अम्बिका प्रसाद (29 वर्ष, बदला हुआ नाम) सुल्तानपुर (उप्र) के एक सरकारी बैंक में कैशियर पद पर नौकरी करते हैं। कोरोना को लेकर दुनियाभर से आ रही खबरों के बीच आजकल वह काफी भयभीत रहने लगे हैं, क्योंकि बैंक में उन्हें अलग-अलग हाथों और जगहों से आए नोटों को गिनना होता है। हालांकि कोरोना को लेकर वह काफी जागरूक हैं और अपनी साफ-सफाई, स्वच्छता का पूरा ख्याल रखते हैं लेकिन फिर भी उनके अंदर एक भय समाया हुआ है।
वहीं उनके बैंक के बाहर आम ग्रामीणों में कोरोना को लेकर जानकारी और भय तो है लेकिन वे इसको लेकर उहापोह की स्थिति में नहीं है। इन ग्रामीणों में से किसी एक के पास व्हाट्सएप मैसेज आया है कि जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाएगी कोरोना का असर कम होता जाएगा। ग्रामीण इसको लेकर खुश हैं कि क्योंकि पिछले दो दिनों से तापमान बढ़ा है और बारिश भी नहीं हुई है। इन ग्रामीणों का यह भी मानना है कि यह एक शहरी बीमारी है, जो विदेशों से आई है और शहरों में अधिक फैल रही है। गांवों में इसके आने की कम ही संभावना है।
कोरोना वायरस का कहर दुनिया के साथ-साथ भारत में भी बढ़ता जा रहा है। समाचार लिखे जाने तक देशभर में इसके 350 मामले सामने आ चुके हैं, जबकि 4 की मौत हो चुकी है। आंकड़ों से पता चलता है कि कोरोना भारत को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है।
जैसे-जैसे कोरोना दुनियाभर में फैलता जा रहा है, वैसे-वैसे इसको लेकर तमाम तरह के भय और भ्रांतियां भी सोशल मीडिया के माध्यम से फैल रही हैं। इसमें से कुछ सच हैं तो कुछ कोरे अफवाह। हालात यह है कि जितने मुंह, उतनी बातें। सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के इस दौर में ये सब तेजी से फैल रहे हैं, जो इस महामारी के बीच फैले हुए डर, अनिश्चितता और उहापोह की स्थिति को और बढ़ा रहे हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ऐसे मिथकों और भ्रांतियों को तोड़ने के लिए 14 बिंदुओं की एक एडवाइजरी जारी की है। कोरोना वायरस भारत में जब फैलना शुरू हुआ तब कहा गया कि जैसे-जैसे गर्मी आएगी और तापमान बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत में इस वायरस का असर कम होता जाएगा। कई डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि की।
वहीं डब्ल्यूएचओ ने ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, “कोरोना वायरस का तापमान से कोई संबंध नहीं है। बाहरी तापमान कितना भी कम या अधिक रहे, मनुष्य के शरीर का तापमान 36.5c से 37c तक ही होता है। इसलिए खूब ठंडे या गर्म पानी से नहाने का वायरस पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह बार-बार कहना है कि अगर आप इस वायरस से अपने आप को बचाना चाहते हैं तो अपने हाथ को बार-बार धुले ताकि अगर आप कहीं से इस वायरस के संपर्क में आए हों तो वह हाथों के माध्यम से आपके आंख, मुंह और नाक जैसे संवेदनशील इंद्रियों तक ना पहुंचे।
ठीक इसी तरह हाथ को सूखाने वाले मशीन (हैंड ड्रायर) और हीटर को भी कोरोना वायरस को मारने का विकल्प माना जा रहा है। लेकिन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक गर्म या ठंड किसी भी तरह की हवा इस वायरस को मारने में सक्षम नहीं है। इसलिए कोई अगर आपको हैंड ड्रायर, हीटर या गीजर खरीदने की सलाह दे तो उसके इस सलाह को सिरे से नकार दें।
इसी तरह एक संदेश यह भी फैल रहा है कि लहसुन खाने से आप इस वायरस से बच सकते हैं। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि लहसुन में जरूर विषाणुरोधी गुण होते हैं, लेकिन अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हुई है कि लहसुन खाने से कोरोना के विषाणु मर जाते हैं। इसी तरह कोई भी एंटीबायोटिक दवा इस वायरस को नहीं मार सकती।
डब्ल्यूएचओ ने साफ कहा है कि अभी तक इस वायरस से लड़ने के लिए किसी भी तरह की वैक्सीन या दवा का ईजाद नहीं की गई है, हालांकि इस पर लगातार प्रयोग जारी है। इसलिए अगर आपसे कोई कोरोना की दवा ईजाद करने का दावा करे तो आप उसके बगल से धीरे से मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाएं।
कोरोना को लेकर एक बात यह भी कही जा रही है कि यह बुजुर्गों और बच्चों के लिए अधिक खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ऐसा नहीं है, कोरोना सभी उम्र के लोगों के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना बच्चों और बुजुर्गों के लिए, हालांकि बच्चों और बुजुर्गों की प्रतिरोधक क्षमता युवाओं से कम होती है, इसलिए उन पर इसका असर अधिक देखा जा रहा है। यही कारण है कि कोरोना से मरने वालों की संख्या में बुजुर्गों की संख्या अधिक है।
