उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के शक्ति मिश्रा (26 वर्ष) ने लगभग तीन साल पहले मार्च, 2018 में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) द्वारा विज्ञापित युवा कल्याण अधिकारी के पद के लिए अपना आवेदन किया था। सितंबर, 2018 में इसकी लिखित परीक्षा हुई, जिसका रिजल्ट फरवरी, 2019 में आया। 8 महीने बाद अक्टूबर 2019 में उनकी शारीरिक परीक्षा हुई, जिसमें भी वह सफल हो गए। इसके बाद से शक्ति मिश्रा को सिर्फ नियुक्ति पत्र लेकर सरकारी नौकरी लेना था लेकिन पिछले 15 महीनों से वह नौकरी के बजाय धरनों में जा रहे हैं।
कुछ ऐसा ही हाल अशोक प्रियदर्शी का भी है, जो उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के निवासी हैं। उन्होंने मई, 2018 में यूपीएसएसएससी द्वारा प्रकाशित राज्य मंडी समिति के निरीक्षक और पर्यवेक्षक पदों के लिए आवेदन किया था। लेकिन उन्हें भी अब तक इस परीक्षा के परिणाम का इंतजार है। इसके लिए उन्होंने कई बार लखनऊ के पिकअप भवन स्थित यूपीएसएसएससी कार्यालय पर धरना और मंडी परिषद में ज्ञापन भी दिया, लेकिन उन्हें आश्वासन के अलावा अब तक कुछ नहीं मिला है।
यूपीएसएसएससी में पिछले कुछ सालों से लंबित ऐसी कई भर्तियां है, जिसमें किसी भर्ती की लिखित परीक्षा, किसी की शारीरिक परीक्षा, किसा का इंटरव्यू नहीं हुआ है। वहीं कई भर्तियों का अंतिम परिणाम आने के बाद नियुक्तियां नहीं हुई हैं। हालांकि यूपीएसएसएससी का कहना है कि कोरोना के कारण भर्ती प्रक्रियाओं की गति जरूर प्रभावित हुई थी, लेकिन प्रक्रिया अब पुनः चालू हो गई है। आयोग की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार 2020 में पूर्व से लंबित सभी लिखित परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए गए हैं, जबकि 2016 के गन्ना पर्यवेक्षक, आशुलिपिक और अवर अधीनस्थ सेवा के लिए इंटरव्यू आयोजित किए गए हैं। इसके अलावा 5 परीक्षाओं की शारीरिक दक्षता परीक्षा या टंकण परीक्षा भी आयोजित की गई है।
वहीं सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले प्रदेश के हजारों युवा इस लेट-लतीफी के कारण निराशा की स्थिति में हैं। वे हर महीने राजधानी लखनऊ के पिकअप भवन स्थित यूपीएसएसएससी कार्यालय पर धरना प्रदर्शन करते हैं, अधिकारियों को ज्ञापन देते हैं, अधिकारी भी उन्हें आश्वासन देते हैं कि भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो जाएगी। कई अभ्यर्थियों ने आर्थिक, सामाजिक और मानसिक संकट से भी गुजरने की शिकायत भी गांव कनेक्शन से बात-चीत में साझा की।
शक्ति मिश्रा गांव कनेक्शन से बात-चीत में कहते हैं, “मैंने ग्रेजुएशन पास करने के तुरंत बाद 22 साल की उम्र में यह परीक्षा दी थी। परीक्षा अच्छी हुई थी, तो यह उम्मीद थी कि एक साल में सरकारी नौकरी लेकर अपने पिता जी की आर्थिक मदद करूंगा, जो कि गांव में ही एक प्राइवेट होम्योपैथी की दुकान चलाते हैं। लेकिन अब उनके लिए ही मेरा खर्च चलाना मुश्किल हो गया है, इसलिए उन्होंने मुझे इलाहाबाद से घर बुला लिया है, जहां पर रहकर मैं सरकारी नौकरी की तैयारी करता था।” अब शक्ति की उम्र 26 वर्ष की हो गई है। घर और आस-पास के लोग अब उन पर शादी का भी दबाव बनाने लगे हैं।
शाहजहांपुर के कन्हैया लाल (28 वर्ष) ने साल 2016 में अवर अधीनस्थ सेवा (यूपी पीसीएस लोअर) के लिए परीक्षा दी थी। उन्होंने गांव कनेक्शन से बातचीत में बताया कि 26 अक्टूबर, 2016 में विज्ञापित हुई इस परीक्षा के लगभग डेढ़ सालों के बाद जुलाई, 2018 में इसकी लिखित परीक्षा हुई। लिखित परीक्षा का परिणाम फिर से दो साल बाद अक्टूबर, 2020 में निकला। दिसंबर, 2020 में इस परीक्षा का इंटरव्यू हुआ। इसके बाद से उनको इंटरव्यू के रिजल्ट का इंतजार है।
ठीक इसी तरह 2016 में गन्ना पर्यवेक्षक की भी 437 पदों के लिए वैकेंसी आई थी। अगस्त, 2019 में इस भर्ती की लिखित परीक्षा हुई, जबकि जनवरी, 2020 में इंटरव्यू हुआ। इसके बाद से एक साल हो गए हैं, लेकिन अभ्यर्थी अभी तक इंटरव्यू के परिणाम की राह देख रहे हैं।
वहीं कुछ ऐसी परीक्षाएं भी हैं, जिसकी सारी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी हैं और सिर्फ डॉक्यूमेंट वेरिफाई होकर अभ्यर्थियों को नियुक्ति देनी है। सीतापुर के सुधीर सिंह, बाराबंकी की प्रिया शर्मा सहित प्रदेश भर के 1952 सफल युवा ग्राम विकास अधिकारी (VDO, 2018) के ज्वाइनिंग लेटर का इंतजार कर रहे हैं और इसके लिए वे लगभग हर महीने धरना देते हैं। लेकिन लगभग दो साल होने को है, उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाया है।
बेरोजगारी और भर्ती परीक्षाओं पर काम करने वाली संस्था ‘युवा हल्ला बोल’ ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ना सिर्फ आयोग बल्कि प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया। प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए युवा हल्ला बोल के संयोजक अनुपम ने कहा कि आयोग को एक निश्चित कैलेंडर निर्धारित करना चाहिए ताकि एक निश्चित समय पर भर्ती प्रक्रिया पूरी हो सके।
यूपीएसएसएससी ने एक जानकारी देते हुए कहा है कि 2018 के कृषि प्राविधिक सहायक भर्ती, युवा कल्याण अधिकारी और मंडी पर्येवक्षक भर्ती प्रक्रिया के अंतिम परिणाम संभवतः फरवरी और मार्च में घोषित कर लिए जाएंगे। वहीं 2018 के ग्राम विकास अधिकारी और ग्राम पंचायत अधिकारी परीक्षा के बारे में बताया गया कि इस परीक्षा प्रक्रिया की अभी एसआईटी जांच चल रही है। जांच के निष्कर्ष के बाद ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
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