आर्थिक सर्वेक्षण में नए कृषि क़ानूनों की वकालत, जानिए सर्वेक्षण की 5 बड़ी बातें

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संसद में बजट सत्र के पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साल 2020-21 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। बाद में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने सर्वेक्षण की ख़ास बातें बताईं। इस सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी विकास दर 11% रहने का अनुमान लगाया गया है। कोरोना महामारी के कारण चालू वित्त वर्ष की जीडीपी विकास दर में 7.7 फीसदी की गिरावट आ सकती है। सर्वेक्षण में अर्थव्यवस्था की रिकवरी वी (V) शेप में रहने की बात कही गई है।

आपको बता दें कि आर्थिक सर्वेक्षण में देश की अर्थव्यवस्था का वार्षिक लेखा-जोखा होता है और आने वाले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए क्या कदम उठाए जाए, इसका नज़रिया भी होता है। जानते हैं इस आर्थिक सर्वेक्षण की पांच प्रमुख बातें-

आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र पर ज़ोर दिया गया है और नए कृषि क़ानूनों की वकालत की गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि तीनों कृषि कानून किसानों के लिए खुले मार्केट के नए चैप्टर की शुरुआत करेंगे और इनसे छोटे और मंझौले किसानों का जीवन स्तर सुधाने में मदद मिलेगी। देश के 85% किसान इन्हीं श्रेणी में आते हैं और ये एपीएमसी कानून के सताए हुए किसान हैं। सर्वे में साल 2001 से कृषि सुधारों को लेकर की गई विभिन्न कमेटियों की सिफ़ारिशें का ज़िक्र भी किया गया है। इस आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र को आशा की किरण बताया गया है और कहा गया है कि जब सेवा, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए थे, उस समय भी कृषि क्षेत्र में सकारात्मक दर दिखी।

आर्थिक सर्वेक्षण में स्वास्थ्य के क्षेत्र पर ख़र्च बढ़ाकर जीडीपी का 2.5% से 3% तक करने का सुझाव दिया गया है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवाओं पर ख़र्च बढ़ने से आम लोगों का स्वास्थ्य पर होने वाला ख़र्च 65% से घटकर 30% तक आ सकता है। साथ ही भविष्य में किसी महामारी से निपटने में सक्षम होने के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार लाने की ज़रूरत है। सर्वेक्षण में आयुष्मान भारत की तारीफ़ करते हुए इस पर सरकार से ध्यान लगाए रखने की सिफ़ारिश की गई है।

सर्वे में बताया गया है कि मूलभूत सुविधाओं की पहुंच में अमीर और ग़रीब के बीच की खाई कम हुई है। पानी, स्वच्छता और आवास जैसी सुविधाओं के मामले में सर्वेक्षण में 2012 से 2018 तक का ब्यौरा दिया गया है।

आर्थिक सर्वेक्षण में ऑनलाइन शिक्षा पर ज़ोर देते हुए कहा गया है कि इससे पढ़ाई में विषमताएं दूर होंगी। ग्रामीण भारत में सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह के स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे छात्रों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है जिनके पास स्मार्ट फ़ोन हैं।

खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के कारण ही वर्ष 2020 में महँगाई उच्च स्तर पर बनी रही। हालांकि, दिसंबर 2020 में महँगाई दर गिरकर 4.6 प्रतिशत दर्ज की गई, जबकि नवंबर में यह 6.9 प्रतिशत थी। खाद्य पदार्थों विशेषकर सब्जियों, मोटे अनाजों और प्रोटीन युक्त उत्पादों की कीमतों में गिरावट होने से ही यह संभव हो पाया। सर्वे में ये भी कहा गया है कि आने वाले वक्त में जियो पॉलिटिकल तनाव के कारण कच्चे तेल की कीमतें बढेंगी और अगर बढ़ोत्तरी का भार आम लोगों पर डाला गया तो उनके उपभोग में कमी आएगी और इसका प्रतिकूल असर निवेश पर पड़ सकता है।

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