेच कर आर्थिक लाभ कमा सकेंगे।
कार्यक्रम में शामिल उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने नाबार्ड से अपील की कि उत्तर प्रदेश सरकार में 25 लाख नए केसीसी जारी करने की चुनौती में वे मदद करें। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पशुपालन और मत्स्य पालन को लेकर कार्ययोजना बनाई जा रही है और केंद्र की मदद से मछली उत्पादन बढ़ाने पर जो दिया जा रहा है।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि नाबार्ड ने राज्य सरकार को 6431 करोड़ रुपए की सहायता दी है, जिससे सरयू, मध्य गंगा और अर्जुन सहायक जैसी तीन सिंचाई परियोजनाओं पर काम हो रहा है। इससे 15.94 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई हो पाएगी। नाबार्ड उत्तर प्रदेश के मुख्य महाप्रबंधक ए पांडे ने कहा उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग पर आभार प्रकट किया।
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आगे कहा कि नाबार्ड बैंक जो भी कर रहा है उससे राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक को बहुत फायदा हुआ है, पिछले तीन दशक में काफी सुधार हुआ है। नाबार्ड बैंक द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को कई प्रकार से खेती करने के लिए ऋण प्रदान किए जाते हैं। जिससे किसानों को अत्यधिक आर्थिक सहायता मिलती है। साथ ही समय समय पर किसानों ने लिए कई ठोस कदम भी उठाए भी जाते हैं जिनसे किसानों को लाभ होता है।
इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड योजना के बारे में बताते हुए कहा कि इसमें 25 लाख किसानों को टारगेट किया गया है और एक अभियान के तहत इस टारगेट को पूरा करके किसानों तक इसका लाभ पहुंचाया जाएगा।