बुजुर्गों-बच्चों के अलावा कोरोना रोगियों खासकर अस्थमा मरीजों के लिए कोरोना अधिक खतरनाक है। इसलिए उन्हें अधिक एहतियात बरतने की जरूरत होती है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वे डॉक्टर द्वारा सुझाए गए इनहेलर का इस्तेमाल जरूर करें। इससे कोरोना और अन्य संक्रमण का खतरा कम रहता है।
एक संदेश यह भी चल रहा है कि मांस खाने से भी कोरोना वायरस फैलता है। डब्ल्यूएचओ ने इस संदेश की भी पुष्टि नहीं की है, हालांकि उसका कहना है कि मांस को पका कर खाए। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ऐसे जगहों पर लोग मांस को जरूर पका कर खाएं, जहां पर कोरोना वायरस तेजी से फैला है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मृत जानवरों का मीट ना खाने की सलाह दी है। भारत में इस सलाह का असर मीट उद्योग पर दिखाई दे रहा है। लोग मीट खाने से परहेज कर रहे हैं और बाजार में मीट का दाम 70 फीसदी तक कम हो गया है।
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि जितना हो सके जंगली और पालतू जानवरों से दूर रहें। अगर आपके पास पालतू पशु है और उसके चारा-पानी के लिए उसके संपर्क में जाना जरूरी है तो आप बहुत ही सफाई के साथ उसके पास जाए और उसे चारा-पानी देकर फिर से खुद को अच्छे ढंग से साफ करें।
सोशल मीडिया पर चल रहे तमाम संदेशों के बीच लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या नोट, छूने से या फोन से भी कोरोना वायरस फैल सकता है। इस पर डब्ल्यूएचओ ने इनकार नहीं किया है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना वायरस कई सतहों पर घंटों तक अस्तित्व में रह सकता है।
अगर कोई कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति फोन, दरवाजे के हैंडल, नोट जैसी किसी सतह को छूता है तो वह सतह भी संक्रमित हो जाता है। अतः यह जरूरी है कि आप अपने फोन को भी समय-समय पर साफ करते रहें, वहीं दरवाजे के हैंडल आदि सतहों के संक्रमण से बचने के लिए अपने हाथ बार-बार साफ करते रहें। ठीक यही हाल नोटों का भी है, जो दिन भर में ही सैकड़ों हाथों में जाता है।
कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में देश का व्यापारी समुदाय काफी चिंतित है। उन्होंने कहा, “यह एक ज्ञात तथ्य है कि मुद्रा नोट बार-बार बदले जाते हैं, इसलिए इसके दूषित होने की संभावना बहुत अधिक होती है। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत में ज्यादातर लोग नोटों की गिनती करते समय नोटों की आसान गिनती के लिए मुंह के सलाईवा या थूंक का इस्तेमाल करते हैं। इसलिए ऐसे नोटों से संक्रमण का खतरा बहुत अधिक है।”
उन्होंने बताया कि उनका संगठन लंबे समय से पॉलीमर नोटों के चलन की बात कर रही है, जैसे इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में होता है। उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए उनका संगठन वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन सिंह और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिख चुका है। इस पत्र में सीएआईटी ने डिजिटल ट्रॉन्जैक्शन सहित कैशलेस व्यवस्था को और बढ़ावा देने की बात कही है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कोरोना के लक्षण
कोरोना वायरस (कोविड-19) के सामान्य लक्षण सिरदर्द, खांसी, मांसपेशियों में दर्द, बुखार और थकान, सांस लेने में परेशानी है। इसके लक्षण दिखने में 5 से 7 दिनों का समय लगता है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इसके लक्षण मरीज के भीतर 14 से 20 दिनों तक बने रहते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार फ्लू (सामान्य बुखार) और कोरोना संक्रमण के कई लक्षण एक जैसे हैं। बिना मेडिकल टेस्ट के इसको अंतर कर पाना बहुत मुश्किल है। सर्दी, बुखार, गले में संक्रमण फ्लू और कोरोना दोनों के सामान्य लक्षण हैं लेकिन डब्ल्यूएचओ के मुताबिक कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को सांस फूलने की शिकायत जरूर रहती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक कोरोना से बचने के उपाय
हाथों को बार-बार साबुन से धोएं या एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।
खांसते और छींकते वक्त टिशू का इस्तेमाल करें और इस्तेमाल करने के बाद इसे तुरंत फेंक दें। वहीं अगर आपके पास टिशू ना हो तो हाथ से मुंह ढंककर छींकने या खांसने की बजाय बांह से मुंह ढंककर छींके या खांसे।
अपने आंख, नाक और मुंह को ना छुएं। लेकिन अगर ऐसा करना जरूरी है तो छूने से पहले और छूने के बाद अपना हाथ जरूर धोएं या उसे सैनिटाइजर से साफ करें।
कोशिश करें कि किसी भी सर्दी-जुकाम से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में ना जाएं।
कुछ भी खाने से पहले हाथ को अच्छे से साबुन या हैंडवाश से धुलें। धुलने का समय कम से कम 30 सेकेंड का होना चाहिए।
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